
समर्पण, साधना और सुर- दा साब का जीवन संगीत
– राजेश जयंत
रतलाम जिले के एक छोटे से गांव पंचेड की उजली रज पर 7 अगस्त 1950 को जन्मे ओमप्रकाश जी शर्मा आज ‘दा साब’ के नाम से सम्पूर्ण मध्य प्रदेश और उससे बाहर तक श्रद्धा का प्रतीक बन चुके हैं। जिस धरती पर कथावाचक पिताजी मांगीलाल जी शर्मा की प्रेरणा और निर्देशन मिला, वहाँ ओमप्रकाश जी का बचपन सुरों के संग बीता। सर्जना, तप, और परंपरा के संगीत में ही उनकी सांसें घुल गई थीं।
अभी महज 12 वर्ष के थे जब पंचेड में ही शंकर लाल जी बारोट से संगीत की विधिवत शिक्षा की शुरुआत की। हारमोनियम उनके लिए केवल वाद्य यंत्र नहीं, बल्कि आत्मा का विस्तार था। उनकी उंगलियां जब हारमोनियम के शुद्ध और कोमल स्वर से मिलती हैं तो ‘सुर’ और ‘लय’ जैसे जीवन और हृदय की धड़कनों में घुल जाते हैं।
उस बालमन में संगीत और कथा का भाव इस कदर बैठ गया कि बचपन से ही श्रीराम कथा, सुंदरकांड, श्रीमद् भागवत, हनुमान चालीसा जैसी परंपराओं को संगीत में पिरोना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे इसी कला और सुर-साधना के चलते ‘दा साब’ की ख्याति पंचेड, रतलाम, मालवा से निकलकर मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत तक फैल गई। जहाँ भी गए, श्रोताओं का मनोमंथन, आत्मा की तृप्ति और हृदय का अद्भुत शांति-प्रवाह बन गया।
*गौरव, सम्मान और साधना की मिसाल*
कई दशकों की संगीतमय यात्रा में दा साब को असंख्य मंचों, धार्मिक आयोजनों, सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं से अनेकों सम्मान मिले। 75 वर्ष की उम्र में भी उनका सुर और स्वर उतना ही सशक्त, ऊर्जावान और प्रखर है जितना किशोरावस्था में था। उनकी गायकी, भजन-कीर्तन और कथा-वाचन सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर देती है, यह उनकी रूह की गहराई, साधना और तप का ही परिणाम है।
आध्यात्मिक गुरु एवं प्रसिद्ध कथावाचक मुरारी बापू भी दा साहब के अनुपम गायन-वादन को मंत्र मुग्ध होकर सुनते हैं और खुले मन से तारीफ करते हैं।
दा साब की यह प्रतिभा सचमुच दैवीय प्रसाद मानी जा सकती है। एक वह, जो ईश्वरीय देन है और दूसरी स्वयं अर्जित साधना; दा साहब दोनों के अद्भुत संगम हैं।
बीते 5 वर्षों से वे जनजातीय बहुल अलीराजपुर के जोबट में अपने परिवार संग निवासरत हैं, और आज भी उनका भजन-कीर्तन-कथा का क्रम अनवरत जारी है। प्रचार-प्रसार, सोशल मीडिया से दूर रहकर भी दा साब ने अपने समर्पण और साधना के कारण समाज में गहरे प्रभाव और आदर की अविरल धारा बनाई है।

*एक आत्मीय आयोजन-जीवन साधना का उत्सव*
आज दा साहब 07 अगस्त को 75 वर्ष की आयु पूर्ण कर रहे हैं, उनका सम्मान करने, जीवन को ऊर्जा देने, कृतज्ञता प्रकट करने हेतु जोबट में एक भव्य आयोजन होने जा रहा है। धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाएं, पत्रकार, राजनेता मिलकर दा साहब के समर्पण-गौरव, साधना और कला का मान, सम्मान, अभिनंदन करेंगे।
वहीं आयोजन समिति विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली 11 विभूतियां को दा साब सम्मान से नवाजेगी।
आयोजन में भारत भर के जाने-माने शास्त्रीय संगीतज्ञ, संत, दा साब के भक्त, कीर्तन मंडली आदि सहित, नेता अधिकारी और आमजन शामिल होंगे।
दा साहब की संगीत-यात्रा केवल ताजगी भरे सुर, मधुर स्वर या वाणी-चातुर्य की कथा नहीं है, बल्कि वह एक जीवन-दर्शन, आत्मा से आत्मा तक पहुंचने वाला अद्भुत सेतु है। वे मां भगवती की तरह सबको जोड़ते हैं- गांव की चौपाल से लेकर बड़े-बड़े सभागारों तक, हर सुनने वाला उनकी साधना के आगे नतमस्तक हो जाता है।
उनके सुर, उनका प्रेम और उनकी करुणा- संगीत के माध्यम से अमर हो चुकी है।
*’दा साब’ सम्मान से नवाजे जाएंगे 11 श्रेष्ठ विभूषित:*
दा साब के 75वें जन्मदिवस पर जन्मोत्सव समिति द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, राजनीति, प्रशासन, धर्म, संस्कृति, पर्यावरण, समाज कार्य, पत्रकारिता तथा महिला एवं बाल विकास के क्षेत्रों में उल्लेखनीय सेवा और प्रेरणादायक कार्य करने वाले 11 महानुभावों को ‘दा साब सम्मान एवं पुरस्कार’ से नवाजा जाएगा। यह सम्मान उनकी उत्कृष्ट योगदान और समर्पण को सराहने के लिए दिया जाएगा, जो समाज के विभिन्न महत्वपूर्ण आयामों में सकारात्मक बदलाव की मिसाल साबित हुए हैं। इस पुरस्कार समारोह के माध्यम से दा साब के आदर्शों और प्रेरणा को जीवंत करते हुए सामाजिक कल्याण के उत्साह को और बढ़ावा मिलेगा।

-एक नजर में
1- दा साब का जन्म 7 अगस्त 1950 को पंचेड, रतलाम में हुआ।
2- 12 वर्ष की उम्र में गुरू शंकर लाल जी बारोट से हारमोनियम की शिक्षा ली।
3- श्रीराम कथा, सुंदरकांड, भागवत कथा जैसे धार्मिक ग्रंथों में संगीत की मधुर प्रस्तुति दी।
4- मुरारी बापू जैसे प्रसिद्ध कथावाचक और भजन सम्राट अनूप जलोटा तक दा साब के गायन और वादन की प्रशंसा करते हैं।
5- 75 वर्ष की उम्र में भी उनका स्वर एवं साधना उतनी ही जीवंत और प्रभावशाली।
6- जोबट (अलीराजपुर) में रहते हुए भी उन्होंने समाज में आध्यात्मिक जागरूकता फैलायी।
7- 07 अगस्त को जन्मदिन के उपलक्ष्य में भव्य सम्मान समारोह होने जा रहा है।
8- ‘दा साब’ सम्मान से नवाजे जाएंगे 11 श्रेष्ठ विभूषित
_“ऐसे साधक विरले होते हैं, जिनका जीवन भी भजन बन जाए। दा साब उन्हीं विभूतियों में से एक हैं।”_





