Devendra Fadnavis is Now CM: महाराष्ट्र में 3 दलों का राजनीतिक संगम, महायुति त्रिवेणी नदियों के संगम की तरह पवित्र रहेगा?

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Devendra Fadnavis is Now CM: महाराष्ट्र में 3 दलों का राजनीतिक संगम, महायुति त्रिवेणी नदियों के संगम की तरह पवित्र रहेगा?

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट 

महाराष्ट्र चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी भारतीय जनता पार्टी के नेता,प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे और निवर्तमान उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के 18वें मुख्यमंत्री बन गए हैं। उन्होंने गुरुवार शाम को मुंबई के आजाद मैदान में मुख्यमंत्री के पद और गोपनीयता की शपथ ली। फडणवीस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 22 राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उप मुख्यमंत्रियों तथा बड़ी संख्या में मौजूद महायुति गठबन्धन के कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में महाराष्ट्र के राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने मुख्यमंत्री पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। फडणवीस तीसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने है। फडणवीस के साथ महाराष्ट्र के निवर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख अजित पंवार ने भी शपथ ग्रहण की। दोनों को नई सरकार में डिप्टी सीएम बनाया गया है। फडणवीस सरकार के अन्य मंत्रियों की शपथ ग्रहण कुछ दिन बाद होने की उम्मीद है।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में इस बार कांग्रेस, शरद पंवार की एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के महाअघाड़ी गठबंधन पर भाजपा, अजीत पंवार की एनसीपी और शिवसेना शिन्दे गुट के महायुति गठबन्धन को प्रचंड जीत मिली। लेकिन,इस अभूतपूर्व विजय के बाद मुख्यमंत्री के नाम का चुनाव करने के लिए कई दिनों तक भारी उधेड़बुन की स्थिति बनी रही लेकिन आखिर में 11 दिन बाद गुरुवार को देवेंद्र फडणवीस को महायुति गठबन्धन और भाजपा विधायक दल का नेता चुन लिया गया। हालांकि इस बार चुनाव नतीजे आने के बाद गठबंधन के दलों के मध्य कई दिनों तक चली माथापच्ची के बाद महायुति गठबन्धन के मुख्यमंत्री पद के लिए फडणवीस के नाम पर मुहर लगी। महायुति गठबन्धन की पिछली सरकार में उद्धव ठाकरे की शिवसेना को छोड़ कर आए शिवसेना गुट के नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया गया था। तब समय की नाजुकता को देखते हुए भाजपा को भारी मन से अपने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को उप मुख्यमंत्री बनाना पड़ा था। फडणवीस के साथ शरद पंवार का साथ छोड़ कर आए अजित पंवार को भी उप मुख्यमंत्री बनाया गया था,लेकिन इस बार बाजी पलट गई और महायुति गठबन्धन में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरा। ऐसे में देवेंद्र फडणवीस को अपने पिछले त्याग के बतौर पुरस्कार मुख्यमंत्री तथा शिन्दे और पंवार को डिप्टी सीएम बनाया गया हैं।

महाराष्ट्र में इस बार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 132 सीटें जीत महायुति गठबंधन में सबसे अधिक सीटें जीती। इसके साथ ही देवेंद्र फडणवीस गठबंधन के मुख्यमंत्री के सबसे बड़े और स्वाभाविक दावेदार बनकर उभरे । पिछली बार की परिस्थितियों को देखते हुए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के कहने पर फडणवीस ने मुख्यमंत्री के पद को छोड़ एक बड़ा त्याग किया था जिसकी स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सार्वजनिक रुप से प्रशंसा की थी लेकिन इस बार भी उन्हें यह पद आसानी से नहीं मिला एवं विधायक दल का नेता चुने जाने के लिए उन्हें 11 दिन तक इन्तजार करना पड़ा। देवेंद्र फडणवीस को 4 दिसंबर को भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया। गुरुवार को शपथ लेने से पहले फडणवीस मुम्बई के सुप्रसिद्ध सिद्धि विनायक मंदिर पहुंचे । उन्होंने वहां गणपति बप्पा का आशीर्वाद लिया । इसके बाद उन्होंने गौमाता की पूजा भी की । शपथ समारोह में पहले देवेंद्र फडणवीस और फिर उनके बाद एकनाथ शिंदे एवं अजित पवार ने डिप्टी सीएम की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में देश के दो सबसे बड़े प्रदेशों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा भी मौजूद थे।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री चिकित्सा राहत कोष से 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने के एक आदेश पर हस्ताक्षर किए। यह वित्तीय सहायता पुणे निवासी चंद्रकांत शंकर कुर्हाड़े के बोन मैरो ट्रासप्लांट के इलाज के लिए प्रदान की गई है। फडणवीस की यह त्वरित कार्रवाई स्वास्थ्य सेवाओं और कल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। साथ ही यह निर्णय उनके तीसरे कार्यकाल की एक महत्वपूर्ण शुरुआत भी है।

फडणवीस सरकार ने महाराष्ट्र में नए विधायकों को शपथ दिलाने और स्पीकर के चुनाव के लिए सात दिसंबर से विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया है। इस सत्र के बाद दिसंबर के मध्य में नागपुर में राज्य विधानसभा का शीतकालीन सत्र होगा। सूत्रों की मानें तो इससे पहले फडणवीस अपने मंत्रीमंडल का विस्तार कर लेंगे। पिछली शिन्दे सरकार में महायुति गठबन्धन के कुल मंत्रियों की संख्या 28 थी। इस बार मंत्रियों की संख्या के और अधिक बढ़ने की उम्मीद है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार महायुति 2.0 सरकार में 50:30:20 का फॉर्मूला रहने पर सहमति बनी है। इस फॉर्मूला के अनुसार भाजपा को 21 और शिवसेना शिंदे तथा एनसीपी अजित पंवार को क्रमशः 12 और 10 मंत्री पद मिल सकते हैं। हालांकि मंत्रियों के विभागों के बंटवारे को लेकर भी पेंच फंस सकता हैं।

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महाराष्ट्र की राजनीति पर नज़र रखने वाले राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक़ पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के पास वर्तमान परिस्थितियों में उप मुख्यमंत्री का पद स्वीकार करने के अलावा और कोई विकल्प ही नहीं था। विशेषज्ञ कहते है कि शिंदे के सामने यह पद मंजूर करने के अतिरिक्त और कोई चारा नहीं था। शिंदे को किसी भी हालत में, भाजपा जो भी कहे, वो मानना ही पड़ता, क्योंकि महायुति गठबन्धन में बीजेपी के विधायकों की संख्या सबसे ज्यादा है। ऐसी स्थिति के शिन्दे गुट के लिए चुपचाप राज्य की सत्ता में बना रहने के अलावा और कोई विकल्प शेष नहीं था। यदि भाजपा के पास नंबर नहीं होते तो एक बार फिर से शिन्दे को मुख्यमंत्री बनाने की बात पर विचार किया जाना संभव था । ढाई साल पहले जब भाजपा को एकनाथ शिन्दे की राजनीतिक रुप से ज़रूरत थी, तब उन्होंने शिंदे को सीएम का पद दिया और देवेंद्र फडणवीस को बेमन से डिप्टी सीएम बनाया लेकिन अब भाजपा के सामने ऐसी कोई मजबूरी नहीं थी कि शिंदे को ही सीएम बनाया जाए और इतने बड़े बहुमत से मिली जीत के बाद भी भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया जाए। दूसरी ओर, शिंदे के पास भी ऐसा कोई ऑप्शन नहीं था, जिसमें वो दूसरे किसी गठबंधन के साथ जाते। यदि वो भाजपा को छोड़ कर जाते भी तो भाजपा आराम से अन्य विधायकों के समर्थन से बहुमत जुटा लेती।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा की जीत का स्ट्राइक रेट 80 प्रतिशत से ज़्यादा रहा है,जबकि शिवसेना और एनसीपी का स्ट्राइक रेट 70 प्रतिशत के आसपास हैं। ऐसे में एकनाथ शिंदे ने भाजपा से ही मुख्यमंत्री बनाए जाने के महायुति गठबन्धन के फ़ैसले का समर्थन तो कर दिया है,लेकिन इसके बावजूद शिन्दे अस्वस्थ होने के बहाने अपने गृह नगर चले गए तथा उनके समर्थक नेताओं द्वारा दिए गए बयानों से राजनीतिक गलियारों में कई सवाल भी उठें। इधर कुछ लोगों का मानना है कि शायद भाजपा ने शिंदे पर कोई इमोशनल दबाव डाला होगा कि जब फडणवीस दो बार मुख्यमंत्री रहने के उपरान्त भी उप मुख्यमंत्री बन सकते हैं तो आप क्यों नहीं बन सकते? दूसरा कारण यह भी बताया जा रहा है कि आने वाले महानगर पालिका चुनावों में अगर शिवसेना को यानी शिंदे गुट को बहुमत से चुनाव जीतना है तो उसके लिए उनका सत्ता में बने रहना बहुत ज़रूरी है क्योंकि सत्ता के बगैर वो संगठन नहीं चला सकते हैं । संभवत शिंदे की इसी प्रैक्टिकल सोच की वजह से उन्होंने महायुति गठबंधन में बने रहने और उप मुख्यमंत्री का पद स्वीकार करने के लिए अंततः अपनी हामी भरी है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि वैसे भी गठबंधनों की सरकारों में अपवादों को छोड़ कर प्रायः सबसे बड़ी पार्टी को ही नैसर्गिक रूप से गठबंधन का नेतृत्व करने का हक मिलता है जैसा कि केंद्र में एनडीए की सरकार का नेतृत्व तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही कर रहें है फिर ऐसे हालातों में देवेंद्र फडणवीस के महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने पर इतना शोर मचाया जाना अथवा किसी का नाराज या खुश होना बेमानी ही लगता है।

देखना है महाराष्ट्र में तीन दलों के गठबन्धन महायुति का यह राजनीतिक संगम त्रिवेणी नदियों के संगम की तरह पवित्र होकर आने वाले समय में अपने आपको जन आकांक्षाओं के अनुरूप साबित करता है अथवा ऐसी कोई संभावना नहीं होने के विपरीत कालांतर में अलग-अलग धाराओं में बंट कर 1977 में केन्द्र में बनी जनता पार्टी सरकार की तरह कोई पुनरावृति तो नहीं करेगा?