Damoh Collector’s Fake Whatsaap Account: साइबर अपराधियों के निशाने पर IAS अफसर, कलेक्टर ने SP को लिखा पत्र

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Damoh Collector’s Fake Whatsaap Account: साइबर अपराधियों के निशाने पर IAS अफसर, कलेक्टर ने SP को लिखा पत्र

Damoh: देशभर में साइबर अपराधी अब आम लोगों से आगे बढ़कर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के नाम और फोटो का भी दुरुपयोग करने लगे हैं। ताजा मामला मध्यप्रदेश के दमोह जिले से सामने आया है, जहां कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर के नाम और तस्वीर का इस्तेमाल करते हुए एक फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट बनाया गया है। ठग इस अकाउंट से लोगों से संपर्क कर धोखाधड़ी की कोशिश कर रहे हैं।

**कलेक्टर के नाम से फर्जी नंबर सक्रिय**
कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने बताया कि +84 915677074 नंबर से उनके नाम और फोटो का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। यह व्हाट्सएप अकाउंट उनकी पहचान का दुरुपयोग करते हुए अधिकारियों और परिचितों से संपर्क करने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह अकाउंट पूरी तरह फर्जी है और उनका इससे कोई संबंध नहीं है।

**एसपी को लिखा पत्र, कार्रवाई के निर्देश**
कलेक्टर कोचर ने इस गंभीर मामले पर तत्काल संज्ञान लेते हुए पुलिस अधीक्षक (SP) श्रुतकीर्ति सोमवंशी को पत्र लिखा है।
उन्होंने अनुरोध किया है कि-
1️⃣ उक्त फेक नंबर की ट्रेसिंग की जाए,
2️⃣ अकाउंट ब्लॉक करवाया जाए, और
3️⃣ दोषियों के खिलाफ साइबर अपराध के तहत FIR दर्ज कर कार्रवाई की जाए।
कलेक्टर ने कहा- “यह केवल किसी व्यक्ति के नाम का दुरुपयोग नहीं, बल्कि प्रशासनिक विश्वास और सरकारी गरिमा पर प्रहार है।”

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**साइबर ठगों की नई चाल- बड़े अफसरों के नाम से जालसाजी**
साइबर अपराधियों का यह नया तरीका अब पूरे प्रशासनिक ढांचे के लिए चुनौती बनता जा रहा है।
ठग पहले किसी अधिकारी की फोटो और प्रोफाइल कॉपी करते हैं,
फिर विदेश कोड (+84 जैसे वियतनाम आधारित नंबर) से फर्जी व्हाट्सएप प्रोफाइल बनाकर लोगों को संदेश भेजते हैं,
कुछ मामलों में रुपयों की मांग या फर्जी दस्तावेज़ साझा करने की कोशिश भी की जाती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, हाल के महीनों में आईएएस, आईपीएस और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के नाम पर फेक अकाउंट बनाकर ठगी के कई मामले सामने आए हैं।

**पुलिस और साइबर टीम हुई सक्रिय**
कलेक्टर के पत्र के बाद दमोह पुलिस और साइबर सेल हरकत में आ गई है।
SP श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने कहा कि मामला दर्ज कर लिया गया है और नंबर की लोकेशन ट्रैक की जा रही है।
साइबर एक्सपर्ट्स की मदद से यह पता लगाने का प्रयास हो रहा है कि यह अकाउंट किस देश या नेटवर्क से संचालित हो रहा है।

**आमजन के लिए चेतावनी**
प्रशासन ने जिलेवासियों से अपील की है कि किसी भी संदिग्ध नंबर या सरकारी अधिकारी के नाम से आए संदेश पर भरोसा न करें।
किसी प्रकार की जानकारी, दस्तावेज़ या भुगतान करने से पहले व्यक्तिगत रूप से सत्यापन अवश्य करें।

दमोह का यह मामला एक बार फिर यह दिखाता है कि साइबर अपराधी अब तकनीक का दुरुपयोग कर प्रशासनिक व्यवस्था तक को निशाना बना रहे हैं।
कलेक्टर कोचर का त्वरित कदम न केवल सतर्कता का उदाहरण है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि फर्जीवाड़े के इस दौर में डिजिटल सावधानी ही सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है।