Dewas Loksabha Constituency: भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों ने शहर से बनाई दूरी, ग्रामीण क्षेत्र में झोंकी ताकत

प्रचार के लिए नहीं आया भाजपा का कोई बड़ा नेता,कांग्रेस के लिए गुर्जरों को साधने आए सचिन पायलट 

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Dewas Loksabha Constituency: भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों ने शहर से बनाई दूरी, ग्रामीण क्षेत्र में झोंकी ताकत

दिनेश निगम ‘त्यागी’ की ग्राउंड रिपोर्ट 

मालवा अंचल की देवास लोकसभा सीट में भाजपा के महेंद्र सिंह सोलंकी और कांग्रेस के राजेंद्र मालवीय के बीच मुकाबला हो रहा है। दोनों बलाई समाज से हैं। खास बात यह है कि दोनों प्रत्याशी शहरी क्षेत्रों में कम ध्यान दे रहे हैं। दोनों का फोकस ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा है। कांग्रेस के मालवीय तो प्रचार के लिए देवास शहर में आए ही नहीं। कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता भी प्रचार करते नजर नहीं आए। भाजपा की ओर से नेता और कार्यकर्ता तो घूम रहे हैं लेकिन प्रत्याशी सोलंकी उनके साथ दिखाई नहीं पड़ते। इनका फोकस भी ग्रामीण क्षेत्रों में ही ज्यादा है। बताते हैं कि भाजपा ने मान लिया है कि शहर का वोट तो उसका ही है, इसलिए ग्रामीण क्षेत्र में फोकस है। दूसरी तरफ कांग्रेस शहरों में इसलिए ध्यान नहीं दे रही क्योंकि यहां से उसे ज्यादा उम्मीद नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र में कांग्रेस का फोकस मुस्लिम और बलाई समाज पर ज्यादा है। इनसे पार्टी को ज्यादा उम्मीद है।

*0 देवास से परहेज कर रहे दोनों दलों के बड़े नेता* 

– देवास सीट के लिए चाैथे चरण में 13 मई को मतदान होना है। इस लिहाज से प्रचार अभियान अंतिम चरण में है। बावजूद इसके भाजपा और कांग्रेस के स्टार प्रचारकों ने देवास क्षेत्र से दूरी बना कर रखी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित भाजपा का एक भी नेता अब तक देवास में सभा लेने या रोड शो करने नहीं आया। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव आज ही एक दौरा कर गए हैं। कांग्रेस के भी शीर्ष नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे में से कोई नहीं आया। एक दिन सचिन पायलट जरूर आए और सोनकच्छ में सभा ले कर चले गए। पायलट को गुर्जर समाज के मतदाताओं को साधने के लिए बुलाया गया था।

 *0 कांग्रेस के पूर्व विधायकों ने नही दिया क्षेत्र में समय* 

– कांग्रेस के दो पूर्व विधायक कुणाल चौधरी और विपिन वानखेड़े की चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन इन्होंने देवास के अपने विधानसभा क्षेत्रों में वैसा समय नहीं दिया जैसा देना चाहिए। इनकी रुचि प्रदेश का दौरा करने में ज्यादा रही। जबकि लोकसभा चुनाव में अपने विधान सभा क्षेत्रों में जीत दिला कर ये ताकत का अहसास करा सकते थे। जबकि कुणाल युकां और वानखेड़े भाराछासं के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा जरूर अपनी पूरी टीम के साथ प्रचार में जुटे हैं। हालांकि उनकी स्थानीय कांग्रेस नेताओं के साथ ज्यादा पटरी नहीं बैठती। दूसरी तरफ भाजपा सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी से विकास को लेकर नाराजगी है। उन्होंने देवास क्षेत्र के विकास के लिए कुछ नहीं किया। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि के लिए देवास के लोगों को इंदौर की ओर देखना पड़ता है। एयरपोर्ट भी इंदौर में ही है। बावजूद इसके चूंकि सोलंकी अपनी छवि कट्टर हिंदू नेता की बना कर रखते हैं। मुस्लिमों को अपने मंच तक में पसंद नहीं करते। मुस्लिम पत्रकारों को भी इंटरटेन नहीं करते। इस कारण भाजपा का हर नेता और कार्यकर्ता उनका काम कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुरीद तो लोग हैं ही।

*0 इंदौर की तुलना में देवास की उपेक्षा बना मुद्दा* 

– प्रारंभ से देवास में भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है। अयोध्या में राम मंदिर का प्रचार हो रहा है। केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा किए गए कार्य गिनाए जा रहे हैं। इसके विपरीत कांग्रेस अपने घोषणा पत्र के 5 न्याय और 24 गारंटियों का प्रचार कर रही है। स्थानीय स्तर पर कांग्रेस बता रही है कि विकास के मामले में इंदौर और दूसरे शहरों की तुलना में किस तरह देवास को उपेक्षित कर रखा गया है जबकि देश और राज्य में लगातार भाजपा की सरकार है। हालांकि अब प्रचार अभियान पटरी से उतरता नजर आ रहा है। एक दूसरे पर स्तरहीन और बे-सिर-पैर के आरोप लगाए जा रहे हैं। भाजपा- कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता ऐसे आरोप लगा रहे हैं जो लेागों के सिर के ऊपर से निकल रहे हैं। संभवत: इसीलिए पहले दो चरणों में मतदान कम हुआ। नेताओं के इस रवैए के कारण युवाओं और महिलाओं ने मतदान के प्रति बेरुखी दिखाई थी। देवास में भाजपा प्रत्याशी सोलंकी की कट्टर हिंदू नेता की छवि के कारण हिंदू-मुस्लिम के बीच ध्रुवीकरण के हालात बन रहे हैं।

 *0 देवास में कायम है भाजपा का दबदबा* 

– देवास लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली सभी 8 सीटों में भाजपा का कब्जा है। देवास सीट तीन जिलों को छूती है। ये जिले देवास के अलावा शाजापुर और सीहोर हैं। शाजापुर जिले की सबसे ज्यादा 4 विधानसभा सीटें आगर, शाजापुर, शुजालपुर और कालापीपल देवास क्षेत्र में हैं। सीहोर जिले की एक सीट आष्टा इसमें शामिल है। इसके अलावा देवास जिले की तीन विधानसभा सीटें सोनकच्छ, हाटपिपल्या और देवास इस लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हैं। जहां तक सीट के राजनीतिक मिजाज का सवाल है तो आमतौर पर यहां भाजपा ही जीतती है। इससे क्षेत्र में भाजपा के दबदबे का पता चलता है। 2009 में एक ही बार कांग्रेस के सज्जन वर्मा जीते हैं वर्ना लगातार भाजपा का कब्जा है। क्षेत्र में सबसे ज्यादा मतदाता बलाई समाज के हैं। इसे ध्यान में रखकर ही भाजपा- कांग्रेस ने इसी समाज के प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। दूसरे नंबर पर खाती और तीसरे नंबर पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या बताई गई है। ब्राह्मणों का झुकाव भाजपा की ओर है जबकि खाती समाज बंटा नजर आ रहा है।

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