Corchorus_olitorius-हमारी रसोई : चेंच के संग लड़ायें पेंच!
डॉ. विकास शर्मा
चेंच भाजी एक ऐसी साग है जिसे खाने से ज्यादा रस्सियों, बैग, थैलों व सजावटी सामग्री के निर्माण के लिए जाना जाता है।
भारतीय किसान पुराने समय मे अपने गौ वंश और प्रकृति की बहुमूल्य जानकारी के साथ भारतीय अर्थ व्यवस्था की रीढ़ हुआ करता था। यहाँ प्रत्येक फसल से लेकर खरपतवार सभी का एक खास महत्व हुआ करता था। ज्यादातर खरपतवार या तो उत्तम दर्जे की साग भाजी थे, पशु चारा थे या फिर औषधी थे। समय के साथ साथ हमने इस ज्ञान को खोया है और प्रकृति के विनाश की ओर एक कदम बढ़ाया है।
चेंच की भाजी ,पटसन, पाट भाजी, मोठी छूँछ गाँव देहात में खायी जाने वाली एक प्रचलित साग है, जिसे लोग बड़े शौक से खाते हैं। आजकल यह शहरो में मोटी कीमत पर कभी कभी बिकने भी आती है, लेकिन गाँव देहातों में आज भी यहाँ वहाँ इसके पेड़ खरपतवार की तरह उग आते हैं। स्वाद, तंदुरुस्ती और अपने गुणों के कारण साग आज भी चर्चा का विषय बनी रहती है। किन्तु इसे लगाने का मतलब है, आम के आम गुठलियो के भी दाम। Corchorus capsularis और Corchorus olitorius दोनो आपको सड़क के किनारे या गली कुचों में मिल जायेंगे, जिनकी फ़ोटो पोस्ट में संलग्न है। गोल और लंबे फलों के चक्कर मे चकराइयेगा नही।
पहले किसान इससे जूट के रेशे प्राप्त किया करते थे, जो रस्सियां, जानवरो को बांधने तथा सजाने वाले गिरमे, जोते, टाट फट्टे, बोरे तथा शॉपिंग बैग्स और मौजे तैयार करने में काम आते थे। किन्तु प्लास्टिक युग ने इस महत्वपूर्ण पौधे को अर्थहीं कर दिया। अब गिने चुने किसान ही इसे अपने खेत में लगाने का जोखिम उठाते हैं। चेंच की भाजी बनाना बहुत आसान है। अन्य भाजियो की तरह इसे भी काटकर अधिक मिर्च के साथ पकाया जाता है। नया स्वाद चाहें तो आलू के साथ बनाये। इनके गुणों का बखान पूर्व में ही कर चुका हूँ। सभी भाजियों में शरीर के लिए पोषक पदार्थ, सूक्ष्म तथा वृहत पोषक तत्व, विटामिन तथा प्रोटीन्स पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं। जो शरीर के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। बड़े बुजुर्गों का मानना है कि भाजी के साथ रोटी और चावल दोनो का सेवन उत्तम होता है
इन सबके अलावा यह फसल हरी खाद के लिए भी बोयी जाती थी, किन्तु अब तो खेतो से 4 फसले लेने का और रासायनिक उर्वरक का जमाना है तो बारिस में इसे लगाकर कौन समय और पैसे की बर्बादी करेगा, वो भी तब जबकि किसानो को फसल के सही दाम भी नहीं मिलते हैं, ऊपर से जमा खोरी ने उनके प्राण ले रखे हैं। एक खास लेकिन महत्वपूर्ण बात आपको बता दूँ, रस्सियो के लिए फाइबर वाले तीन पौधे जिनके के बारे में अक्सर भ्रम हो जाता है। और इन तीनो की ही भाजियाँ खाई जाती है। बहुत से लोगो को इनका नाम पता है लेकिन किस पौधे का क्या नाम है, इसे लेकर बात करेंगे तो फिर समझिये की माथापच्छी को दावत दे दी आपने।
1. सन (Crotolaria juncea) सहित इस जीनस के अन्य सभी पौधे, (Family- Fabaceae)
2. पटसन (Hibiscus cannabinus) सहित इस जीनस के अन्य के पौधे, Family- Malvaceae
3. जूट (Corchorus capsularis) सहित इस जीनस के अन्य सभी पौधे,( Family- Malvaceae)
आज की पीढ़ी इन्हें भुला चुकी है, किन्तु अपन तो ठैरे घास पूस वाले डॉक्टर, तो अपन इन पौधों को सेहद का खजाना मानते हुये, इनकी साग- भाजियों का आनंद लेते रहते हैं। चेंच याने जूट की भाजी कभी खाई है आपने? और खाई है तो इसका स्वाद कैसा लगा बताइयेगा जरूर…
डॉ. विकास शर्मा
वनस्पति शास्त्र विभाग
शासकीय महाविद्यालय चौरई
जिला छिन्दवाड़ा (म.प्र.)