दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव 2025 : ABVP का दबदबा, 3 पदों पर जीत; NSUI को उपाध्यक्ष पद से संतोष

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दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव 2025 : ABVP का दबदबा, 3 पदों पर जीत; NSUI को उपाध्यक्ष पद से संतोष

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (DUSU) चुनाव 2025 के नतीजों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने दमदार प्रदर्शन करते हुए अध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पदों पर जीत दर्ज की है। वहीं, कांग्रेस समर्थित भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) को केवल उपाध्यक्ष पद हासिल हुआ। इस बार छात्रों में मतदान को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला, हालांकि अपेक्षानुसार मत प्रतिशत में बड़ा उछाल दर्ज नहीं हुआ।

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*मतदान में बढ़ा उत्साह*

गुरुवार को हुए मतदान में 39.36 प्रतिशत छात्रों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। पिछले साल यह आंकड़ा 35 प्रतिशत था, यानी इस बार लगभग चार प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इस बार पहली बार चौथे वर्ष (फाइनल ईयर) के छात्रों को भी मतदान का अधिकार दिया गया। कुल 1,53,100 पंजीकृत मतदाताओं में से 60,272 छात्रों ने वोट डाला।

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*डूसू चुनाव रिजल्ट 2025-अंतिम राउंड के बाद*

कुल डाले गए मत

अध्यक्ष : 59,882

उपाध्यक्ष : 59,869

सचिव : 59,863

संयुक्त सचिव : 59,919

ABVP के उम्मीदवार व परिणाम

अध्यक्ष – आर्यन मान : 28,821 वोट

उपाध्यक्ष – गोविंद तंवर : 20,547 वोट

सचिव – कुणाल चौधरी : 23,779 वोट

संयुक्त सचिव – दीपिका झा : 21,825 वोट

NSUI के उम्मीदवार व परिणाम

अध्यक्ष – जोसलीन नंदिता चौधरी : 12,645 वोट

उपाध्यक्ष – राहुल झांसला : 29,339 वोट (सबसे ज्यादा वोट)

सचिव – कबीर : 9,525 वोट

संयुक्त सचिव – लवकुश बधाना : 17,380 वोट

AISA–SFI के उम्मीदवार व परिणाम

अध्यक्ष – अंजलि : 5,385 वोट

उपाध्यक्ष – सोहन : 4,163 वोट

सचिव – अभिनंदना : 9,535 वोट

संयुक्त सचिव – अभिषेक : 8,425 वोट

नोटा (NOTA)

अध्यक्ष : 3,175 वोट

उपाध्यक्ष : 5,820 वोट

सचिव : 7,365 वोट

*सबसे ज्यादा वोट NSUI उम्मीदवार को मिले*

दिलचस्प तथ्य यह रहा कि उपाध्यक्ष पद पर NSUI के उम्मीदवार राहुल झांसला को इस चुनाव में सबसे ज्यादा 29,339 वोट मिले। इसके बावजूद NSUI को केवल यही एक पद हासिल हुआ, जबकि ABVP ने बाकी तीन पद जीतकर डीयू की राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ एक बार फिर साबित कर दी।

*डूसू में फिर दिखा ABVP का असर*

नतीजों से स्पष्ट है कि ABVP ने डीयू चुनावों में अपना वर्चस्व बरकरार रखा है। हालांकि NSUI को उपाध्यक्ष पद से आंशिक राहत मिली, लेकिन कुल परिणामों में संगठन पिछड़ गया। वहीं, AISA–SFI का प्रदर्शन इस बार भी सीमित दायरे तक ही सिमट कर रह गया।