Delhi High Court directs the Ministry of Electronics and Information Technology (MeitY) to ban the satirical website dowrycalculator dot com
स्तंभकार, विश्लेषक व पत्रकार किरण कापसे की रिपोर्ट…
Delhi High Court has directed the Ministry of Electronics and Information Technology (MeitY) to ban the satirical website dowrycalculator dot com
“वेबसाइट dowrycalculator.com मामले में केंद्र के मुताबिक़, कॉन्टेंट निर्माता द्वारा बिना किसी अस्वीकरण दिए दहेज के खतरे को महिमामंडित करने का “अपरिष्कृत प्रयास” था।
गौरतलब है कि यह पहली बार होगा जब भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा वेबसाइट कॉन्टेंट निर्माता को सेंसरशिप आदेश तथा उसके समक्ष सुनवाई करने की अनुमति प्रदान की जाएगी।”
दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को मूल प्रतिबंध आदेश की प्रति देने के साथ-साथ व्यंग्यात्मक वेबसाइट dowrycalculator.com के मालिक और निर्माता तनुल ठाकुर को निर्णय के बाद की सुनवाई का निर्देश दिया है, जिसे तत्कालीन केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी की शिकायत के बाद सितंबर 2018 में केंद्र द्वारा अवरोधित (ब्लॉक) कर दिया गया था।
MeitY के इस निर्णय के बाद वेबसाइट के तनुल ठाकुर ने सेंसरशिप के आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
उच्च न्यायालय की कार्यवाही में तनुल ठाकुर को कानूनी सहायता प्रदान करने वाली इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (IFF) ने कहा कि यह आदेश का महत्व इसलिए है क्योंकि MeitY कभी भी अपने सेंसरशिप के आदेश प्रकाशित नहीं करता है और ना ही कभी सुनवाई प्रदान करता है।
यह पहली बार है जब किसी कॉन्टेंट निर्माता को MeitY सेंसरशिप आदेश, या MeitY के समक्ष सुनवाई की जाएगी।
IFF के अनुसार, ठाकुर को सेंसरशिप का सामना करने से पहले MeitY को कुछ भी समझाने एवं कहने का अवसर नहीं दिया गया था।
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इसके साथ ही, MeitY ने RTI आवेदन दाखिल करने के बावजूद उन्हें मूल आदेश और शिकायत देने से भी इनकार कर दिया था।
लाइव लॉ के मुताबिक़, न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने 11 मई को ठाकुर का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील वृंदा भंडारी की सुनवाई करते हुए ब्लॉकिंग नियम, 2009 के तहत MeitY द्वारा गठित समिति को निर्णय के बाद ठाकुर के वकील 23 मई को दोपहर 3 बजे सुनवाई करने का निर्देश दिया।
वही देश के एक अखबार “इंडियन एक्सप्रेस” ने इस मामले में केंद्र सरकार के जवाब का हवाला देते हुए कहा कि यह वेबसाइट दहेज के खतरे को महिमामंडित करने का एक “अपरिष्कृत प्रयास” था और इसकी सामग्री के व्यंग्यपूर्ण होने के बारे में कोई अस्वीकरण (डिस्क्लेमर) नहीं लिखा था।
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हालांकि, वेबसाइट के मालिक तनुल ठाकुर के वकील ने अदालत को बताया की “वेबसाइट की व्यंग्यात्मक मंशा इसकी सामग्री और डिजाइन से काफी स्पष्ट है।”
मनमोहन और दिनेश कुमार शर्मा की डिवीजन बेंच ने MeitY को समिति की रिपोर्ट की एक प्रति अदालत और याचिकाकर्ता को सुनवाई से चार सप्ताह की अवधि के भीतर प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया है।
MeitY की समिति के समक्ष निर्णय के बाद की सुनवाई 23 मई को निर्धारित की है। मामले की अगली सुनवाई 14 सितंबर को होगी।