दादी प्रकाशमणि जी यज्ञ स्नेही एवं यज्ञ रक्षक थी वे सत्यता और सेवा की प्रतिमूर्ति थी–ब्रह्माकुमारी मनोरमा दीदी

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दादी प्रकाशमणि जी यज्ञ स्नेही एवं यज्ञ रक्षक थी वे सत्यता और सेवा की प्रतिमूर्ति थी–ब्रह्माकुमारी मनोरमा दीदी

रतलाम से रमेश सोनी की रिपोर्ट

दादी प्रकाशमणि जी यज्ञ स्नेही एवं यज्ञ रक्षक थी।वे सत्यता और सेवा की प्रतिमूर्ति थी,हम सबको उनके गुणों को आत्मसात कर उनके बताए गए मार्ग पर चलना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करना हैं,वह करोड़ों महिलाओं की प्रेरणा स्रोत थी,उक्त उद्गार राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मनोरमा दीदी ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय राजीव गांधी सिविक सेंटर सेवा केंद्र पर संस्था की पूर्व अंतरराष्ट्रीय मुख्य संचालिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि जी के 15 वें पुण्य स्मृति दिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में दादी जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए व्यक्त किए।
इस अवसर पर वार्ड क्रमांक 22 के नवनिर्वाचित पार्षद एवं एमआईसी सदस्य विशाल शर्मा ने कहा कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय एक संस्था ही नहीं अपितु एक नई वृहद सोच है।इसके आधार पर समूचे विश्व में मानवीय मूल्यों की पुर्नस्थापना का कार्य किया जा रहा है।

विशेष अतिथि के रूप में वार्ड 32 के नवनिर्वाचित पार्षद एमआईसी सदस्य रामलाल डाबी ने कहा कि दादी प्रकाशमणि जी वात्सल्य और ममता की प्रतिमूर्ति थी।वह सरल सहज व्यक्तित्व की धनी थी।आध्यात्मिक जगत में उनके द्वारा किए गए कार्यों को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।भाजपा नेता एवं समाजसेवी महेंद्र शर्मा ने कहा कि दादी जी का व्यक्तित्व अद्भुत और विशाल था।

*विकास को लेकर नित नए आयाम स्थापित किए*
उनके कार्यकाल में संस्था ने विश्व में चारों ओर अभूतपूर्व सेवा कार्य कर प्रगति के नित नए आयाम स्थापित किए हैं।इस अवसर पर संस्था के बी.के.भारत सिंह चौहान ने कहा कि दादी जी प्रकाशमणि के साथ-साथ पारस मणि भी थी।उन्होंने सिर्फ परमात्मा पर भरोसा रख कर ईश्वरीय सेवाओं को नई दिशा दि।इस अवसर पर दादी जी के निमित्त परमात्मा भोग भी स्वीकार कराया गया।
श्रद्धांजलि सभा में राजेश मोडिया,ललित केसवानी,कृष्ण कुमार चौहान,जीवन दास बैरागी, नैतिक मोडिया,राजेंद्र मरमट,विनोद मीणा,श्वेता सोनी,धर्मा कोठारी मानसी केसवानी,राधा राठौर,साधना चौहान,पूनम लिंबोदिया सावित्री मरमठ इन सभी ने भी दादी जी को पुष्पांजलि,भावंजली अर्पित की।
कार्यक्रम का संचालन बी.के. भारत सिंह चौहान ने किया।