Delhi Liquor Policy : जमानत 7 दिन बढ़ाने की केजरीवाल की याचिका खारिज, 2 जून को सरेंडर करना होगा!

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Delhi Liquor Policy : जमानत 7 दिन बढ़ाने की केजरीवाल की याचिका खारिज, 2 जून को सरेंडर करना होगा!

सुप्रीम कोर्ट से अरविंद केजरीवाल को लगा बड़ा झटका!

New Delhi : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ से सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मेडिकल जांच के लिए अंतरिम जमानत 7 दिन बढ़ाने की मांग की गई थी। लेकिन, कोर्ट ने यह मांग नहीं मानी और याचिका खारिज कर दी। अपनी याचिका में केजरीवाल ने कहा था, कि गिरफ्तारी के बाद उनका 7 किलो वजन घटा है। उनका कीटोन लेवल भी बढ़ा है। ऐसे में ये लक्षण किसी गंभीर बीमारी के हो सकते हैं।

मैक्स के डॉक्टरों ने जांच की है। अभी PET-CT स्कैन और कई टेस्ट करवाने की जरूरत है। ऐसे में उन्हें इन जांच के लिए 7 दिन की मोहलत दी जाए। पर उनकी ये मांग स्वीकार नहीं की गई। केजरीवाल की ओर से मंगलवार को इस याचिका पर तुरंत सुनवाई की मांग की गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन बेंच ने तुरंत सुनवाई से इनकार किया था। अवकाशकालीन बेंच ने केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि वह सुनवाई का अनुरोध चीफ जस्टिस से करें।

दिल्ली की आबकारी नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को यह बड़ा झटका है। अब केजरीवाल की अंतरिम जमानत 7 दिन बढ़ाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया। SC की ओर से कहा गया है कि कोर्ट ने 17 मई को केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा गया है। उस दिन सुप्रीम कोर्ट ने नियमित जमानत के लिए निचली अदालत जाने की छूट दी थी, इसलिए आवेदन पर सुनवाई नहीं हो सकती।

अंतरिम जमानत पर हैं केजरीवाल

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली के कथित शराब नीति घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सीएम केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। केजरीवाल ने ईडी की गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। किंतु, कोर्ट ने केजरीवाल को चुनाव में प्रचार के लिए 1 जून तक अंतरिम जमानत दे दी थी।

कोर्ट ने सवाल उठाए

कोर्ट ने केजरीवाल की ओर से देर से आवेदन दाखिल करने पर भी सवाल उठाए थे। जस्टिस एएस ओक की बेंच ने कहा कि 17 मई को मुख्य मामले पर आदेश सुरक्षित रखा गया। उस बेंच के एक सदस्य जज पिछले सप्ताह अवकाशकालीन बेंच में थे, आपने तब क्यों नहीं यह मांग रखी।