Deteriorating Handwriting : पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति द्वारा ‘बिगड़ती हैंडराइटिंग -कारण और समाधान’ विषय पर परिसंवाद

229

विचार श्रृंखला की प्रथम किश्त –

Deteriorating Handwriting : पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति द्वारा ‘बिगड़ती हैंडराइटिंग -कारण और समाधान’ विषय पर परिसंवाद

 पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति भोपाल ने बिगड़ती लिखावट पर एक डिजिटल संवाद आयोजित किया।  लिखावट का मतलब है किसी चीज को पेन या पेंसिल से लिखने का तरीका। इसे अंग्रेज़ी में “Handwriting” कहते हैं. लिखावट को लिखने के ढंग या लिपि के रूप में भी समझा जा सकता है. “आजकल माता पिता और शिक्षक विद्यार्थियों की लिखावट पर पहले जैसा ध्यान नहीं देते , जिससे हैंडराइटिंग खराब होती जा रही है।” बच्चों की शिक्षा लगातार डिजिटल माध्यमों पर जा रही है ऐसे में बच्चे कागज पर लिखना जरुरी नहीं समझते या जब एक आवेदन किसी प्लेन  कागज पर लिखते है ंतो वे कश्मीर से कन्याकुमारी की यात्रा मतलब चार लाइन सीधी नहीं लिख पाते ,अक्षर भी कई बार आप लिखे खुदा बांचे  जैसा हो गया है। आप क्या सोचते हैं। क्यों हैंडराइटिंग को महत्व नहीं दे रहे बच्चे भी और माता पिता भी ? आइये जानते है-

संयोजक -डॉ .रूचि बागड़देव 

1 .हैंडराइटिंग केवल सुंदरता का विषय नहीं, बल्कि यह अनुशासन, अभ्यास और आत्म-अभिव्यक्ति की पहचान है–कीर्ति किरण कापसे

आजकल तकनीकी युग में बच्चों की शिक्षा का एक बड़ा हिस्सा डिजिटल माध्यमों पर निर्भर हो गया है — जैसे मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट आदि। इससे हाथ से लिखने की आदत धीरे-धीरे कम होती जा रही है। पहले स्कूलों में सुलेख प्रतियोगिताएँ होती थीं, और शिक्षकों द्वारा हर छात्र की कॉपी देखकर लिखावट पर टिप्पणी की जाती थी। माता-पिता भी घर पर बच्चों को साफ-सुथरी लिखावट के लिए प्रेरित करते थे। लेकिन अब पढ़ाई की गति इतनी तेज़ हो गई है कि न शिक्षक और न ही माता-पिता के पास इतना समय रह गया है कि वे लिखावट पर ध्यान दें।पहले स्कूलों में सुलेखन करवाया जाता था।कई बार पाठ याद करवाने के लिए 5, 5 बार घर से लिख कर लाने को भी कहा जाता था ।

Deteriorating Handwriting
Deteriorating Handwriting

माता पिता भी होमवर्क सजगता से देखते और करवाते थे ।माताएं घरेलू होती थी ,जिस से उनकी संपूर्ण दृष्टि बच्चों की पढ़ाई पर होती थी ।अब कामकाजी माताओं के लिए ये थोड़ा मुश्किल हो जाता है ।बच्चे होम ट्यूटर के भरोसे है जिससे भी लिखावट कर उतना ध्यान नहीं दिया जाता ।वे घंटे के हिसाब से अपना पाठ पढ़ा कर रुखसत हो जाते है ।

दूसरी ओर, आजकल परीक्षा प्रणाली भी अधिक वस्तुनिष्ठ (Objective) होती जा रही है, जहाँ हाथ से लंबे उत्तर लिखने की आवश्यकता नहीं रहती। इससे भी विद्यार्थियों की लिखने की आदत कमज़ोर पड़ती है। परिणामस्वरूप, उनकी हैंडराइटिंग खराब हो जाती है, जो आगे चलकर उनके आत्मविश्वास और अभिव्यक्ति की क्षमता को भी प्रभावित कर सकती है।

समाधान के रूप में:
1. स्कूलों में नियमित रूप से सुलेख अभ्यास कराया जाए।
2. शिक्षकों को छात्रों की लिखावट पर व्यक्तिगत ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
3. घर पर माता-पिता बच्चों को दिन में कम से कम 15-20 मिनट सुंदर लेखन का अभ्यास करवाएं।
4. डिजिटल उपकरणों के उपयोग को सीमित कर हाथ से लिखने की संस्कृति को बढ़ावा दिया जाए।

हैंडराइटिंग केवल सुंदरता का विषय नहीं, बल्कि यह अनुशासन, अभ्यास और आत्म-अभिव्यक्ति की पहचान है। अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चों की सोच साफ और व्यवस्थित हो, तो हमें उनकी लिखावट पर भी उतना ही ध्यान देना होगा।

                                                =====================

2 .कम उम्र अर्थात 3- 4 वर्ष के बच्चों को पेन पेंसिल के प्रयोग से रोके -अपर्णा खरे

लिखावट के गिरते स्तर का प्रमुख कारण बच्चों का कम उम्र से ही शाला व पालना घर आदि जगहों पर भेजा जाना है जहाँ बच्चों को बहुत जल्दी लिखना सिखाया जाता है| इसके अन्य कारण इस तरह से हैं-
1. कम उम्र के बच्चों को पेन पेंसिल आदि उपयोग के लिए देना|
2. लिखाई के लिए प्रयोग में ली जाने वाली कॉपी की सतह अर्थात कागज का अत्यंत पतला होना|
3. चार रेखीय और दो रेखा वाली कॉपियों का प्रयोग कम उम्र से ही आरम्भ|
4. लिखावट सुधारने की कार्य- पुस्तिका अर्थात work book सिर्फ दिखाने के लिये- शाला में उस पर लिखवाया नहीं जाता है सिर्फ गृह कार्य दिया जाता है और माता-पिता भी उस पर कोई ध्यान नहीं देते|
सुधार हेतु सुझाव-

यूनिक भाषा सुलेख - पार्ट 3 - बुक टू लर्न एंड प्रैक्टिस राइटिंग हिंदी अल्फाबेट, मात्रा, वर्ड्स एंड सेन्टेन्सेस फॉर 2-10 ईयर ओल्ड चिल्ड्रन (ग्रेड ...

1. कम उम्र अर्थात 3- 4 वर्ष के बच्चों को पेन पेंसिल के प्रयोग से रोके उन्हें मोटे crayons से गोदने के लिए प्रेरित करने से भविष्य में उनकी उंगलियों की मसल्स मजबूत बनेंगी|2. चित्र कला की पुस्तिकाएं मोटे पेज की होती है अतः उन पर या जमीन और स्लेट पर कार्य करवाएं|
3. चार रेखीय और दो रेखा वाली कॉपियों का प्रयोग 6 साल के बच्चों के लिए तो ठीक है पर उससे पहले रेखाओं के अनुसार लिखाना उचित नहीं है|
4. लिखावट सुधारने के प्रयासों के प्रति अभिभावकों व शिक्षकों को मिलकर सजग, सतत और संजीदगी से प्रयास करने चाहिए|
5. लिखावट से संबंधित विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाना चाहिए|

============================

3 .माता पिता स्वयं धन कमाने एवं मॉल संस्कृति, किटी पार्टी में व्यस्त हैं — संजू पाठक, इंदौर

मां ने दिखाया बेरहमी का चेहरा, 9 साल का बच्चा बिना सहारे 2 साल तक जिंदा रहा - mother abandoned her 9 year old son for her boyfriend the boy survived alone

आधुनिक तकनीकी गैजेट्स वाले परिवेश में , माता पिता स्वयं धन कमाने एवं मॉल संस्कृति, किटी पार्टी में व्यस्त होकर बच्चों को स्वयं समय देने में असमर्थ हैं। बच्चे या तो अपने भरोसे हैं, या फिर आया ,बाई के सहारे हैं। माता पिता के पास अपने बच्चों के साथ समय बिताने के लिए नहीं है। कक्षा पांचवीं तक अगर बच्चों के हैंडराइटिंग पर ध्यान दिया जाता है, तो निश्चित रूप से उनका हस्तलेखन सुंदर ,सुव्यवस्थित और पठनीय हो जाता है, इसके विपरीत जैसे ही वह माध्यमिक स्तर की कक्षा में जाता है, उसके ऊपर पढ़ाई का बोझ और पाठ्यक्रम और बढ़ जाता है और वह सुंदर हस्त लेखन की ओर तो ज़रा सा भी ध्यान नहीं दे पाया है।
अतएव माता पिता को चाहिए कि बच्चों की नींव मजबूत रखने के लिए प्रारंभिक कक्षाओं से व्यक्तिगत ध्यान दें , फिर चाहे वह हस्त लेखन हो या उनमें संस्कारों का बीजारोपण हो। बच्चे तो कोरा कागज़ होते हैं, जो अंकित करना चाहेंगे, वह हो जाएगा। माता पिता की वर्तमान जीवन शैली बच्चों पर बहुत नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
                                        =============

4 .किसको दोष दें ,आज ही खरगौन का वीडियो आया है जिसमें स्कूल की दो शिक्षिका को लड़ते झगड़ते हुए देखा गया – नीलम सिंह सूर्यवंशी

आजकल मातापिता और शिक्षक बच्चों की लिखावट पर पहले जैसा ध्यान नहीं दे रहे हैं,जिससे लिखावट खराब हो रही है ।
मैं इस बात से पूर्णरूप से सहमत हूँ ।जहाँतक मैं समझ पा रही हूँ इसका बहुत बड़ा कारण आजकल की शिक्षा व्यवस्था और माता-पिता दोनों का कामकाजी होना है। स्कूलों की जिस तरह लैपटॉप पर पढ़ाई होती है उससे बच्चों की लिखनें की आदत खत्म होती जा रही हैं ।सरकारी स्कूलों की तो और भी बदतर स्थिति है आज ही खरगौन का वीडियो आया है जिसमें स्कूल की दो शिक्षिका को लड़ते झगड़ते हुए देखा गया है ।
अब जब बच्चों की जगह शिक्षक झगड़ते हुए दिखाई देते हैं तो बच्चों को कोन पढ़ाएगा ।कई ऐसे परिवार भी हैं जिसमें माता पितादोनों सुबह चले जाते हैं और बच्चों को किसी झूलाघर में भेज देते हैं तथा रात में जब वो आते है तब बच्चों को लेकर आते हैं, बच्चें झूलाघर से ही स्कूल जाते हैं और शाम फिर से झूलाघर में चले जाते हैं।बच्चें ने क्या खाया क्या पिया क्या किया सब कुछ मोबाइल पर आ जाता है ।और मातापिता निश्चिंत हो जाते हैं ।जिसके कारण बच्चों के साथ समय ही नहीं बिताते है ।

पढ़ाई से चिड़चिड़ाए बच्चे ने मां को सुनाई खरी-खोटी, मासूम की बातें सुन हंसी और चिंता में पड़ गए लोग

मुझें लगता हैं हैंडराइटिंग के लिए हमारी पहलें वाली पद्धति ही सबसे बेहतर है,जिसमें रोज़ एक पेज नक़ल करवाई जाती थी और डिक्टेशन के माध्यम से भी बच्चों की लिखावट पर ध्यान दिया जाता था।
माता पिता को भी बच्चों को पहले की तरह रोज़ स्कूल से आने के बाद ख़ुद को भी ध्यान देना होगा।
अब से दो साल पहले एक दिन मैंने कुछ लिखा और बिटिया ने पढ़ा तो बोली मम्मी आप कितना ग़लत लिखती हो, आप एक ऑफिसर की पत्नी हो अपनी गलतियों को सुधारने की कोशिश करो ।आप रोज़ अखबार में एक ख़बर को पढ़कर लिखो ,मैंने ऐसा ही किया थोड़े ही दिनों में लिखावट में सुधार हो गया।

                       =================================

5 .-जिसका कारण मोबाइल, लैपटॉप और टैबलेट है-सुरेखा सरोदे

आजकल माता-पिता और शिक्षक विद्यार्थियों की लिखावट पर पहले जैसा ध्यान नहीं दे रहे हैं, जिसका कारण मोबाइल, लैपटॉप और टैबलेट है। जिससे उनकी लिखावट खराब हो रही है। हमारे बचपन में स्कूल में शुद्ध लेखन दिया जाता था जिससे मात्राओं के साथ अक्षर भी मोतियों जैसे होते थे, आज स्कूलो में लिखावट पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता। इस समस्या का समाधान यह है कि घर और स्कूल दोनों स्तरों पर बच्चों को नियमित रूप से सुलेख अभ्यास के लिए प्रोत्साहित किया जाए। हाथ से लिखने के महत्व को समझाया जाए और सप्ताह में कम से कम एक दिन सुलेख दिवस के रूप में मनाया जाए, ताकि बच्चों की लिखावट सुधरे और सुंदर लेखन की आदत विकसित हो।

                  ========================================
6 .सुंदर लेखन प्रतियोगिता रखें तो बच्चों में कंपटीशन की भावना बढ़ेगी-प्रभा तिवारी

परिसंवाद का विषय -क्या आजकल माता पिता और शिक्षक विद्यार्थियों की
लिखावट पर पहले जैसा ध्यान नहीं देते , जिससे हैंडराइटिंग खराब होती जा रही हैं। कारण और समाधान

पहले सुंदर लेखन की शिक्षक स्कूल में प्रतियोगिता रखते थे
इस कारण मां पिता भी बच्चों पर सुंदर लेखन के लिए ध्यान देते थे
और पहले लिप पेन और स्याही का उपयोग करते थे।
इसका समाधान यही है कि स्कूल में आज भी अगर शिक्षक सुंदर लेखन प्रतियोगिता रखें तो बच्चों में कंपटीशन की भावना बढ़ेगी मां-बाप भी ध्यान देंगे और हैंडराइटिंग अच्छी होंगी। 

क्रमशः —शेष -अगले अंक में —-

Symposium by Indore Lekhika Sangh: समस्याओं को निपटाना क्यों? हल करने की सतत कोशिश करना चाहिए।