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Crowd Management: साल में एक दर्जन बार कैसे होता है लाखों की भीड़ का मैनेजमेंट…
भोपाल: महाकाल की नगरी उज्जैन में एक साल में करीब एक दर्जन ऐसे मौके आते हैं जब लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। इतने श्रद्धालु को बिना असुविधा हुए उनकी आस्था के अनुरूप अपने पर्व को मना सकें, उन्हें भीड़ के बीच में न फंसना पड़े। इन सभी स्थिति को बेहतर तरीके से प्रबंध करने वाले उज्जैन के पुलिस अधीक्षक सत्येंद्र शुक्ला की इसे लेकर ना सिर्फ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तारीफ की, बल्कि उन्हें इस प्रबंधन का प्रजेंटेशन देने का भी कहा। यह प्रजेंटेशन उन्होंने संभाग आयुक्त, एडीजी-आईजी और सभी जिलों के कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षकों के सामने दिया।
इसमें बताया गया कि उज्जैन में शिवरात्रि और नागपंचमी पर जहां लाखों की संख्या में देश भर से श्रद्धालु जुटते हैं। वहीं श्रावण और भाद्रपद मास में महाकाल की सवारी में भी लाखों श्रद्धालु जुटते हैं। कार्तिक मास की सवारी, दीपोत्सव, हरिहर मिलन, सोमवती, शनिचरी, भूतडी अमावस्या के साथ ही पिछले साल उज्जैन गौरव दिवस पर भी लाखों लोग यहां पर जुटे थे।
ऐसे करते हैं प्रबंध
इतने श्रद्धालुओं को उज्जैन शहर में आने के बाद कोई परेशानी न हो, इसके लिए एसपी सुरेंद्र शुक्ला ने प्लान तैयार किया। इसके लिए उन्होंने शहर के जिम संचालकों के साथ ही शहर की भजन मंडलियों और सेना एवं पुलिस भर्ती की कोचिंग संचालकों से बातचीत की। इसके बाद इन सभी के सहयोग से 700 के लगभग वॉलेंटियर्स तैयार किये। इन्हें बताया गया कि कैसे भीड़ को नियंत्रित करना है, नियंत्रित भी ऐसा करना है कि किसी भी श्रद्धालु को कोई असुविधा ना हो। इस ट्रैनिंग के बाद इन सभी का उपयोग इन आयोजन में किया जाता है।
ये व्यवस्थाएं रहती थी चुनौती
इसमें बताया गया कि जब इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं तो यातायात व्यवस्था, पार्किंग व्यवस्था, मंदिर के अंदर सुलभता से दर्शन, जन सुविधायें, महत्वपूर्ण व्यक्तियों के आगमन की व्यवस्थाएं, आकस्मिक व्यवस्था और सूचना का प्रचार-प्रसार यह व्यवस्थाएं चुनौती होती थी। जिसें एसपी सुरेंद्र शुक्ला ने इस प्रबंधन के जरिए आसान कर दिया।
श्रद्धालुओं की संख्या का कर लेते हैं पहले ही आंकलन
इस प्रजेंटेंशन में बताया गया कि जैसा पर्व होता है, उसके अनुसार पहले से ही पुलिस और जिला प्रशासन मिलकर श्रद्धालुओं के उज्जैन आने की संख्या का आंकलन किया जाता है। इसके साथ ही समन्वय बैठक की जाती है। इसके बाद व्यवस्थाएं लगाई जाती हैं।