मैहर में मुनाफे का सौदा बनी इलाहाबादी सफेदा किस्म के अमरूद की खेती, स्वाद में लाजवाब, देश-विदेश में सप्लाई

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मैहर में मुनाफे का सौदा बनी इलाहाबादी सफेदा किस्म के अमरूद की खेती, स्वाद में लाजवाब, देश-विदेश में सप्लाई

 

मैहर के प्रतापगढ़ के बगीचों में होने वाले इलाहाबादी सफेदा अमरूद की खुशबू अब विंध्य के अलावा देश विदेशों में पहुंच चुकी है। अब इलाहाबादी सफेदा अमरूद को जानने और खाने के लिए लोग बेकरार है। यह फल अपने स्वाद और गुणों को लेकर जाना जाता है।

प्रतापगढ़ की जमीन बेहद उपजाऊ

अमरपाटन के बिहारी बाग में अमरूद में वैसे तो कई वैरायटी हैं। लेकिन सबसे ज्यादा डिमांड इलाहाबादी सफेदा की ही होती है। यह अमरूद अपने रसीले, मीठे और स्वादिष्ट फलों के लिए जाना जाता है। चूंकि, प्रतापगढ़ की जमीन बेहद उपजाऊ है, इसलिए यहां इलाहाबादी सफेदा का अच्छा उत्पादन होता है।

देश-विदेश भेजे जाते हैं अमरूद

बिहारी बाग में लखनऊ 49 और इलाहाबादी सफेदा अमरूद का बहुत बड़ा बगीचा है। करीब दो हजार अमरूद के पेड़ लगे है। इस बार अमरूद की अच्छी पैदावार होने के साथ इसकी डिमांड भी ज्यादा है। क्योंकि, यहां पर बड़े पैमाने पर अमरूद की खेती होती है। बाग से रोजाना लगभग 250 कैरेट अमरूद तोड़े जाते हैं। जिसके कारण यहां के अमरूद दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत छत्तीसगढ़ में सप्लाई होती है। फिर वहां से देश विदेश में भी भेजा जाता है।

किसानों को लाखों रुपए का मुनाफा

बिहारी बाग के किसान राकेश ने बताया कि पिछले 4 साल से अब तक लाखों के अमरूद बेच चुके हैं। बाग के इलाहाबादी सफेदा अमरूद की जबरदस्त डिमांड है। इसके अलावा भी कई प्रकार की प्रजाति के अमरूद बगीचे में हैं।

250 से 255 कैरेट प्रतिदिन अमरूद निकलते हैं

बिहारी बाग में करीब 45 सालों से बागवानी कर रहे कोदुलाल यादव ने बताया कि सर्दी के सीजन में बाग से करीब 250 से 255 कैरेट प्रतिदिन अमरूद निकल आते हैं। सुबह से लेकर शाम तक 12 लोग से अधिक यहां काम करते है। कर्मचारियों अमरूदों को पेड़ से तोड़कर कैरेट में जमाते है। गाड़ी आती ही उसमें लोड कर सप्लाई कर देते हैं। इन सभी किसानों की सालाना कमाई लाखों रुपये में है।

धीरे-धीरे बागबान हो रहा खत्म

बिहारी बाग के मालिक वीरेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारे बगीचे में दो प्रकार के अमरूद के पेड़ लगाए गए हैं। जिसमे से एक है लखनऊ 49 और दूसरा इलाहाबादी सफेदा इन सभी पेड़ों की संख्या करीब दो हजार है। जिसमें से 300 पेड़ खराब हो गए है। धीरे-धीरे बागबान खत्म हो रहा है लेकिन पेड़ों के सूखने का कारण पता नहीं कर पाए हैं।

विटामिन सी से भरपूर अमरू

वीरेंद्र सिंह ने आगे बताया की इलाहाबादी अमरूद की डिमांड ज्यादा है। स्वाद भी अच्छा है। वैसे तो लाल अमरूद भी आता है, लेकिन उसकी मार्केट में डिमांड काम है। स्वाद भी खाने में अच्छा नही होता है। लोग ज्यादातर इलाहाबादी सफेदा ही पसन्द करते है। अमरूद को सर्दियों का सबसे फायदेमंद फल माना जाता है। विटामिन सी से भरपूर अमरूद पेट और इम्यूनिटी के लिए बहुत फायदेमंद है।