Death Sentence Upheld : आतंकी आरिफ को फांसी की सजा, वह हमले का दोषी!
New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने लाल किले पर हमले के दोषी मोहम्मद आरिफ की फांसी की सजा बरकरार रखी। आरिफ ने समीक्षा याचिका दायर कर अपनी फांसी की सजा माफ करने की मांग की थी। उसका कहना था कि वह उम्रकैद के बराबर की सजा पहले ही जेल में काट चुका है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी।
सुप्रीम कोर्ट ने 22 साल पुराने लाल किले पर हमले के मामले में गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने लाल किले हमले में दोषी करार दिए गए आतंकी आरिफ उर्फ अशफाक की फांसी की सजा बरकरार रखी। आरिफ ने सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर कर अपनी सजा माफ करने की मांग की थी। उसका कहना था कि वह उम्रकैद के बराबर की सजा पहले ही जेल में काट चुका है।
चीफ जस्टिस यूयू ललित और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की एक पीठ ने आरिफ की याचिका को खारिज कर दिया। फ़ैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि उनका दोष सिद्ध हो चुका है। हम इस अदालत के रुख से सहमत हैं और इस फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए दायर की गई याचिका खारिज करते हैं। उन्होंने कहा कि ‘इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड’ पर विचार करने के आवेदन को स्वीकार किया है। पीठ ने कहा कि हम उस आवेदन को स्वीकार करते हैं कि ‘इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड’ पर विचार किया जाना चाहिए। वह दोषी साबित हुआ है। हम इस अदालत द्वारा किए गए फैसले को बरकरार रखते हैं और पुनर्विचार याचिका खारिज करते हैं।
ये था मामला
दिल्ली के लाल किले पर 22 दिसंबर 2000 को हुए हमले तीन लोगों की मौत हो गई थी।। इसमें हमले में सेना के दो जवानों समेत तीन लोग मारे गए थे। आरिफ उर्फ अशफाक इसी मामले में पकड़ा गया मुख्य आरोपी है। तब से वह दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है। बाद में आरिफ को कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन, आरिफ ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी पर रोक लगाने की याचिका दायर की थी।