गाय गोहरी पर्व: जब जमीन पर लेटे व्यक्तियों के ऊपर से गुजरती है गायें

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गाय गोहरी पर्व: जब जमीन पर लेटे व्यक्तियों के ऊपर से गुजरती है गायें

धार से छोटू शास्त्री की रिपोर्ट

धार जिले के सरदारपुर क्षेत्र के ग्राम दसाई में दीपावली के अगले दिन पड़वा पर परंपरागत गाय गोहरी पर्व धूमधाम से मनाया गया।यह आयोजन न सिर्फ मालवा क्षेत्र बल्कि पूरे देश में प्रसिद्ध है, जिसे देखने हर साल हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। जिले के कई स्थानों पर यह पर्व मनाया जाता है।

इस पर्व की सबसे विशेष परंपरा रही मन्नतधारी लोगों की आस्था। मान्यता है कि जो भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर धन्यवाद स्वरूप भगवान को प्रणाम करना चाहते हैं, वे जमीन पर लेटकर गायों को अपने ऊपर से गुजरने देते हैं।

गायों के चरणों से गुजरते समय भक्त ‘गोवर्धन भगवान की जय’ और ‘जय गोमाता’ के जयकारे लगाते हैं। यह दृश्य देखने के लिए दूर-दूर से लोग दसाई पहुंचते हैं। हालांकि इस दौरान लोग घायल भी हो जाते है। पर्व के दौरान पूरा गांव भक्ति और उत्साह में डूबा नजर आया।

दीपावली के दूसरे दिन पड़वा पर सरदारपुर के ग्राम दसाई में पारंपरिक गाय गोहरी पर्व का आयोजन हुआ।

सुबह से ही यहां श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा।

गांव में गोवर्धन पूजा की गई और भक्तों ने पारंपरिक विधि से गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा की। इस दौरान श्रद्धालुओं ने सजी-धजी गायों के साथ पूजा अर्चना की और गांव की गलियों में उत्सव जैसा माहौल देखने को मिला। रंग-बिरंगे परिधानों में सजे ग्रामीणों ने गायों को फूल-मालाओं से सजाया और पारंपरिक “हिडी” गीतों पर नृत्य किया….इस पर्व की सबसे विशेष परंपरा रही मन्नतधारी लोगों की आस्था। मान्यता है कि जो भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर धन्यवाद स्वरूप भगवान को प्रणाम करना चाहते हैं, वे जमीन पर लेटकर गायों को अपने ऊपर से गुजरने देते हैं।

गायों के चरणों से गुजरते समय भक्त ‘गोवर्धन भगवान की जय’ और ‘जय गोमाता’ के जयकारे लगाते हैं। यह दृश्य देखने के लिए दूर-दूर से लोग दसाई पहुंचते हैं। हालांकि इस दौरान लोग घायल भी हो जाते है। पर्व के दौरान पूरा गांव भक्ति और उत्साह में डूबा नजर आया।

सजीव लोक परंपरा और ग्रामीण आस्था का यह अद्भुत संगम हर साल हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।

सरदारपुर के आसपास के गांवों में भी गाय गोहरी पर्व की धूम देखने को मिली , गाय गोहरी पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह ग्रामीण संस्कृति, आस्था और परंपरा का जीवंत प्रतीक है।
दसाई जैसे गांव आज भी इन परंपराओं को संजोए हुए हैं, जिससे भारतीय संस्कृति की जड़ें और मजबूत होती जा रही हैं।