Corruption Charges against Damor MP, BJP in Trouble : सांसद डामोर के कथित भ्रष्टाचार से भाजपा संकट में,कांग्रेस हुई मुखर

आदिवासी क्षेत्र में करोड़ों के भ्रष्टाचार पर कांग्रेस मुखर हुई

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प्रदीप जोशी की विशेष रिपोर्ट

Indore : झाबुआ-रतलाम आदिवासी क्षेत्र के सांसद गुमानसिंह डामोर (MP Gumansingh Damor) के सरकारी नौकरी में रहते हुए किए भ्रष्टाचार अब भाजपा को भारी पड़ते नजर आ रहे है। इस मामले में जहां कांग्रेस मुखर हो रही है, वही भाजपाईयों ने चुप्पी साध रखी है। सांसद डामोर सहित 4 अधिकारियों पर आलीराजपुर कोर्ट ने भ्रष्टाचार का प्रकरण दर्ज किए जाने तथा कोर्ट में हाजिर होने के फरमान जारी किए है।

आरोप है कि सांसद डामोर ने पीएचई विभाग में चीफ इंजीनियर पद पर रहते हुए फ्लोरोसिस नियंत्रण योजना (Fluorosis Control Plan) में भारी भ्रष्टाचार किया था। 600 करोड़ की इस योजना में तत्कालीन कलेक्टर गणेश शंकर मिश्रा, तत्कालीन कार्यपालन यंत्री डीएल सूर्यवंशी और तत्कालीन प्रमुख अभियंता सुधीर कुमार सक्सेना भी आरोपी हैं। इन्हें भी कोर्ट ने हाजिर होने को कहा है।

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भाजपा जोर-शोर से आदिवासी क्षेत्रों में अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिशो में जुटी है। ऐसे में भ्रष्टाचार के इस मामले ने पार्टी के सामने नया संकट पैदा कर दिया। सोमवार को कांग्रेस ने आलीराजपुर में सांसद डामोर के इस्तीफे की मांग को लेकर बड़ा प्रदर्शन किया। स्थानीय सिनेमा चौराहे पर नारेबाजी के साथ सांसद का पुतला दहन भी किया गया।

क्या है मामला
झाबुआ-आलीराजपुर जिले में पानी में फ्लोराईड की मात्रा बढ़ने से अंचल में गंभीर बिमारियां फैलने लगी थी। इसके नियंत्रण के लिए सरकार ने 600 सौ करोड़ रुपए की फ्लोरोसिस नियंत्रण योजना (Fluorosis Control Plan) लागू की थी। वर्ष 2006-07 में जिले के लिए करोड़ो रुपए का फंड जारी हुआ। तब सांसद डामोर इंदौर में PHE विभाग के चीफ इंजीनियर पद पर काबिज थे। आरोप है कि तब अधिकारियों ने पाईप लाइन बिछाने तथा हैंडपंप खनन के लिए 14 करोड़ का भुगतान कर दिया। जबकि, जमीन पर यह कोई कार्य ही नहीं हुआ था। फर्जी आर्डर देकर फर्जी बिल तैयार करके वाउचर बनाकर करोड़ों रुपए हजम कर लिए। गंभीर बात यह है कि अंचल के लोग समस्या से जूझ रहे हैं।

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राहत मिलने की उम्मीद कम
इंदौर के पत्रकार धर्मेंद्र शुक्ला ने छानबीन कर योजना में हुए भ्रष्टाचार के सबूत जुटाए और सरकार तथा विभागीय स्तर पर शिकायत की। जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो उन्होंने इस मामले को निचली अदालतों से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक का दरवाजा खटखटाया। अलग-अलग अर्जियों पर कोर्ट ने फैसलों का पालन नहीं होने पर अवमानना का मुकदमा दर्ज करते हुए आदेश भी दिए।

उच्च न्यायालय ने निचली अदालत में जाने का उन्हें निर्देश दिया। इसके बाद वे 2019 में वे अलीराजपुर कोर्ट पहुंचे। कोरोना काल में सुनवाई टलती रही।

बाद में प्रथम श्रेणी न्यायाधीश अर्पित जैन की कोर्ट में लगातार सुनवाई हुई। कोर्ट ने माना कि परिवादी धर्मेंद्र शुक्ला के कथन और पेश किए दस्तावेजों के आधार पर प्रतीत होता है कि आरोपियों पर धारा 420, 120 बी सहित अन्य धाराओं आपराधिक प्रकरण दर्ज होना उचित प्रतीत होता है। लिहाजा प्रकरण को आपराधिक पंजी में दर्ज किया जाए।
कोर्ट ने सांसद डामोर, गणेश शंकर मिश्रा, डीएल सूर्यवंशी और सुधीर कुमार सक्सेना को आगामी 17 जनवरी कोर्ट में हाजिर होने के आदेश दिए हैं।

पुलिस को भी निर्देश दिए गए है कि आरोपियों को कोर्ट में पेश किया जाए। बहरहाल भ्रष्टाचार के इस मामले में सांसद डामोर को आसानी से राहत मिल जाए, इसके आसार नजर नहीं आ रहे। क्योंकि, हाईकोर्ट के आदेश पर निचली अदालत में यह सुनवाई हो रही है।

कांग्रेस ने बोला जमकर हमला
सांसद जीएस डामोर और अन्य अधिकारियों के खिलाफ कांग्रेस ने जमकर हमला बोला। सोमवार को आलीराजपुर में उनके खिलाफ प्रदर्शन हुए और पुतला दहन किया गया। जिला कांग्रेस अध्यक्ष महेश पटेल ने FIR दर्ज करने और डामोर के इस्तीफे की मांग भी की। पटेल ने आरोप लगाया कि फ्लोरोसिस की गंभीर बीमारी जो इस क्षेत्र के पेयजल से होती हैं। वालपुर के पास बेहड़वा से 600 करोड़ की परियोजना तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने शुरू की थी। इस अरबों रुपए में से डामोर ने लगातार भ्रष्टाचार किया है। क्षेत्र के सैकड़ों आदिवासी गंभीर बीमारियों से पीड़ित होकर पलायन कर गए हैं तथा बाहर ही उनकी मौत हो गई हैं।

पटेल ने कहा कि सरकार सही में आदिवासियों के हित की चिंता कर रही है तो बीते 14 सालों में फ्लोरोसिस से हुई मौतों का ईमानदारी से सर्वे करवाकर मुआवजा बांटे। उन्होंने मांग की कि सांसद डामोर सहित उनके भ्रष्ट अधिकारियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए।