Cyber Fraud : सहकारी बैंक का 146 करोड़ का साइबर फ्रॉड पकड़ा गया!
Lucknow : साइबर क्राइम पुलिस ने 146 करोड़ के फ्रॉड के सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। लखनऊ के बहुचर्चित यूपी सहकारी बैंक में हुए 146 करोड़ के सायबर फ्रॉड मामले में 5 आरोपी गिरफ्तार हुए। आरोपियों के पास से दस्तावेज के अलावा जरूरी चीजें मिली। ये पूरी वारदात की किसी आपराधिक फिल्म की कहानी जैसी है। आश्चर्य की बात ये कि बदमाशों ने डेढ़ साल तक इस साजिश पर काम किया और करीब एक करोड़ रुपए खर्च किए।
यह घटना 16 अक्टूबर 2022 शनिवार की है। उस दिन लखनऊ के उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक से 7-8 खातों में 146 करोड़ रुपए की रकम ट्रांसफर हुई। सोमवार को जब बैंक खुला, तो करोड़ों का ट्रांजेक्शन देखकर बैंक मैनेजर के होश उड़ गए। तत्काल STF थाने को मामले की सूचना दी गई। साइबर थाने को भी मामले की पूरी जानकारी से अवगत कराया। साइबर टीम ने तुरंत एक्शन लेते हुए उन सभी खातों को फ्रीज कर दिया, जिनमें राशि ट्रांसफर हुई थी। साइबर पुलिस टीम की कार्रवाई से करोड़ों की साइबर लूट की वारदात को सफल होने से रोक लिया गया।
पुलिस ने जिन पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया, उनमें वारदात का मास्टर माइंड रामराज है। वह लोक भवन लखनऊ में अनुभाग अधिकारी है। दूसरा मास्टर माइंड ध्रुव कुमार श्रीवास्तव है। तीसरा आरोपी कर्मवीर सिंह यूपी को-आपरेटिव बैंक के महमूदाबाद कार्यालय में भुगतान विभाग में था। चौथा आकाश कुमार और पांचवा भूपेंद्र सिंह है। इस वारदात को अंजाम देने के लिए सभी बदमाशों ने 18 महीने तक प्लानिंग की और करीब एक करोड़ रुपए खर्च किए। आठ बार वे अपनी कोशिशों में फेल भी हुए! इसके बाद 146 करोड़ की धोखाधड़ी में सफल हुए। लेकिन, मकसद 300 करोड़ रुपए को पार करने का था। लेकिन, उनके हाथ आधे भी नहीं आए, जो मिले वो भी पकड़े गए।
पकड़े गए आरोपी ध्रुव कुमार श्रीवास्तव ने पुलिस पूछताछ में बताया कि मैं अपने मित्र ज्ञानदेव पाल के साथ मई 2021 में लखनऊ आया था। यहां मेरी मुलाकात आकाश कुमार से हुई। आकाश के जरिए हम एक ठेकेदार से मिले, जिसने बताया कि मेरे पास एक हैकर है, यदि हम लोग यूपी सहकारी बैंक के किसी अधिकारी को सेट कर लें, तो बैंक के सिस्टम को रिमोट एक्सेस करके लगभग 300 करोड़ रुपए अपने फर्जी खातों में ट्रांसफर कर सकते हैं।
हैकर को मुंबई से बुलाया गया
ध्रुव कुमार ने बताया कि भूपेंद्र सिंह के जरिए बैंक के महमूदाबाद सहायक प्रबंधक कर्मवीर सिंह से मुलाकात हुई। हम लोगों ने मुंबई से एक हैकर बुलाया जिसे होटल कंफर्ट जोन चारबाग में ठहरा गया। यहां उसने एक डिवाइस तैयार की, जिसे कर्मवीर सिंह और ज्ञानदेव पाल बैंक के सिस्टम में लगाते रहे। हम लोगों ने 8 बार हेराफेरी की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली।
रामराज ने योजना को पूरा किया
ध्रुव ने यह भी बताया कि बाद में हम लोक भवन में अनुभाग अधिकारी रामराज से मिले। इनकी टीम में उमेश गिरी था, उसने पूर्व बैंक प्रबंधक आरएस दुबे से संपर्क किया। इसके बाद 14 अक्टूबर 2022 को दुबे, रवि वर्मा और ज्ञानदेव पाल शाम 6 बजे के बाद बैंक गए। यहां आकर इन लोगों ने सिस्टम में कीलॉगर इंस्टॉल किया और हैकर की बनाई गई डिवाइस फिट कर दी। ध्रुव ने बताया कि 15 अक्टूबर 2022 की सुबह हम लोग 5 टीम में बंट गए। इस टीम में 15 से 20 लोग थे। सभी केडी सिंह बाबू स्टेडियम के पास पहुंचे। इसके बाद रवि वर्मा और आरएस दुबे बैंक के अंदर गए। जब बाहर से ट्रांजेक्शन होता, तो ये लोग सिस्टम में इंस्टॉल सॉफ्टवेयर को अन-इंस्टॉल कर देते। इसके बाद सिस्टम में लगे डिवाइस और बैंक में लगे डीवीआर को निकाल लेते. मगर, बैंक के गार्ड ने इनको टोक दिया, फिर ये सभी वापस आ गए। उसी दिन लंच के टाइम में मौका मिलते ही ज्ञानदेव पाल, उमेश गिरी, बैंकर ने साइबर एक्सपर्ट के साथ मिलकर 146 करोड़ रुपए गंगासागर सिंह की कंपनियों के अलग-अलग खातों में RTGS के जरिए ट्रांसफर कर दिए।
अकाउंट फ्रीज होने पर सभी हो गए थे फरार
बैंक से खाते में पैसे ट्रांसफर होने की जानकारी मिलते ही सभी सदस्य ब्रेक प्वाइंट ढाबा लखनऊ-अयोध्या रोड़ बाराबंकी पहुंचे। यहां हमें जानकारी लगी कि गंगासागर की कंपनियों के वे सभी अकाउंट फ्रीज हो गए। जिनमें पैसा ट्रांसफर किया गया था। हमने उसके बाद दो-तीन घंटे तक पैसे ट्रांसफर होने का इंतजार भी किया। फिर उसके बाद भी पैसे ट्रांसफर नहीं हुए, तो मैं अपनी टीम के साथ नैनीताल भाग गया। दूसरे गैंग मेंबर भी फरार हो गए।
इस योजना पर डेढ़ साल में एक करोड़ लगाए
ध्रुव ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि इस काम के लिए हमने 18 महीने तक मेहनत की। एक करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम पानी की तरह बहाई। ताकि, वारदात कामयाब हो और कोई सुराग न छूटे। हैकर्स और गिरोह के सदस्यों के रुकने के लिए होटल कंफर्ट जोन में एक साल तक कई बार कमरे बुक किए गए। इसी में 30 लाख रुपए खर्च हुए। इसके अलावा 15 से 20 लाख रुपए मैंने और भी खर्च किए गए। डिवाइस के लिए अन्य सदस्यों ने भी लगभग 50 लाख रुपए खर्च किए।
साइबर टीम ने अंत में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों पर धारा 419, 420, 452, 467, 468, 471, 120 बी और 43, 66, 66-सी IT Act में केस दर्ज किया गया। इसके अलावा गैंग के जो लोग फरार हैं, उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस दबिश दे रही है। आरोपियों के पास से एक बैंक आईडी कार्ड, 25 सेट आधार कार्ड और हस्ताक्षरित ब्लैंक चेक, 25 सेट निवास प्रमाण पत्र और सादे भारतीय गैर न्यायिक स्टाम्प साइन किए हुए मिले। आठ मोबाइल फोन, सात एटीएम कार्ड, एक आधार कार्ड, एक पैन कार्ड, एक मेट्रो कार्ड, एक निर्वाचन कार्ड, एक ड्राइविंग लाइसेंस, 15,390 रुपए नकद, 25 सेट हाईस्कूल और इंटर की मूल अंकपत्र और प्रमाण पत्र, एक चार पहिया वाहन और दो टू-व्हीलर बरामद किए गए।
धोखाधड़ी के और भी कई काम
साइबर क्राइम ने जब इनके पास बरामद हाईस्कूल, इंटर मार्कशीट, प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, साइन किए हुए ब्लैंक चेक, निवास प्रमाण पत्र और सादा भारतीय गैर न्यायिक स्टाम्प हस्ताक्षरित के बारे में भी जानकारी ली। आरोपी रामराज ने बताया कि मैं अपने साथी विनय गिरी के साथ मिलकर 120-130 बच्चों को विभिन्न सरकारी विभागों (रेलवे ग्रुप सी, ग्रुप डी, हाइकोर्ट, एनटीपीसी, टीजीटी, पीजीटी, एएनएम) में भर्ती करने के नाम पर रुपए ऐंठने का काम करता था। मैं सचिवालय में अनुभाग अधिकारी हूं. इसकी वजह से मुझे भर्ती संबंधित जानकारी आसानी से मिल जाती थी, इसका लाभ उठाकर मैं लोगों का विश्वास हासिल कर लेता था और फ्रॉड करता रहा।