Cool Grown-Crop Waved : ठंड बढ़ने से गेंहू और चने की फसल लहलहाई!  

रबी फसलों की वृद्धि के लिए सर्दी जरूरी, इस साल रकबा नहीं बढ़ा 

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Cool Grown-Crop Waved : ठंड बढ़ने से गेंहू और चने की फसल लहलहाई!  

Indore : साल के अंत के दिनों में ठंड ने अपने ठंडक के तेवर दिखाना शुरू कर दिए। रबी की फसल की बोनी के दो माह बाद मौसम ने अंगड़ाई ली और फसलों पर भी असर डाला। दिसंबर जाते-जाते ठंड ने अपनी चमक छोड़ती दिखाई दे रही है। माह के आखिरी दिनों में मौसम में बदलाव आया। मौसम में ठंडक आने के कारण फसलें लहलहाने लगी हैं। इसके पहले लगातार तेज धूप के कारण फसलों को प्रभावित कर रही थीं।

सर्द हवाएं और ओस की बूंदों ने गेहूं की फसल में जान डाल रही है। किसान भी इन दिनो खेती-बाड़ी में व्यस्त है। जानकारों का मानना हैं कि ऐसा मौसम रबी की फसल के लिए मुफीद रहता है। अगर यह मौसम 15 दिन भी रहा तो पैदावार में बढ़ोतरी के साथ गेहूं के रंग में भी चमक आ सकती है। इससे उत्पादन बढ़ता है।

उत्तर पूर्वी की हवाओ ने मौसम को अच्छा ख़ासा ठंडा कर दिया। दो दिन से मौसम में ठंड महसूस की जा रही थी। ऐसे में गेहूं-चने की फसल के लिए यह ठंड फायदेमंद है। किसानों का कहना है समय रहते तेज ठंड गिरती है तो फसलों को एक पानी कम ही देना पड़ेगा। जिन्होंने लंबी वैरायटी यानी देर से पकने वाली गेहूं की फसल की बोवनी की है उनके लिए फायदा रहेगा।

मौसम अनुकूल रकबा नहीं

कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बार मौसम गेहूं-चने की फसल के ठंड पर अनुकल होता है लेकिन इस बार ठंडक ने देरी से किसानों की चिंता बढ़ा दी थी। लेकिन, गेहूं का रकबा इस वर्ष जहां 2 लाख 98 हजार हेक्टेयर रहा, तो वहीं गत वर्ष से इस बार ज्यादा है चने के रकबे में कोई खास फेरबदल इस बार देखने को नहीं मिला। गत वर्ष की ही तरह इस बार भी यह रकबा करीब 7 हजार 500 हेक्टेयर के आसपास ही बना हुआ है। इस बार ठंड की लेट लताफ़ी ने फसलो में थोड़ी जान ला दी।

देर से आई ठंड 

मौसम विभाग के अनुसार ठंड का मौसम अक्टूबर नंबम्बर से शुरू माना जाता है और ठंड की नवंबर से शुरूआत हो जाती है। दिसम्बर पूरा बीत गया मगर आखरी दिनों में ठंड आई और कड़ाके की ठंड दिसंबर के आखरी वक्त के बाद भी नहीं आई है। दिसंबर की बात करे तो पहले हफ्ते कुछ दिन तापमान में गिरावट दर्ज की गई थी। उसके बाद बार-बार तापमान में बदलाव आ रहा है शनिवार को तापमान में गिरावट दर्ज की गई। वहीं रविवार को अधिकतम और न्यूनतम तापमान में फिर से कमी आई है। अधिकतम तापमान में 3.7 डिग्री और न्यूनतम तापमान में 2 डिग्री की गिरावट हुई है। माना जा रहा है इस बार पश्चिमी विक्षोभ नहीं आने के कारण ऐसा हो रहा है। फिलहाल अधिकतम तापमान 22.5 डिग्री और न्यूनतम तापमान 8.7 डिग्री सेल्सियस पर हैं।

फसल चक्र बिगड़ा

मौसम चक्र लेट हो रहा है। इसका असर फसलों पर देखा जा रहा है। वैज्ञानिक  बताया कि इस मौसम में इस गेंहू की फसलो में बाली आने लग गई ओर फसलो की उम्र भी आधी होने को आई ओर ठंड ने अपना ज्यादा असर नही दिखाया। जबकि गेहूं कही जगह फसल की शुरुआत है। इस दौरान कम तापमान की जरूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फसलों की फुटान व उत्पादन पर इसका असर होगा। इसका सीधा असर व्यापार पर भी पड़ेगा।

तापमान में उतार-चढाव 

पिछले तीन दिनों में तापमान में तेजी से उतार-चढाव देखने को मिला। 21 दिसंबर को अधिकतम तापमान 26.5 डिग्री और न्यूनतम 12.8 रहा। 22 दिसंबर को तापमान 28.4 और 14.8, 23 दिसंबर को 28.0 और 14.3, 24 दिसंबर को 26.2 और 10.3 और 25 दिसंबर को 22.5 और 8.7 डिग्री रहा।