Decision on Maternity Leave : प्रसूति अवकाश मामले में महिला टीचर को 7 माह बाद मिला न्याय!

लेबर कोर्ट का फैसला, मैटरनिटी लीव के साथ ड्यूज देने और नौकरी पर रखने के निर्देश!

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Decision on Maternity Leave : प्रसूति अवकाश मामले में महिला टीचर को 7 माह बाद मिला न्याय! 

Indore : महिला टीचर को 7 महीने की कानूनी लड़ाई के बाद मैटरनिटी लीव के साथ ड्यूज देने और नौकरी बरकरार रखने के निर्देश लेबर कोर्ट ने दिए। कोर्ट पहुंचने से पहले महिला ने नेशनल कमीशन फार वुमन को भी शिकायत की थी। आयोग ने छह माह प्रसूति अवकाश देने का निर्देश दिया। इस शिकायत की जानकारी मिलने पर स्कूल मैनेजमेंट ने महिला को नौकरी से निकालने की कार्रवाई की थी।

जानकारी के मुताबिक, प्रियांशी गर्ग महू के आर्मी पब्लिक स्कूल में 24 जून 2022 से 31 मार्च 2025 के कॉन्ट्रैक्ट पर प्राइमरी टीचर है। प्रियांशी ने 23 जनवरी को मैटरनिटी लीव का आवेदन दिया था। इस पर स्कूल मैनेजमेंट ने उन्हें मौखिक रूप से मना करते हुए कहा कि 6 महीने की लीव विद आउट पे ले लो। अगर यह विकल्प नहीं माना तो नौकरी से टर्मिनेट कर देंगे। प्रियांशी ने ऑफिशियल मेल कर पूछा कि मैटरनिटी लीव के लिए मना क्यों किया जा रहा है? इस पर दो महीने का नोटिस पीरियड देकर उन्हें टर्मिनेट कर दिया गया।

सारे दस्तावेज पेश किए

इसके बाद महिला ने लेबर कोर्ट में याचिका लगाई, जिस पर सुनवाई करते हुए लेबर कोर्ट ने श्रम विभाग को कहा कि वह मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 में इस मामले की जांच करें। इसके बाद जांच लेबर इंस्पेक्टर को सौंप दी गई। टीचर ने याचिका में टर्मिनेशन लेटर, अनुभव प्रमाण पत्र सहित नौकरी के सारे दस्तावेज पेश किए। स्कूल प्रबंधन ने भी अपने दस्तावेज सौंपे। इसमें बताया गया कि टीचर को मैटरनिटी लीव के कारण टर्मिनेट नहीं किया। उनके खिलाफ दूसरी भी कई शिकायतें थीं। उनका व्यवहार भी अच्छा नहीं था। प्रियांशी ने सीएम हेल्पलाइन में भी मामले की शिकायत की थी।

फैसले में लेबर कोर्ट ने यह कहा

श्रम न्यायालय ने श्रम निरीक्षक से मामले की जांच के लिए कहा था। पूरी सुनवाई के बाद आदेश दिया कि स्कूल प्रबंधन शिक्षिका को दोबारा नौकरी पर रखे। उन्हें जिस दिन से नौकरी से निकाला गया था, उस दिन से लेकर 25 जून तक बकाया वेतन का लाभ एक माह में दें। शिक्षिका का प्रसूति अवकाश 26 जून से 25 दिसंबर तक मंजूर किया गया। अनुबंध की शेष अवधि 26 दिसंबर से 31 मार्च 2025 तक उन्हें नौकरी पर बरकरार रखा जाए।