
Developed Agriculture Resolution : कृषि मंत्रालय का 15 दिन का ‘विकसित कृषि संकल्प’ अभियान शुरू, 1681 किसानों को सलाह!
इस अभियान का उद्देश्य खरीफ फसल की उत्पादकता वृद्धि के लिए प्रयास करना!
Indore : विकसित कृषि संकल्प के 15 दिनों के अभियान के शुरुआती तीन दिनों में जिले के 1681 कृषकों को खरीफ बोवनी से पूर्व फसलों की जानकारी दी गई। इसका उद्देश्य उत्पादकता वृद्धि के लिए प्रयास करना है। केंद्र सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय ने 29 मई से 12 जून तक पूरे देश में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ शुरू किया है।
इस अभियान के पहले दिन जिले के उमरीखेडा, असरावद खुर्द, मिर्ज़ापुर, रामपुरिया, कोलानी, काली किराय, कदवाली बुजुर्ग, मांगलिया, रामपिपलिया, औरंगपुर, मांचल, रोलाय सहित 12 गाँवों में किसानों को खरीफ फसल की उत्पादकता बढ़ाने की सलाह दी गई। अभियान के दूसरे दिन तिल्लोर खुर्द, तिल्लोर बुजुर्ग, जामनिया खुर्द, धन्नाड, करदिया, अटावदा, दकाच्या, फरासपुर, पलासिया, गोक्न्या कुंड, चसिया, नाहरखेडी सहित अन्य 13 गाँव में किसानों को समझाइश दी गई। जबकि, तीसरे दिन पिवड़ाय, पिपल्दा, सेमिलिया रायमल, खुर्दा, खुर्दी, गोलकुंड-खुर्द, बूड़ी बरलाई, गुरन, पुवार्दादाई, सागडोद, कालीबिल्लोद, घटीविल्लोद सहित 12 गाँवों सहित 37 गाँवों के 1681 किसानों को जानकारी दी।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान तथा कृषि विज्ञान केंद्र कस्तूरबाग्राम के कृषि वैज्ञानिकों स्थानीय कृषि विभाग के अधिकारियों के सहयोग से उनके गाँव जाकर खरीफ की बोवनी से पूर्व सोयाबीन, मक्का जैसी फसलों की नई तकनिक की जानकारी दी। इसके लिए इंदौर जिले के सभी तहसीलों में आईसीएआर संस्थान, कृषि विज्ञान केंद्र एवं कृषि विभाग के अधिकारियों की टीमें गठित की गई। उन्होंने इन गाँवों के जाकर किसानों को इकठ्ठा कर फसलों की उत्पादन तकनिकी, नवीनतम कृषि पद्धतियों, उद्यानिकी, सहित केंद्र एवं राज्य शासन द्वारा संचालित कृषकों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी गई।
इंदौर जिले के महू ब्लाक के गांवों के लिए गठित टीम में राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ बीयू दुपारे ने जिले के लिए उपयुक्त एनआरसी 150, एनआरसी 142, एनआरसी 165 जैसी सोयाबीन की विभिन्न अनुशंसित किस्में, विपरीत मौसम (अतिवृष्टि या सूखा) में उपयोगी बोवनी की चौड़ी क्यारी पद्धति, कुढ़-मेड प्रणाली, रेज बीएड पद्धति जैसी बोवनी की विधियों की जानकारी दी गई। मेढ़ के चारों तरफ की खाली जगह पर कीट आकर्षक सुवा एवं गेंदे की फसलों का प्रयोग को अपनाकर खेती में आने वाले व्यय को कम करने की सलाह दी। साथ ही कृषकों के प्रश्नों के उत्तर देकर उनकी स्थानीय समस्याओं का निराकरण किया।
इसी प्रकार कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ धर्मेन्द्र कुमार मिश्रा ने मानपुर एवं नजदीकी क्षेत्र में लगाई जाने वाली कद्दू एवं अन्य सब्जी वर्गीय फसले, मक्का उत्पादन तकनिकी बाबत जानकारी दी। जबकि, कृषि विस्तार प्रशिक्षण केंद्र के एके जायसवाल द्वारा खरीफ की फसलों में जैविक उत्पादन तकनिकी में उपयुक्त तरीकों की जानकारी दी।





