
Delhi CAG Report : CAG रिपोर्ट में मोहल्ला क्लीनिकों में सुविधाओं की कमी,मरीजों को डॉक्टर एक मिनट भी नहीं देते!
New Delhi : आज शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा में स्वास्थ्य विभाग की कैग रिपोर्ट पेश होगी। कैग की हेल्थ रिपोर्ट अरविंद केजरीवाल की ‘आम आदमी पार्टी’ की मुसीबत बढ़ा सकती है। यह रिपोर्ट सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं (2024) की स्थिति पर आधारित है। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत उजागर कर सकती है।
बताया गया कि कैग की इस रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे हैं। दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति का पूरा ब्योरा दिया गया। रिपोर्ट की मानें तो दिल्ली के अस्पतालों में बिस्तरों की भारी कमी है। साथ ही कोविड के दौरान जितने पैसे मिले थे, उतने खर्च भी नहीं हुए। अस्पतालों में मेडिकल स्टाफ की भारी कमी का भी जिक्र किया गया। साफ कहा गया है कि मोहल्ला क्लीनिक आने वाले मरीजों को देखने के लिए डॉक्टर एक मिनट से ज्यादा वक्त नहीं देते थे।
यह कैग की दूसरी रिपोर्ट होगी, जिसे विधानसभा में पेश किया जाएगा। इससे पहले दिल्ली शराब नीति पर कैग रिपोर्ट पेश की जा चुकी है। इस हेल्थ वाली कैग रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के सरकारी अस्पतालों, मोहल्ला क्लीनिकों और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति की समीक्षा की गई। रिपोर्ट में देखा गया कि सरकार की ओर से किए गए दावों और जमीनी हकीकत में कितना अंतर है। सरकारी अस्पतालों में मशीनों की उपलब्धता, दवाओं की आपूर्ति, डॉक्टरों और नर्सों की संख्या तथा मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं का आकलन है।
मोहल्ला क्लीनिक के दावों की असलियत
आम आदमी पार्टी अपनी मोहल्ला क्लीनिक का बहुत गुणगान करती रही है। लेकिन, कैग की रिपोर्ट में सामने आया कि इन क्लीनिक में आने वाले ज्यादातर मरीजों को डॉक्टर एक मिनट से भी कम समय दे रहे थे। इनमें से कई क्लीनिक में पल्स ऑक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर, एक्स-रे व्यूअर, थर्मामीटर और ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग डिवाइस जैसी बुनियादी चिकित्सा उपकरण भी नहीं थे। ऑडिट में यह भी सामने आया कि जिन क्लीनिक का मूल्यांकन किया गया, उनमें से 18% क्लीनिक 15 दिनों से लेकर 23 महीनों तक बंद रहे। इसकी मुख्य वजह डॉक्टरों की अनुपलब्धता, इस्तीफे और डी-एम्पैनलमेंट रही।

हेल्थ पर कैग रिपोर्ट की खास बातें
– दिल्ली के पब्लिक हेल्थ सेक्टर में 8,194 मेडिकल स्टाफ की कमी।
– प्रमुख अस्पतालों में मरीजों को लंबा वेटिंग टाइम।
– अस्पतालों की परियोजनाओं में देरी और लागत में वृद्धि।
– आधुनिक सुविधाओं के बावजूद उसका उपयोग न होना।
– 27 में से 14 अस्पतालों में ICU सेवाएं नहीं।
– अस्पतालों में ब्लड बैंक नहीं और एंबुलेंस में जरूरी उपकरणों की कमी।
– दवाओं की आपूर्ति में बड़ी असफलता।
– अस्पतालों और डिस्पेंसरी के लिए खरीदी गई जमीन का उपयोग नहीं हुआ।
– मोहल्ला क्लीनिक और आयुष डिस्पेंसरी की स्थिति खराब।
– 21 मोहल्ला क्लीनिकों में टॉयलेट नहीं।
– कोविड के दौरान खासा वित्तीय कुप्रबंधन।
– अस्पतालों में मरीजों के लिए बिस्तरों की भारी कमी।





