लोकतंत्र को चाहिए आधार लिंक मतदान…
मतदान हो और आरोप-प्रत्यारोप का दौर न चले, यह संभव ही नहीं है। ईवीएम से मतदान हो तो ईवीएम बेईमान साबित हो जाती है। बैलट पेपर से मतदान हो तब तो बूथ कैप्चरिंग का आरोप बहुत ही सहज-सरल हो जाता है। ऐसे में संकेत यही मिल रहे हैं कि जिस तरह बैंक खाते पूरी तरह से आधार से लिंक हो गए हैं और अब लेनदेन का पूरे ब्यौरे पर आयकर की नजर होती है। उसी तरह से आगे मतदान भी आधार से लिंक हो जाएगा और गड़बड़ होने पर चुनाव आयोग की सीधी नजर रहेगी। और तब हो सकता है कि बूथ पर जाने की जरूरत भी न रह जाए। वोटिंग का एक समय निर्धारित हो और घर से ही मतदान की प्रक्रिया भी पूरी तरह से संपन्न हो जाए। या फिर मतदान की सुविधा के लिए ई-वोटिंग सेंटर्स बना दिए जाएं, जो ई-बूथ के बतौर मतदाताओं को फिंगर प्रिंट या अन्य आइडेंटिफिकेशन के साथ मतदान करने की आजादी दें। और इसके साथ ही मतदान में फर्जीवाड़े की शिकायतों का अंत भी हो जाए। इससे रिमोट वोटिंग का विकल्प भी मतदाताओं को मिल सकेगा और दूरियां लोकतंत्र में मतदान के अधिकार का प्रयोग करने में बाधा नहीं बनेंगीं।
मध्यप्रदेश में निर्वाचन संबंधी आंकड़ों में इस तथ्य का खास तौर पर जिक्र किया गया है कि मतदाताओं से आधार कार्ड का संकलन का नियम बनाया गया है। इसके अंतर्गत लगभग 86 फीसदी मतदाताओं के आधार कार्ड संग्रहीत किए गए तथा मतदाताओं के मोबाइल नंबर भी संकलित करने के निर्देश जारी किए गए। और जो मतदाता अपना आधार कार्ड नंबर जमा नहीं कर रहे हैं, उन्हें फार्म 6 (ख) में जानकारी देने और मोबाइल नंबर दर्ज कराने के लिए फार्म 8 भरने का विकल्प दिया गया है। यानि मामला सीधा सा है कि आधार कार्ड जमा करना जरूरी जैसा ही है, क्योंकि अब सब कुछ सार्वजनिक होने के बाद यह साफ है कि कोई भी मतदाता आधार कार्ड देने से मना नहीं करेगा। और जब आधार कार्ड जमा होने की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, तब भारत निर्वाचन आयोग अगला फैसला लेने की स्थिति में पहुंच जाएगा। और तब जाकर जो जहां है, वहीं से मतदान करने की स्थिति का प्रावधान हकीकत बन सकेगा। हो सकता है कि 2024 का आम चुनाव ऐसी कुछ खास सौगात लेकर आए, जो लोकतंत्र की सेहत में चार चांद लगा सके। 21वीं सदी भारत में महत्वपूर्ण बदलावों वाली सदी रही है,तो हो सकता है कि एक बदलाव आधार कार्ड लिंक वोटिंग का हो, जिसमें आंखों की पुतली या फिंगर प्रिंट जैसी पहचान सौ फीसदी सही मतदान का जरिया बन जाए। और दूरदराज क्षेत्रों से भी अपनी विधानसभा या लोकसभा और सभी मतदान की प्रक्रिया में शामिल होने की सुविधा मतदाताओं को मिल सके।
निर्वाचन की प्रक्रिया में दूसरा खास प्रावधान यह है कि जो भी युवा 17 वर्ष के हो गए हैं, वह मतदाता सूची में अपना नाम जोड़ने का आवेदन भर सकते हैं। उनकी आयु 18 वर्ष हो जाने पर निर्वाचन आयोग उनका ईपिक कार्ड बनाकर उनके पते पर डिलीवर करवा देगा। युवा ही बदलाव का आधार हैं और आधार कार्ड से लिंक होकर मतदान करने के प्रावधान को भी वह दिल से स्वीकार करेंगे। तो अच्छा ही है कि मतदान की प्रक्रिया से फर्जी शब्द पूरी तरह से विलोपित होकर राजनैतिक दलों और उनके उम्मीदवारों में भरोसा जगा सके। तो मतदाताओं में भी सुकून और विश्वास से भरी मतदान प्रक्रिया एक नई उम्मीद जगा सके। यानि 21वीं सदी में मजबूत और पारदर्शी लोकतंत्र को अब आधार का साथ जरूरी है। ताकि वी फॉर वोटिंग के वी फॉर विक्ट्री बनने में भरोसे पर भ्रम के बादल न मंडरा सकें।