उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का क्रेज लोगों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। होलियाना माहौल में बुलडोजर और भगवा कलर सुपरहिट है।
ग्राहक लाल-हरे रंगों की बजाय भगवा कलर, बुलडोजर और भगवा रंग की मोदी-योगी टोपी खरीदते देखे जा रहे हैं। योगी मुखौटा की भी खूब डिमांड है। कहीं, युवा अपने शरीर पर योगी आदित्यनाथ और बुलडोजर के टैटू बनवाने के लिए कतार में लगे हैं, कहीं महिलाएं हाथों की मेहंदी में बुलडोज़र की डिजाइन बनवा रही है। दूसरी ओर, सियासी गलियारे में नए मंत्रिमंडल की रंगारंग ताजपोशी की गहमागहमी जारी है।
पिछले पांच वर्षों में योगी सरकार ने सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले बाहुबलियों की संपत्तियों को ध्वस्त करने के लिए बुलडोजर का जमकर इस्तेमाल किया, जिसने बुलडोजर को सुर्खियों में ला दिया।
अक्सर महिलाएं मेहंदी में फूल पत्ती या कोई खास डिजाइन बनवाती हैं लेकिन इस बार बुलडोजर भी मेहंदी की डिजाइन में शामिल हो गया है।
आगरा में तो मुस्लिम युवा तक बुलडोजर और योगी की छवि वाले टैटू बनवाने वालों की कतार में शामिल देखे गए। दूसरी ओर, ग्राहक लाल- हरे रंगों की बजाय बुलडोजर और अबीर-गुलाल के साथ भगवा रंग खरीदते देखे जा रहे।
सीएम सिटी गोरखपुर में बुलडोजर पिचकारी की मांग इतनी है कि ये पिचकारी होली से पहले ही बाजार से गायब हो गई। इसके अतिरिक्त बाजार में योगी-मोदी के मुखौटे भी जबरदस्त धूम मचाए हुए हैं।
लखनऊ-सुल्तानपुर रोड पर तो बाकायदा बुल्डोजर फेमिली ढाबा खुल गया है। बोले तो, मोदी और केजरीवाल वाली पतंग और पिचकारियों के साथ इनके नाम से होली के कलर बिकते दिल्लीवासी देख चुके हैं।
गोरखपुर का होली जुलूस तो ऐसे भी मशहूर है, इस बार योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा को विधानसभा चुनावों में मिली ऐतिहासिक जीत से उल्लास का रंग और चोखा है।
धर्म शास्त्र अनुसार होलिका दहन के बाद सूर्योदय काल व्यापिनी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में रंगोत्सव मनाया जाना चाहिए।
इस बार प्रतिपदा 18 मार्च को दोपहर 12.53 बजे लग रही है जो 19 मार्च को दोपहर तक है। तो, चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा उदया तिथि में 19 मार्च को ही मिल रही है। गोरखपुर में इसीलिए होली कल अर्थात् 19 मार्च को खेली जाएगी।
हालंकि, काशी में चौदह योगिनी परिक्रमा यात्रा के मान के तहत आज ही होली मनाई जा रही है।
सीएम सिटी में गुरुवार शाम पांडे हाता चौराहे से होलिका दहन तक निकली यात्रा में बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर परंपरा को निभाते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए।
सीएम ने श्रद्धालुओं के साथ फूलों की होली भी खेली। यात्रा में देवी- देवताओं की झांकियां और बैंड भी शामिल रहे। दूसरी ओर, पीएम सिटी काशी में मंगलवार को मणिकर्णिका घाट पर मसान की होली खेली गई।
मणिकर्णिका घाट पर श्मशान नाथ बाबा के श्रृंगार और भोग से इस पर्व की शुरुआत होती है। मसान की इस होली में जिन रंगों का इस्तेमाल होता है, उसमें यज्ञों-हवन कुंडों या अघोरियों की धूनी और चिताओं की राख का इस्तेमाल किया जाता है। काशी दुनिया की एक मात्र ऐसी नगरी है जहां मनुष्य की मृत्यु को मंगल माना जाता है।
मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन पार्वती का गौना करने के बाद देवगण और भक्तों के साथ बाबा होली खेलते हैं।
लेकिन भूत-प्रेत, पिशाच आदि जीव-जंतु उनके साथ नहीं खेल पाते, इसलिए अगले दिन बाबा मणिकर्णिका तीर्थ पर स्नान करने आते हैं और अपने गणों के साथ चिता की भस्म से होली खेलते हैं। राख में गुलाल को भी मिश्रित किया जाता है।
दरअसल, ये अनोखी परम्परा दर्शाती है कि मृत्यु का भय नहीं होना चाहिए बल्कि ये तो मोक्ष का एक रास्ता है।
उधर, सीएम, अब कल शनिवार को राष्ट्रीय सेवक संघ और श्री होलिकोत्सव समिति महानगर द्वारा परंपरागत रूप से निकाली जाने वाली भगवान नृसिंह की शोभा यात्रा में रथ पर सवार होकर शामिल होंगे। आठ किलोमीटर लंबी शोभा यात्रा घंटाघर से निकलकर विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण करते हुए पुनः घंटाघर आकर समाप्त होगी। शोभायात्रा में नशा करके शामिल होना प्रतिबंधित है।
साथ ही, नीले और काले रंग का इस्तेमाल भी प्रतिबंधित है। बांसुरी की मधुर धुन के बीच संघ का 20 फीट का ध्वज
चढ़ाया और बिगुल की गूंज के साथ उतारा जाएगा। भगवान नृसिंह की महाआरती होने के बाद तुरही व नगाड़े भी बजेंगे। इस बार शोभायात्रा में पांच ट्रालियां शामिल की जाएंगी, जिन पर रंग घोलकर रखा होगा। हर ट्राली पर 15-20 स्वयं सेवक होंगे जो पिचकारियों सें लोगों पर रंगों की बौछार करेंगे।
शोभायात्रा में 2 क्विंटल अबीर-गुलाल उड़ाया जाता है तो, 2 ही क्विंटल गुलाब व गेंदा के फूलों की पंखुड़ियां उड़ा कर होली खेली जाती है।
गोरखपुर में भगवान नृसिंह रंगोत्सव शोभायात्रा की शुरुआत अपने गोरखपुर प्रवासकाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक नानाजी देशमुख ने 1944 में की थी। गोरखनाथ मंदिर में होलिकादहन की राख से होली मनाने की परंपरा इसके काफी पहले से जारी थी। नानाजी का यह अभियान होली के अवसर पर फूहड़ता दूर करने के लिए था। नानाजी के अनुरोध पर इस शोभायात्रा का गोरक्षपीठ से भी गहरा नाता जुड़ गया। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के निर्देश पर महंत अवेद्यनाथ शोभायात्रा में पीठ का प्रतिनिधित्व करने लगे और यह गोरक्षपीठ की होली का अभिन्न अंग बन गया।
1996 से योगी आदित्यनाथ ने इसे अपनी अगुवाई में न केवल गोरखपुर बल्कि समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामाजिक समरसता का विशिष्ट पर्व बना दिया। अब इसकी ख्याति मथुरा-वृंदावन की होली सरीखी है। गत दो वर्ष कोविड के संक्रमणकाल में जनमानस की सुरक्षा के दृष्टिगत योगी शोभायात्रा में शामिल नहीं हुए थे।
ताजपोशी की तैयारीः चर्चा है कि योगी आदित्यनाथ होली के बाद 21 मार्च को दोपहर 3 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार योगी सरकार के ज्यादातर मंत्री फिर से मंत्रिमंडल में दिखाई देंगे।
उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल और आगरा ग्रामीण से विधायक चुनी गईं बेबीरानी मौर्य को बड़ा पद मिलना तय है। इसकी दो वजहें हैं पहला तो यह कि वो दलित वर्ग से हैं और दूसरा वह महिलाओं का भी प्रतिनिधित्व भी करती हैं।
ऐसे में उन्हें या तो उपमुख्यमंत्री या फिर विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है। वहीं केशव प्रसाद मौर्य भले ही सिराथू से चुनाव हार गए हों, लेकिन पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखने वाले संगठन के मजबूत नेता के रूप में उन्हें फिर से सरकार में सम्मानजनक पद मिल सकता है। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह की भी मेहनत का अच्छा फल दिया जा सकता है। इसके अतिरिक्त निषाद पार्टी के कोटे से 2 और अपना दल (एस) के कोटे से 3 नेताओं को मंत्री बनाए जाने के आसार हैं। निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ संजय निषाद भी मंत्री बन सकते हैं।
अटल बिहारी वाजपेई इकाना स्टेडियम में होने वाले इस भव्य शपथग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और गृहमंत्री अमित शाह सहित कई केंद्रीय मंत्री और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और प्रमुख नेता शामिल होंगे।
विपक्ष के बड़े नेताओं को भी निमंत्रण दिया जाएगा, जिसमें सोनिया गांधी, मुलायम सिंह यादव शामिल हैं।
झूठ बोले कौआ काटेः
विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले भाजपा के नेता दावा करते रहे कि प्रदेशवासी ‘भगवा रंग’ से होली खेलेंगे जबकि समाजवादी पार्टी ताल ठोकती रही कि ‘लाल रंग’ होली में रंग जमाएगा। रंगों पर राजनीति के दांव से कोई दल नहीं चूका। ‘चिलमजीवी’ जैसे तीखे तंज सपा मुखिया अखिलेश यादव करते रहे, तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सपा पर हमला बोलते हुए कहा था- ‘लाल टोपी वाले उत्तर प्रदेश के लिए खतरे की घंटी हैं।’
आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी व सांसद संजय सिंह ने तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गणवेश वाली काली टोपी लगाए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फोटो ट्वीट करते हुए लिखा- ‘मोदी जी काली टोपी वालों का दिल और दिमाग, दोनों काला होता है।’
अखिलेश यादव ने मऊ में सुभासपा की महापंचायत में तंज कसा- ‘इस महापंचायत में पीले और लाल रंग की संयुक्त ताकत देखकर कोई दिल्ली तो कोई लखनऊ में लाल-पीला हो रहा होगा।’
‘भगवा आतंकवाद’ और ‘हरा वायरस’ भी सियासी स्कूल के इजाद हैं। तो अब जब सब होली के रंग में रंगे हुए हैं, लोग अपनी पुरानी से पुरानी शत्रुता को भी समाप्त कर होली का आनंद उठाते हैं।
ऐसे में सियासी रंगों का जो कटुता भरा तड़का चुनावों में लगा, उम्मीद है कि लोग उसे भूलकर सकारात्मक पक्ष-विपक्ष की भूमिका निभाएंगे।
ये भी गजबः महाराष्ट्र का बीड जिले की केज तहसील के विडा येवता गांव में होली के दिन नए-नवेले दामाद को गधे पर बैठाकर रंग लगाने की रस्म है। बताते हैं कि आज से करीब 80 साल पहले इस गांव के देशमुख परिवार के एक दामाद ने होली में रंग लगवाने से मना कर दिया। दामाद की खूब मान-मनौव्वल हुई मगर वो नहीं माना।
अंत में फूलों से सजा हुआ एक गधा मंगवाया गया और उस पर दामाद को बैठाकर पूरे गांव में घुमाया गया। फिर, दामाद को मंदिर ले जाया गया।
साथ ही उपहार में नए कपड़े और सोना दिया गया। तब से यह अनूठी परंपरा लगातार जारी है। कृष्णप्रिया राधा के गांव बरसाना की लठमार होली तो सुप्रसिद्ध है ही, वृंदावन में विधवाओं की होली भी खेली जाती है। कुछ वर्ष पहले इस चलन की सराहनीय पहल पागल बाबा के मंदिर से हुई थी।
अमूमन ये होली फूलों की होली के अगले दिन अलग-अलग मंदिरों में खेली जाती है। जीवन के रंगों से दूर इन विधवाओं को होली खेलते देखना बेहद ही सुंदर नजारा होता है।