Devastation in West Bengal: दार्जिलिंग और मिरिक में भूस्खलनों से 20 की मौत, पुल ढहा-सैकड़ों पर्यटक फंसे, सेना और NDRF राहत कार्य में जुटी

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Devastation in West Bengal: दार्जिलिंग और मिरिक में भूस्खलनों से 20 की मौत, पुल ढहा-सैकड़ों पर्यटक फंसे, सेना और NDRF राहत कार्य में जुटी

Darjeeling/Kolkata: पश्चिम बंगाल के पर्वतीय जिलों में हुई मूसलाधार बारिश ने तबाही मचा दी। दार्जिलिंग, मिरिक और कालिम्पोंग इलाकों में भूस्खलन और जलभराव से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। ताजा जानकारी के अनुसार दार्जिलिंग जिले में भारी बारिश और भूस्खलन की घटनाओं में अब तक कम से कम 20 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग लापता हैं। कई स्थानों पर सड़कों और पुलों के टूटने से यातायात पूरी तरह ठप है।

 

**बारिश का रौद्र रूप: नदियां उफान पर, पुल टूटा, सड़कें बह गईं**

लगातार दो दिनों से जारी बारिश के चलते डूडिया आयरन ब्रिज (Dudhia Iron Bridge) ढह गया, जो मिरिक और सिलिगुड़ी को जोड़ने वाला मुख्य संपर्क मार्ग था। पुल के टूटने से दोनों क्षेत्रों का संपर्क पूरी तरह कट गया है। तेज बहाव में कई वाहन और मकान बह जाने की भी आशंका जताई जा रही है।

भूस्खलन की वजह से दार्जिलिंग, कुरसेओंग और मिरिक की कई सड़कें बंद हो गई हैं। जगह-जगह बिजली के खंभे और पेड़ उखड़ने से संचार व्यवस्था भी चरमरा गई है।

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने सोमवार और मंगलवार के लिए भी उत्तर बंगाल में “रेड अलर्ट” जारी किया है और कहा है कि अगले 48 घंटे तक लगातार भारी वर्षा की संभावना है।

 

*दार्जिलिंग में सबसे ज़्यादा तबाही:घरों पर गिरा पहाड़ का मलबा**

दार्जिलिंग के कई इलाकों में पहाड़ी ढलानों से भारी मात्रा में मलबा घरों पर गिरा। कई लोग रात में सोते समय भूस्खलन की चपेट में आ गए।

टाइम्स ऑफ इंडिया और इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मृतकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। अब तक 20 शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि 30 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं।

दार्जिलिंग, मिरिक और कालिम्पोंग के बीच संपर्क मार्ग टूट जाने से राहत दलों को भी प्रभावित इलाकों तक पहुंचने में दिक्कतें आ रही हैं।

 

**सेना, NDRF और SDRF राहत कार्य में जुटी**

राज्य सरकार ने सेना, NDRF और SDRF की टीमें राहत एवं बचाव कार्यों के लिए तैनात की हैं। हेलीकॉप्टरों की मदद से दूरस्थ गांवों में फंसे पर्यटकों और ग्रामीणों को निकालने की कोशिश की जा रही है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हालात की समीक्षा की है और उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है। उन्होंने कहा- “उत्तर बंगाल के कई इलाके भारी बारिश और भूस्खलन से प्रभावित हैं। हम स्थिति पर लगातार नज़र रखे हुए हैं। सभी जिला प्रशासन को सतर्क रहने और हरसंभव सहायता पहुँचाने के निर्देश दिए गए हैं।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मृतकों के प्रति शोक प्रकट किया है और केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव सहायता का भरोसा दिलाया है।

 

**हेल्पलाइन नंबर जारी, राहत कैंप बनाए गए**

दार्जिलिंग और मिरिक प्रशासन ने आपदा प्रभावित परिवारों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। प्रभावित इलाकों में अस्थायी राहत शिविर, भोजन वितरण केंद्र और चिकित्सा टीमें स्थापित की गई हैं।

कई स्कूलों और सामुदायिक भवनों को राहत शिविरों में बदला गया है। अब तक 1500 से अधिक लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाए गए हैं।

 

**ट्रेन और सड़क यातायात पर असर, पर्यटक फंसे**

भारी बारिश और मलबे के कारण दार्जिलिंग हिल रेलवे (टॉय ट्रेन) की सभी सेवाएं रद्द कर दी गई हैं। सिलिगुड़ी–मिरिक–दार्जिलिंग मार्ग पूरी तरह बंद है।

सैकड़ों घरेलू और विदेशी पर्यटक होटल व लॉजों में फंसे हुए हैं। प्रशासन उन्हें सुरक्षित स्थानों तक ले जाने के लिए बसों और छोटे वाहनों की व्यवस्था कर रहा है।

 

**अगले 48 घंटे अत्यंत संवेदनशील**

मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि उत्तरी बंगाल के दार्जिलिंग, कालिम्पोंग, जलपाईगुड़ी और कूचबिहार जिलों में अगले 48 घंटे तक भारी से अति भारी वर्षा की संभावना है। इससे नदियों का जलस्तर और बढ़ सकता है।

भूस्खलन की संभावनाओं को देखते हुए स्थानीय लोगों को सतर्क रहने और ऊंचे इलाकों में शरण लेने की अपील की गई है।

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पश्चिम बंगाल के पहाड़ी जिलों में आई यह प्राकृतिक आपदा राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। दार्जिलिंग और मिरिक में जनहानि के साथ-साथ पुलों, सड़कों और बिजली-संरचना को भारी नुकसान हुआ है।

प्रशासन राहत कार्यों में जुटा है, लेकिन लगातार बारिश और पहाड़ी ढलानों पर सक्रिय भूस्खलन की वजह से हालात फिलहाल नियंत्रण में नहीं हैं।

यह आपदा एक बार फिर यह याद दिलाती है कि पहाड़ी इलाकों में अनियोजित निर्माण और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव किस तरह बड़ी तबाही का कारण बन रहे हैं।