
Defamation Case : सुधीर चौधरी पर दायर 11 साल पुराना मामला फिर शुरू, धोनी ने ठोका था ₹100 करोड़ की मानहानि का केस!
Chennai : जाने माने क्रिकेटर एमएस धोनी के सुधीर चौधरी पर दायर ₹100 करोड़ के मानहानि मुकदमे पर मद्रास हाई कोर्ट ने सुनवाई शुरू करने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति सीवी कार्तिकेयन ने 20 अक्टूबर से 10 दिसंबर, 2025 के बीच चेन्नई में क्रिकेटर का साक्ष्य दर्ज करने के लिए एक एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया है। मानहानि का ये मामला 11 साल पुराना है।
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टीवी न्यूज पत्रकार सुधीर चौधरी के साथ ज़ी मीडिया कॉरपोरेशन, न्यूज़ नेशन नेटवर्क और पूर्व आईपीएस अधिकारी जी संपत कुमार पर ठोका था। धोनी के मुताबिक आईपीएल सट्टेबाज़ी में उनका नाम ग़लत तरीके खींचा गया था। इस वजह से धोनी ने 100 करोड़ रुपए हर्जाना दिलाने की मांग की है। मद्रास हाईकोर्ट ने महेंद्र सिंह धोनी को राहत देते हुए सोमवार 11 अगस्त को 11 साल पुराने इस मानहानि मामले में ट्रायल शुरू करने का आदेश दिया।
जस्टिस सीवी कार्तिकेयन ने धोनी की गवाही रिकार्ड करने के लिए एडवोकेट कमिश्नर भी नियुक्त किया है। उनकी गवाही चेन्नई में किस जगह होगी, यह मुकदमे के सभी संबंधित पक्षों की आम सहमति से निर्धारित की जाएगी। एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति इस लिए की गई। क्योंकि, हाईकोर्ट में आकर धोनी के गवाही रिकॉर्ड कराने से अव्यवस्था हो सकती थी, क्योंकि धोनी बड़े सेलेब्रिटी हैं।
इससे पहले धोनी की ओर से वकील पीआर रमन ने हलफनामा पेश किया। धोनी की ओर से कहा गया कि वो पूछताछ और जिरह के लिए इस साल 20 अक्टूबर से 25 दिसंबर के बीच उपलब्ध रहेंगे। धोनी की ओर से ऐसा कदम इसलिए उठाया गया कि मुकदमे की सुनवाई में और विलंब न हो। धोनी ने मुकदमा 2014 में दायर किया था, लेकिन बचाव पक्ष की ओर लगातार कभी कोई तो कभी कोई दलील देकर राहत की मांग की जाती रही। 2014 में जब उनका नाम आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी जैसे गंभीर आरोपों से जोड़ा गया, तब उनका भी धैर्य जवाब दे गया।
यह आरोप न सिर्फ उनकी पेशेवर साख को चोट पहुंचा रहे थे, बल्कि उनकी वर्षों की मेहनत और ईमानदारी पर भी सवाल उठा रहे थे। आरोप के मुताबिक मिलीभगत करके वेबसाइट्स पर धोनी के खिलाफ़ झूठी खबरें प्रसारित और पोस्ट की गईं। धोनी के खिलाफ इस मुहिम में बाद में न्यूज नेशन नेटवर्क के भी शामिल होने का आरोप है। बाद में यह तक कहा कि धोनी को तमिलनाडु पुलिस ने तलब किया, जो पूरी तरह से झूठ था।

दिसंबर 2023 में जस्टिस एसएस सुंदर और जस्टिस सुंदर मोहन की डिविज़न बेंच ने रिटायर्ड आईआईएस अधिकारी जी संपत कुमार को कोर्ट की आपराधिक अवमानना के मामले में 15 दिन साधारण कारावास की सज़ा सुनाई थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इस सज़ा पर 2024 में रोक लगा दी थी।
पक्षकारों द्वारा एक या दूसरी राहत की मांग करते हुए दायर की गई कई याचिकाओं के कारण इस मुकदमे की सुनवाई 10 साल से ज़्यादा समय तक टलती रही। दिसंबर 2023 में न्यायमूर्ति एसएस सुंदर (अब सेवानिवृत्त) और न्यायमूर्ति सुंदर मोहन की खंडपीठ ने सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी को अदालत की आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया और उन्हें 15 दिनों के साधारण कारावास की सजा सुनाई। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने 2024 में इस सजा पर रोक लगा दी।
धोनी ने सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी। क्योंकि, उन्होंने मानहानि के मुकदमे का बचाव करते हुए सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की थीं। जुलाई 2022 में, तत्कालीन महाधिवक्ता आर शुनमुगसुंदरम ने इस बात से संतुष्ट होने के बाद कि मुकदमे में अपने लिखित बयान में कुमार द्वारा की गई टिप्पणियां अदालती कार्यवाही को बदनाम करने वाली थीं, क्रिकेटर को अवमानना याचिका पर आगे बढ़ने की अनुमति दे दी थी।





