Conversions: मुस्लिम व ईसाई बने दलितों के आरक्षण पर SC ने सरकार से जवाब मांगा

धर्मांतरण के बाद दलितों को आरक्षण मिलने के मुद्दे पर उलझन

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New Delhi : गैर हिंदू, बौद्ध, सिख दलितों के आरक्षण संबंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस एसके कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार से इस मामले में तीन सप्ताह में इस पर अपना स्टैंड क्लियर करने को कहा है।

धर्मांतरण करके ईसाई या मुस्लिम धर्म अपनाने वाले दलितों को पहले की तरह आरक्षण मिलते रहने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस मुद्दे पर Supreme Court ने सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने तीन सप्ताह में केंद्र सरकार से इस मामले में अपना स्टैंड क्लियर करने को कहा। एपेक्स कोर्ट, धर्मांतरण करने वाले दलितों के मुद्दों पर एक PIL पर सुनवाई कर रहा है।

जनहित याचिका की मांग
सुप्रीम कोर्ट दलितों के आरक्षण संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। एक जनहित याचिका में यह मांग की गई है कि हिंदू दलित जो धर्मांतरण करके इस्लाम या ईसाई धर्म अपना रहे हैं उनको पूर्व की भांति आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। PIL में धर्मांतरित दलितों के लिए उसी स्तर पर आरक्षण की मांग की गई, जो हिंदू, बौद्ध और सिख धर्म के बाद अनुसूचित जातियों के लिए है।

एक अन्य याचिका को भी इस याचिका के साथ कोर्ट ने क्लब किया है। इस याचिका में यह मांग की गई कि ईसाई धर्म के अनुसूचित जाति के लोगों को भी हिंदू, बौद्ध व सिखों की भांति अनुसूचित आरक्षण का लाभ दिया जाए।

कोर्ट ने सरकार से कहा ‘स्टैंड क्लियर करें!’
सुप्रीम कोर्ट ने गैर हिंदू, बौद्ध, सिख दलितों के आरक्षण संबंधित याचिका पर सुनवाई की। इस तीन सदस्यीय बेंच में जस्टिस ए एस ओका और विक्रम नाथ भी हैं। सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि इस मुद्दे के कई निहितार्थ हैं। वह सरकार के रुख को रिकॉर्ड में रखेंगे। उन्होंने सरकार का पक्ष रखने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा जिसको सुप्रीम कोर्ट ने ग्रांट किया।