आदिवासी अंचल से उठी स्वर्गीय भूरिया को पद्म-विभूषण से सम्मानित करने की मांग!

- आदिवासियों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए बनाया पेसा कानून, नौवीं पुण्यतिथि पर स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया के प्रतिमा स्थल पर श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे उनके अनुयायी!

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आदिवासी अंचल से उठी स्वर्गीय भूरिया को पद्म-विभूषण से सम्मानित करने की मांग!

Jhabua : आदिवासी नेता स्वर्गीय दिलीपसिंह भूरिया की नौवीं पुण्यतिथि पर आदिवासी अंचल से उन्हें पद्म-विभूषण से सम्मानित करने की मांग उठी है। गौरतलब है कि स्वर्गीय भूरिया ने आदिवासी हित और अधिकारों के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। जिस तरह संविधान देश के हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा करता हैं उसी तरह से उन्होंने आदिवासियों को अधिकार प्रदान करने और ग्राम सभा को सशक्त बनाने के उद्देश्य से वे पेसा कानून लेकर आए। ऐसे में अंचल का हर व्यक्ति चाहता है कि स्वर्गीय भूरिया के योगदान को देखते हुए उन्हें पद्म-विभूषण जैसे राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा जाए। चूंकि सोमवार को उनकी नौवीं पुण्यतिथि थी, ऐसे में मेघनगर नाका स्थित उनके प्रतिमा स्थल पर उनके अनुयायियों का मेला लगा। सभी ने आदिवासी समाज के उत्थान के लिए उनके द्वारा दिए गए योगदान को शिद्दत से याद करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की।

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सुबह 9 बजे से ही प्रतिमा स्थल पर अन्युयायियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था, जो शाम तक अनवरत जारी रहा। स्वर्गीय दिलीपसिंह भूरिया के प्रति उनके अनुयायियों की आस्था इतनी गहरी है कि झाबुआ जिले के साथ ही सीमावर्ती रतलाम जिले से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने कई लोग पहुंचे। स्वर्गीय दिलीपसिंह भूरिया दलगत राजनीति से परे आदिवासी समुदाय के बीच एक सर्वमान्य नेता थे।

उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए उनकी बेटी महिला एवम् बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया, भाजपा जिलाध्यक्ष भानू भूरिया, पूर्व सांसद गुमान सिंह डामोर, अजजा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कलसिंह भाबर, पूर्व जिलाध्यक्ष शैलेष दुबे, विजय नायर, पूर्व नपाध्यक्ष पर्वत मकवाना, विश्वास सोनी, अक्षय कटारिया सहित जिलेभर के भाजपा नेता पहुंचे।

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प्रतिमा पर 30मीटर का साफा बांधा-

स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया की पुण्यतिथि पर उनके भतीजे बालू भूरिया, बेटी महिला एवम् बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया और भाजपा जिलाध्यक्ष भानू भूरिया ने आदिवासी संस्कृति के अनुरूप पूजन कर प्रतिमा पर 30 मीटर का साफा बांधा। इस दौरान जब तक सूरज चांद रहेगा, भूरिया जी का नाम रहेगा, जैसे नारे भी लगाए गए।