मृत्यु तो नहीं टलती पर हमेशा जिंदा रहते हैं ‘अटल’ जैसे व्यक्तित्व…

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मृत्यु तो नहीं टलती पर हमेशा जिंदा रहते हैं ‘अटल’ जैसे व्यक्तित्व…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी अगर जिंदा होते तो 101 साल के हो जाते। महत्वपूर्ण बात यह है कि राजनीति में ऐसे बिरले व्यक्तित्व ही होते हैं जिन्हें सभी राजनीतिक दलों के नेता हमेशा ही सम्मान की नजर से देखते हैं और ऐसा ही एक महान व्यक्तित्व अटल जी का था। वह नहीं हैं तब भी उन्हें सम्मान की नजर से देखा जा रहा है और अगर वह होते तब भी वह सम्मान ही पा रहे होते। मृत्यु न तो टलती है और ना ही उसे टाला जा सकता है लेकिन यह पूरे दावे के साथ कहा जा सकता है कि अटल जैसे व्यक्तित्व हमेशा जिंदा रहते हैं। और अगर भारत की बात करें तो यह माना जा सकता है कि राजनीति में वास्तव में अटल जैसा कोई दूसरा व्यक्तित्व नहीं है। प्रधानमंत्री पद पर पहुंचने वाले राजनेताओं में भी ऐसा कोई नाम शायद नहीं है जिसकी आलोचना उसके खुद के दल में न हुई हो और ऐसा राजनेता कोई भी नहीं है जिसे दूसरे राजनीतिक दलों ने हमेशा सम्मान की नजर से देखा हो। यह कहा जा सकता है कि भारत की राजनीति में एकमात्र अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे हैं जिनके लिए यह स्वीकार किया जा सकता है कि ‘द्वितीयोनास्ति’ यानि उन जैसा कोई दूसरा नहीं है। और मध्यप्रदेशवासियों के लिए यह और भी ज्यादा गर्व की बात है कि मध्य प्रदेश की माटी में पले बढ़े अटल बिहारी वाजपेयी ने हमेशा ही प्रदेश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है और पूरे देशवासियों को गर्व से भरा है।

अटल बिहारी वाजपेयी (25 दिसम्बर 1924-16 अगस्त 2018) भारत के दसवें प्रधानमन्त्री थे। उन्होंने प्रधानमंत्री का पद तीन बार संभाला। वे पहले 13 दिन के लिए 16 मई 1996 से 1 जून 1996 तक, फिर लगातार 2 बार-8 महीने के लिए 19 मार्च 1998 से 13 अक्टूबर 1999 और फिर वापस 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमन्त्री रहे। वे हिन्दी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे।वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्‍ट्रधर्म, पाञ्चजन्य (पत्र) और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। वह चार दशकों से भारतीय संसद के सदस्य थे। लोकसभा के लिए दस बार और दो बार राज्य सभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने लखनऊ के लिए संसद सदस्य के रूप में कार्य किया। 2009 तक उत्तर प्रदेश से लोकसभा सदस्य रहे और तब स्वास्थ्य सम्बन्धी चिन्ताओं के कारण सक्रिय राजनीति से सेवानिवृत्त हुए। अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ करने वाले वाजपेयी राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 वर्ष बिना किसी समस्या के पूरे किए। आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेने के कारण इन्हें भीष्मपितामह भी कहा जाता है। उन्होंने 24 दलों के गठबन्धन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे।

2005 से वे राजनीति से संन्यास ले चुके थे और नई दिल्ली में 6-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते थे।16 अगस्त 2018 को लम्बी बीमारी के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली में अटल जी का निधन हो गया। वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे‍।

अटल बिहारी। वाजपेयी प्रधानमन्त्री पद पर पहुँचने वाले मध्यप्रदेश के प्रथम व्यक्ति थे। इन्होंने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की थी।

अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी थे। मेरी इक्यावन कविताएँ अटल जी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह है। वाजपेयी जी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण विरासत में मिले हैं। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे। वे ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करते थे। पारिवारिक वातावरण साहित्यिक एवं काव्यमय होने के कारण उनकी रगों में काव्य रक्त-रस अनवरत घूमता रहा है। उनकी सर्व प्रथम कविता ताजमहल थी। “एक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल, हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मजाक”। इसमें श्रृंगार रस को प्रेम प्रसून न चढ़ाकर कवि की तरह उनका भी ध्यान ताजमहल के कारीगरों के शोषण पर ही गया। वास्तव में कोई भी कवि हृदय कभी कविता से वंचित नहीं रह सकता। अटल जी ने किशोर वय में ही एक अद्भुत कविता लिखी थी – ”हिन्दू तन-मन हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय”, जिससे यह पता चलता है कि बचपन से ही उनका रुझान देश हित की तरफ था। राजनीति के साथ-साथ समष्टि एवं राष्ट्र के प्रति उनकी वैयक्तिक संवेदनशीलता आद्योपान्त प्रकट होती ही रही है। उनके संघर्षमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियाँ, राष्ट्रव्यापी आन्दोलन, जेल-जीवन आदि अनेक आयामों के प्रभाव एवं अनुभूति ने काव्य में सदैव ही अभिव्यक्ति पायी। विख्यात गज़ल गायक जगजीत सिंह ने अटल जी की चुनिन्दा कविताओं को संगीतबद्ध करके एक एल्बम भी निकाला था। खुद की कविता के लिए उनकी यह टिप्पणी हमेशा याद की जाती है कि “मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं। वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय-संकल्प है। वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है।”

‘मेरी इक्यावन कविताएँ’, कवि व राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी का बहुचर्चित काव्य-संग्रह है जिसका लोकार्पण 13 अक्टूबर 1995 को नई दिल्ली में भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री पीवी नरसिंहराव ने सुप्रसिद्ध कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की उपस्थिति में किया था। कविताओं का चयन व सम्पादन डॉ.चन्द्रिकाप्रसाद शर्मा ने किया है। पुस्तक के नाम के अनुसार इसमें अटलजी की इक्यावन कविताएँ संकलित हैं जिनमें उनके बहुआयामी व्यक्तित्व के दर्शन होते हैं।

आपात काल पर लिखी उनकी एक कविता में अटल जीके व्यक्तित्व का समग्र अवलोकन करते हुए उन्हें उनकी 101 वी जयंती पर हम सब मिलकर दिल से याद करते हैं।

शीर्षक- ‘झुक नहीं सकते’

टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकतेI

सत्य का संघर्ष सत्ता से,

न्याय लड़ता निरंकुशता से,

अँधेरे ने दी चुनौती है,

किरण अन्तिम अस्त होती है।

दीप निष्ठा का लिए निष्कम्प

वज्र टूटे या उठे भूकम्प,

यह बराबर का नहीं है युद्ध,

हम निहत्थे, शत्रु है सन्नद्ध,

हर तरह के शस्त्र से है सज्ज,

और पशुबल हो उठा निर्लज्ज।

किन्तु फिर भी जूझने का प्रण,

पुन: अंगद ने बढ़ाया चरण,

प्राण-पण से करेंगे प्रतिकार,

समर्पण की माँग अस्वीकार।

दाँव पर सब कुछ लगा है, रुक नहीं सकते;

टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते।

(सन् 1975 में आपातकाल के दिनों कारागार में लिखित रचना)।

तो यह बात अटल जी के बारे में कल भी सत्य थी, आज भी सत्य है और कल भी सत्य रहेगी कि मृत्यु तो नहीं टलती पर ‘अटल’ जैसे व्यक्तित्व हमेशा जिंदा रहते हैं… पक्ष और विपक्ष की दीवारों से परे सभी के दिल में अटल जी के प्रति कल भी सम्मान था, आज भी सम्मान है और कल भी सम्मान रहेगा।

 

 

लेखक के बारे में –

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।