
‘डी’ यानि डोनाल्ड, डिस्ट्रायर और ‘टी’ यानि ट्रंप, ट्रेड, टैरिफ और टेंशन ही टेंशन…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
यह ट्रंप नाम का बाज पूरी दुनिया के वायुमंडल में कोहराम मचा रहा है। यह बाज नहीं मगरमच्छ है जो दुनिया के सभी सागरों में असुरक्षा का पर्याय बन रहा है। यह मगरमच्छ नहीं शायद यह मदमस्त बिगडैल हाथी है जो पूरी पृथ्वी पर बर्बादी का नया इतिहास रच रहा है। कुछ भी कह सकते हैं। यह भी कहा जा सकता है कि ट्रंप नाम का यह आदमकद मानव पूरी दुनिया में शांतिदूत बनने के लिए अशांति का नंगा नाच दिखा रहा है। यह भी कहा जा सकता है कि ट्रंप नाम का यह स्वघोषित अधिपति उसके सुर में सुर न मिलाने वालों को असुर की श्रेणी में रखकर उनके समूल नाश पर उतारू है। यह भी कहा जा सकता है कि ट्रंप नाम का यह सौदागर साम, दाम, दंड, भेद हर तरकीब अपनाकर सिर्फ और सिर्फ अपना घर भरने की नीति पर तांडव नृत्य करने पर उतारू है। और हो सकता है कि भस्मासुर की तरह पूरी दुनिया के पीछे दौड़ लगा रहा ट्रंप नाम का खुद को परमशक्तिशाली मान रहा यह ‘दामानव’ सबको भस्म करने की कचेष्टा में खुद को ही ना भस्म कर बैठे। पर खेद की बात यह है कि भस्म होने से पहले यह भस्मासुर पूरी दुनिया में इतना विनाश कर देगा कि कई देश नष्ट हो चुके होंगे और कई देश अपनी किस्मत पर रोने को मजबूर होंगे। वास्तव में देखा जाए तो इनके नाम के दो प्रारंभिक अक्षर ‘डी’ मानो ‘डोनाल्ड’ ‘डिस्ट्रॉयर’ शब्दों का पर्याय हैं। और फिलहाल ‘टी’ का मतलब ट्रंप, ट्रेड, टैरिफ और टेंशन ही टेंशन तक सीमित रह गया है।
दुनिया की खबरों पर नजर डालें तो हर दिन विनाश का नया इतिहास बनता नजर आता है। एक और जंग की आहट। भारत से 91 गुना छोटे देश ने बढ़ाई टेंशन, आसमान की तरफ तैनात कर दीं खतरनाक मिसाइलें। दुनिया के सामने अब एक और बड़ी चिंता सामने आ रही है। दो सबसे ताकतवर देश अमेरिका और चीन भी आमने-सामने खड़े नजर आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच ट्रेड, टैरिफ और ताइवान को लेकर तनाव फिर से बढ़ने लगा है। और ताइवान एक छोटा सा देश है जिसने मिसाइलें तैनात कर दी हैं। अमेरिका ने दो दिन पहले अपने सहयोगी देशों से पूछा था कि अगर चीन से जंग होती है तो कौन-कौन उसका साथ देगा? हालांकि, इस सवाल का जवाब अमेरिका के लिए चौंकाने वाला रहा। उसके दो प्रमुख सहयोगी जापान और ऑस्ट्रेलिया ने साफ तौर पर यह संकेत दिया कि वे इस लड़ाई में अमेरिका का साथ नहीं देंगे। पर इन जवाबों से ट्रंप की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला यह दोनों देश भी जानते हैं और डोनाल्ड भी। पर इससे यह बात साफ हो गई है कि तनाव का बहाव अब एशिया को अपनी बाहों में भरने के लिए तैयार है। चीन, अमेरिका के साथ एशिया के सभी देश और ऑस्ट्रेलिया भी अछूते नहीं रह पाएंगे।
दुनिया की एक और खबर यह है कि इजरायल हमास का युद्ध अभी नहीं थमा है। गाजा पट्टी पर 15 जुलाई को इजराइली हमलों में 90 से अधिक फिलस्तीनी मारे गए, जिनमें कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। तो इसके साथ ही एक और धमाका सीरिया में भी। सीरिया के स्वेइदा शहर में ड्रूज और बेदौइन जनजातियों के बीच दो दिनों से जारी घातक संघर्ष के बीच इजरायल ने सरकारी बलों और हथियारों पर बमबारी की है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दावा किया कि सीरियाई सरकार इन हथियारों का इस्तेमाल ड्रूज समुदाय के खिलाफ करने जा रही थी। वहीं, सीरिया ने इजरायल की कार्रवाई की निंदा की है और कहा कि हमले में उनके सैनिकों और आम नागरिकों की मौत हुई है। मानवाधिकार निगरानी संस्था एसओएचआर के मुताबिक झड़पों में अब तक 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। यह कदम संभवतः सीरिया में जारी जातीय हिंसा और क्षेत्रीय तनाव को काबू में लाने की अमेरिकी कोशिशों के तहत उठाया गया है।
उधर ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने कहा है कि इजरायल के हमलों का उद्देश्य उनके देश में अस्थिरता फैलाना था। इसके लिए एक पूरे प्लान के तहत बमबारी और लक्षित हत्याएं की गई लेकिन ईरान ने इसका डटकर सामना किया। खामेनेई ने अपने बयान में कड़ी भाषा का इस्तेमाल करते हुए इजरायल को अमेरिका का कुत्ता कहकर संबोधित किया है। खामेनेई ने कहा कि अमेरिका और उसके ‘पट्टे से बंधे कुत्ते इजरायल’ से लड़ना ईरान के लिए प्रशंसनीय बात है। यानी यहां भी बस तनाव, तनाव और तनाव ही नजर आ रहा है। सीजफायर में टेंशनफायर का झाग निकल रहा है।
और यह भी देख लो कि जनवरी में व्हाइट हाउस आने के बाद से डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत की परेशानियों को बढ़ा रहे हैं। यूक्रेन युद्ध खत्म करवाने में नाकाम रहने वाले डोनाल्ड ट्रंप अब हर हाल में रूस की इकोनॉमी का गला घोंटना चाहते हैं। इसके लिए वो भारत और चीन के खिलाफ भारी भरकम टैरिफ लाने की बात कर रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप के बाद नाटो के चीफ मार्क रूटे ने भी कहा है कि “अगर ब्राजील, चीन और भारत जैसे देश रूस के साथ व्यापार जारी रखते हैं, तो उन पर सेकेंड्री टैरिफ बहुत भारी पड़ सकते हैं। इससे पहले ट्रंप ने कहा था कि “यदि रूस अगले 50 दिनों में यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के लिए राजी नहीं होता, तो अमेरिका उन देशों पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाएगा, जो रूस से तेल, गैस, हथियार या कृषि उत्पाद खरीदते हैं।” इसे “सेकेंडरी टैरिफ” नाम दिया गया है, यानी यह सीधे रूस को नहीं, बल्कि रूस के व्यापारिक साझेदारों को चोट पहुंचाने की अमेरिका की रणनीति है। और अगर इसे युद्ध की भाषा में समझा जाए तो अमेरिका अब भारत, चीन, ब्राजील से भी सीधे युद्ध के लिए तैयार है। पाकिस्तान और ताइवान के प्रति अमेरिका का प्रेम भी यही भाषा बोल रहा है। यहां तेल यानी ट्रेड के बहाने ही आग लगाने की तैयारी है।
और रूस-यूक्रेन के बिना कहानी खत्म नहीं होती। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन, यूक्रेन को तबाही मचाने की क्षमता रखने वाली टॉमहॉक मिसाइलों को सौंपने की योजना पर काम कर रहा है। इस मिसाइल से यूक्रेन, रूस की राजधानी मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग जैसे प्रमुख शहरों पर भयानक हमला कर सकता है। इस साल की शुरुआत में ट्रंप प्रशासन ने कुछ समय के लिए यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति रोक दी थी, जिनमें पैट्रियट मिसाइलें और 155 मिमी गोला-बारूद शामिल थे। लेकिन 14 जुलाई को राष्ट्रपति ट्रंप ने 10 अरब डॉलर का नया हथियार पैकेज जारी कर दिया, जो अमेरिका अपने नाटो सहयोगियों को देगा और नाटो सहयोगी उन हथियारों को यूक्रेन तक पहुंचाएंगे।
तो दुनिया की सभी खबरें उसी तरफ ले जा रही हैं, जहां ‘डी’ का मतलब डोनाल्ड और डिस्ट्रॉयर ही साबित हो रहा है और ‘टी’ का मतलब ‘ट्रंप’, ‘ट्रेड’ ‘टैरिफ’ और टेंशन, टेंशन टेंशन ही है…। विनाश की तरफ बड़े कदम अगर अपनी मंजिल पर पहुंचते हैं तो पूरी दुनिया त्राहिमाम त्राहिमाम रटती नजर आएगी। फिर भले ही डिस्ट्रॉयर डोनाल्ड ट्रंप का हाल इतिहास में दर्ज तमाम तानाशाहों की तरह ही हो लेकिन इसका परिणाम तो पूरी दुनिया को ही भुगतना पड़ेगा…।





