विधायक राजेश शुक्ला और बीजेपी का घोषित मिलन हुआ, यह तो होना ही था

जानिए राजेश शुक्ला के बीजेपी में आने की अंदरूनी कहानी

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छतरपुर: पहले अघोषित रूप से बीजेपी के पाले में थे पर अब घोषित रूप से बिजावर क्षेत्र से सपा विधायक राजेश शुक्ला बबलू ने कमल का फूल थाम लिया। मंगलवार को भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीड़ी शर्मा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की उपस्थिति में बीजेपी की सदस्य्ता ग्रहण की है।

ज्ञात हो कि बुंदेलखंड की राजनीति में कई दशकों तक शुक्ला परिवार का दबदबा रहा है। बबलू शुक्ला के बड़े भाई जगदीश शुक्ला कई सालो तक कांग्रेस के छतरपुर जिला अध्यक्ष रहे। बुंदेलखंड की राजनीति से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान स्थापित करने वाले सत्यव्रत चतुर्वेदी के बेहद करीबियों में जगदीश शुक्ला की गिनती रही। एक दौर ऐसा भी आया जब दिग्विजय सिंह से खफा होकर सत्यव्रत चतुर्वेदी ने विधायक पद से स्तीफा दे दिया था। तब जगदीश शुक्ला ने भी कांग्रेस छोड़ बीजेपी की सदस्य्ता ग्रहण कर ली थी। जगदीश शुक्ला को कांग्रेस ने बड़ामलहरा से दो बार प्रत्याशी बनाया पर उन्हें पराजय मिली।

राजेश शुक्ला भी अपना पहला चुनाव बिजावर विधानसभा से वर्ष 2013 में कांग्रेस के टिकिट से लड़े। बीजेपी ने इस चुनाव में दांव खेलते हुए अंतिम समय में पुष्पेंद्र गुड्डन पाठक को मैदान में उतारा था। गुड्डन पाठक मूलतः नौगांव के निवासी थे जो परिसीमन के पहले बिजावर क्षेत्र का हिस्सा हुआ करता था। जबकि राजेश शुक्ला का बिजावर गृह क्षेत्र था। परिणाम चौकाने वाले सामने आये। बीजेपी के गुड्डन पाठक को 50576 मत मिले जब कि कांग्रेस के राजेश शुक्ला को 40197 मत ही मिल सके। लगभग 10 हजार के अंतर से राजेश शुक्ला पराजित हो गये।

पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव में राजेश शुक्ला कांग्रेस से टिकिट पाने की दौड़ में रहे पर उन्हें टिकिट नहीं मिला तो वह समाजवादी पार्टी की सदस्य्ता ग्रहण कर टिकिट ले आये। बीजेपी ने गुड्डन पाठक और कांग्रेस ने कद्दावर नेता मुन्ना राजा को मैदान में उतारा। स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा रंग लाया और राजेश शुक्ला ने शानदार जीत हासिल की। राजेश शुक्ला को 67623 मत मिले जब कि निकटतम बीजेपी के गुड्डन पाठक को 30908 ही मत मिल सके। लगभग 37 हजार के भारी अंतर से राजेश शुक्ला ने विजय हासिल की।

सरकार कांग्रेस की बनी तो राजेश शुक्ला का सिक्का बरकरार रहा। चूँकि कमलनाथ सरकार सपा, बसपा, निर्दलीय के सहारे थी इस कारण इन विधायक की पूछ परख भी रही। अचानक मध्यप्रदेश की राजनीति में भूचाल आया और सिंधिया खेमे ने बगावत कर बीजेपी को समर्थन दिया तो राजेश शुक्ला का मन भी डांवाडोल होना शुरु हो गया। बीजेपी की सत्ता वापसी होते ही विधायक राजेश शुक्ला भी अघोषित रूप से बीजेपी के हो गये थे। यह तय था कि वह अपनी भविष्य की राजनीति को आगे बढ़ाने पूरी तरह बीजेपी मय होकर सदस्य्ता ग्रहण कर लेंगे।

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जहां मंगलवार को इन अटकलो पर विराम लगा और सपा विधायक राजेश बबलू शुक्ला ने घोषित रूप से कमल का फूल थाम लिया। इसके साथ यह भी तय हो गया कि आगामी विधानसभा चुनाव में वह ही बिजावर से प्रत्याशी होंगे।