

‘दिल्ली’ ने अपनाया ‘जबलपुर मॉडल’…निजी स्कूलों की मनमानी से खफा ‘रेखा’…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना के नेतृत्व में निजी स्कूलों में मनमानी फीस बढ़ोतरी और किताब माफिया के खिलाफ जो सख्त एक्शन मई 2024 में हुआ था, उसके अच्छे परिणाम सत्र 2025 में पूरी तरह से मिल गए। जबलपुर में जहां मनमानी फीस बढ़ोतरी पर लगाम लगी है, वहीं ज्यादातर स्कूलों द्वारा एनसीईआरटी की किताबें लागू करने से अभिभावक स्कूल-किताब विक्रेता नेक्सस से मुक्ति पा चुके हैं। 8000 की किताबें-स्टेशनरी अब दो-ढाई हजार तक सिमट गई है। निजी स्कूलों की मनमानी का खात्मा करने वाला यह ‘जबलपुर मॉडल’ अब दिल्ली सरकार ने अपना लिया है। दिल्ली के 600 स्कूलों पर बड़ा एक्शन हो रहा है। फीस बढ़ाने पर रेखा गुप्ता सरकार ने पहले चरण में 10 स्कूलों को नोटिस थमा दिया है। स्कूलों से हिसाब-किताब मांगा जा रहा है।
दिल्ली सरकार ने फीस बढ़ोतरी के मामले में 600 स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट ली और 10 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी कर मनमानी फीस बढ़ोतरी पर सख्त एक्शन लिया है। अभिभावकों ने शिक्षा निदेशालय के सामने प्रदर्शन किया। इसके बाद दिल्ली में स्कूलों द्वारा की गई फीस बढ़ोतरी के मामले में दिल्ली सरकार ने बहुत बड़ा कदम उठाया है। फीस बढ़ाने के खिलाफ अभिभावकों ने शिक्षा निदेशालय के सामने प्रदर्शन किया था। दिल्ली शिक्षा निदेशालय कार्यालय के बाहर कई अभिभावकों ने विरोध प्रदर्शन कर स्कूलों द्वारा कथित रूप से बढ़ाई गई फीस को तुरंत वापस लेने तथा मामले में अधिकारियों के हस्तक्षेप की मांग की थी।दिल्ली में निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों के ‘लगातार और बहुत ज्यादा’ फीस बढ़ाने के खिलाफ माता-पिता और अभिभावक लंबे समय से शिकायतें कर रहे हैं। उन्होंने स्कूलों पर दबाव डालने का भी आरोप लगाया है। जिसमें बोर्ड परीक्षाओं के लिए प्रवेश पत्र देने से इनकार करना और अनधिकृत शुल्क का भुगतान न करने पर विद्यार्थियों के नाम काटने की धमकी देना शामिल है।
‘लूट मचाना बंद करो’ और ‘स्कूलों की मनमानी बंद करो, हमारी फीस कम करो’ जैसे नारे लिखी तख्तियां लेकर आए अभिभावकों ने दावा किया कि फीस वृद्धि बिना किसी पूर्व सूचना या आधिकारिक मंजूरी के लागू की जा रही है। उन्होंने स्कूलों पर शिक्षा का व्यवसायीकरण करने तथा परिवारों की वित्तीय स्थिति की अनदेखी करने का आरोप लगाया। और निजी स्कूलों के बारे में सही बात यही है कि स्कूल बिना किसी नोटिस या मंजूरी के अवैधानिक रूप से फीस बढ़ा देते हैं। जब अभिभावक प्रिंसिपल से मिलने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें या तो लौटा दिया जाता है या हफ्तों तक इंतजार कराया जाता है। और जब आखिरकार वह प्रिंसिपल से मिलते हैं, तो कहा जाता है कि अगर आप भुगतान नहीं कर सकते, तो अपने बच्चे को स्कूल से निकाल लें।’ ऐसे में मजबूर और लाचार माता-पिता बच्चों की बेहतर शिक्षा-दीक्षा के सामने समझौता कर लेते हैं। और हर मुश्किल का सामना कर आर्थिक बंदोबस्त कर बच्चों को शिक्षा दिलाते हैं।
पर अब यह माना जा सकता है कि मध्यप्रदेश के जबलपुर से शुरू हुई किताब माफिया और मनमानी फीस बढ़ोतरी के खिलाफ बेहद सख्त कार्यवाही पूरे देश में आधुनिक शिक्षा क्रांति का जनक बनने जा रही है। जबलपुर में मुख्यमंत्री की मंशा पर कमान कलेक्टर दीपक सक्सेना और उनकी टीम ने संभाली थी। तो दिल्ली में कमान खुद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने संभाल ली है। और धीरे-धीरे इस आधुनिक शिक्षा क्रांति के इस ‘जबलपुर मॉडल’ का फैलाव पूरे देश में होने जा रहा है। और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पूरे मध्यप्रदेश में ‘शिक्षा क्रांति के जबलपुर मॉडल’ को सख्ती से लागू करना ही चाहिए। ताकि शिक्षा सस्ती और सबको सुलभ हो सके…।