Demand for Gold : भारतीयों का सोने के प्रति आकर्षण तेजी से बढ़ रहा, 10% वृद्धि दर जारी!
कमोडिटी एंड कॉरपोरेट विशेषज्ञ बसंत पाल की रिपोर्ट
Indore : बेहतर मानसून और आयात शुल्क में कमी के चलते चालू सीजन में भारत में सोने की मांग बढ़ने के संकेत हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने यह अनुमान जारी करते हुए कहा है कि पिछले साल की तुलना में वर्ष 2024 में भारत की स्वर्ण खपत 750 बढ़ कर 850 टन रहने का अनुमान है।
WGC के जॉन राइट ने अपनी भारत यात्रा के अवसर पर कहा कि भारत में सोने की मांग हर साल 10 % की दर से बढ़ रही हैं। स्वर्ण आभूषणों के प्रति भारतीयों का आकर्षण क़ायम है और यही वजह है कि भारत में सोने की खपत के बढ़ने का क्रम भी जारी है। उन्होंने कहा कि चालू सीजन में जुलाई से सितंबर की तिमाही में भारत की स्वर्ण खपत 230 टन रहीं हैं। यह सालाना 10% की वृद्धि दर्शा रहा है।
आगामी फेस्टिवल सीजन को देखते हुए सोने की मांग में वृद्धि का अनुमान है। क्योंकि, साल की अंतिम तिमाही अक्टूबर से दिसंबर में दिवाली, धनतेरस के साथ ही वैवाहिक ग्राहकों की डिमांड का समय भी रहेगा। अप्रैल से जून के दौरान जबकि आयात शुल्क अधिक था, उस दौरान भी सोने की मांग 5 % की वृद्धि रही थी और यह 158.1 टन रही।
सोने की इंपोर्ट ड्यूटी घटने से मांग बढ़ी
बजट 2024 से पहले सोने की ज्वेलरी सेगमेंट में मांग सुस्त थी। अधिकतर खरीदार शादी-विवाह वाले थे। सामान्य लोग जेवरात खऱीदने या सोने में निवेश से बच रहे थे। लेकिन, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में सोने पर आयात शुल्क घटाने का एलान किया और पूरे देश में गोल्ड की डिमांड ने फिर जोर पकड़ लिया।
इंटरनेशनल ज्वेलरी शो की रिपोर्ट बताती है कि खुदरा विक्रेताओं ने गोल्ड ऑर्डर बढ़ाया है। आगामी फेस्टिव और वेडिंग सीजन को देखते हुए यह आर्डर बढ़ा है। कुछ मामलों में तो गोल्ड ऑर्डर ने पिछले कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इससे जाहिर होता है कि उपभोक्ताओं की सोने में दिलचस्पी फिर बढ़ गई।
यूएस इलेक्शन का भी पड़ेगा असर
राइट ने कहा कि Gold ETF में निवेश भी वृद्धि के संकेत दर्शा रहा हैं। इसमें 50 टन सोना ही अब तक होल्ड किया गया है। उन्होंने कहा कि आगामी नवंबर में यूएस प्रेसिडेंट इलेक्शन को देखते हुए सोने में तेजी की संभावना हैं। ट्रंप की जीत पर सोने की कीमतों में उछाल आ सकता है,पर यह अधिक देर तक नहीं रहेगा, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी की जीत पर यह मान सकते हैं कि यह उस समय की नीतिगत और वैश्विक स्थिति पर निर्भर करेगा।