Crores Went Into Water : कान्ह-सरस्वती की सफाई के नाम पर खर्च करोड़ों गए पानी में!
Indore : नगर निगम ने कान्ह और सरस्वती नदी की सफाई के नाम पर 15 साल में 1157 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। इसके बावजूद सरकार ने नदी को प्रदूषित घोषित कर दिया। सरकार ने कान्ह-सरस्वती के पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए 598 करोड़ की योजना बनाई है। स्मार्ट सिटी कंपनी ने जहां 9.18 करोड़ खर्च किए, वहां पत्थर उखड़ने लगे। नदी सफाई का पाखंड रचते हुए दो साल जहां नगर निगम ने सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाया था। अमितेष नगर के उस घाट से लोग इसलिए बच रहे हैं, क्योंकि यहां नदी का पानी दुर्गंध फैला रहा। सफाई के नाम पर किए गए काम दो साल में ही जवाब देने लगे।
एरिया बेस्ड डेवलपमेंट क्षेत्र में आने वाले गणगौर घाट से लेकर जयरामपुर पुल तक नदी के दोनों किनारों पर स्मार्ट सिटी कंपनी ने 9.18 करोड़ खर्च कर नया स्वरूप देने का दावा किया था। दोनों तरफ पत्थर रखकर गेवेडियन वॉल तैयार की थी। पाथ-वे बनाकर इनके आसपास लाखों रुपए के बिजली के पोल और लाइट लगाई गई थी। लाखों के पौधे लगाए थे। लगभग दो साल पहले ही ये काम पूरा हुआ है, लेकिन यहां की सजावट बिखरने लगी है। दीवार जगह-जगह से टूट रही है। इसके कई कोने धंस गए हैं।
बर्बादी का कारण यह रहा कि अधिकारियों ने पत्थर तो लगा दिए, लेकिन उसमें न तो मिट्टी डाली और न नदी के किनारों पर गहरी जड़ वाले पेड़ लगाए। इससे पत्थरों की पकड़ नहीं हो पाई और अब पत्थर गिरने लगे। नदी के सौंदर्यीकरण के दावों में नगर निगम अमितेश नगर के कार्यों को उपलब्धि के तौर पर पेश करता है। खासतौर पर 22 फरवरी 2021 को यहां हुए सरस्वती वंदना के सांस्कृतिक कार्यक्रम को।
सांसद शंकर लालवानी ने इस कार्यक्रम में अपने भाषण में कहा था कि यहां जो काम हुआ है, उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। लगता है वास्तव में सही कहा था। जो हुआ वो कल्पना से परे ही हुआ। निगम ने यहां पुराने पुल को स्टॉप डेम में बदलने के साथ नदी का पानी रोका था। नदी किनारे रेलिंग लगाकर पत्थर के घाट बनाए थे। नदी के पानी को साफ रखने के लिए पांच से ज्यादा फ्लोटिंग फव्वारे लगाए थे। नदी के अंदर हरियाली के लिए फ्लोटिंग आइलैंड बनाए गए थे, सारी कोशिशें बेकार गई।
सीवरेज का पानी नदी में
स्टॉप डेम के आगे ही सीवरेज का पानी नदी के पानी में मिल रहा है। नदी में पानी भरने के कारण साल भर पहले फव्वारे बाहर निकाले थे, जो बाहर ही हैं। एक फव्वारे को किसी ने जला दिया, लेकिन अफसरों को इसकी खबर तक नहीं है। नदी में जमी गाद और गंदे पानी से दुर्गंध फैल रही है। पुल की रेलिंग टूट चुकी है, जिससे पुल से गुजरना खतरनाक हो गया है। कुल मिलाकर अभी तक किया गया सारा खर्च पानी में चला गया।