

‘मोदीमय मोहन’ की कार्यशैली के मुरीद हुए ‘धनखड़’…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
राज्यसभा के सभापति उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की कार्यशैली से तो सभी परिचित हैं। उनका अक्खड़पन और स्पष्टवादिता हर समय ही विपक्षी दल के सांसदों को अखरती होगी, तो सत्ता दल के सांसदों के मन पर धनखड़ राज करते हैं। पर मध्यप्रदेेश की धरती पर पहुंचे धनखड़ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की कार्यशैली के मुरीद नजर आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भोपाल आगमन से पांच दिन पहले नरसिंहपुर की धरती पर उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मोहन यादव की जमकर तारीफ की। अवसर था कृषि-उद्योग समागम 2025 के शुभारंभ का। धनखड़ बोले कि कृषि विकास से ही देश में समृद्धि आयेगी। मध्यप्रदेेश की तर्ज पर हर राज्य में कृषि उद्योग समागम हों।उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कृषि उद्योग समागम के लिये मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को बधाई देते हुए कहा कि उनकी इस पहल का अन्य राज्यों को भी अनुसरण करना चाहिए। किसान हमारे अन्नदाता हैं। अन्नदाताओं का अभिनंदन करते हुए कहा कि किसान भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इनकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है। खुलकर तारीफ करते हुए कहा कि ‘मुख्यमंत्री डॉ. यादव बेहद कर्मठ और कार्यशील है। कोई ऐसा दिन नहीं रहता, जब वे गांव, गरीब और किसान की चिंता न करें।’ मध्यप्रदेश सरकार ने गांव-किसान और उद्योग को जोड़ने की अभिनव पहल शुरू की है।
तो धनखड़ ने खेती और किसानों की तारीफ की, कि खेती-किसानी देश की अर्थव्यवस्था की नींव है। यह हमारी प्रगति का मूल आधार है। कृषि के क्षेत्र में विकास और नित नए नवाचार जरूरी हैं, इससे कृषि के विकास से ही देश में समृद्धि आएगी। देश का उदर-पोषण करने वाले अन्नदाता की खुशहाली में ही हमारे देश की खुशहाली सन्निहित है। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कृषि-उद्योग समागम के आयोजन के लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव को बधाई दी। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि देश का हर राज्य मध्यप्रदेश की इस पहल का अनुकरण करेगा। धनखड़ ने कहा कि विकसित भारत का रास्ता गांव और किसान के खेत से निकलता है। देश में विकसित भारत के लिए महायज्ञ चल रहा है इसमें सबसे बड़ी आहूति किसान भाइयों की ही है। किसान केवल फसल उत्पादन तक सीमित न रहें। उन्हें खाद्य प्र-संस्करण, व्यापार और मार्केटिंग भी सीखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के किसान भाइयों के परिश्रम से ही ‘2047 तक विकसित भारत’ का लक्ष्य पूरा होगा। किसान अधिक से अधिक कृषि आधारित उद्योग स्थापित करें। उन्होंने सुझाव दिया कि अन्नदाता को उद्यमी बनाने के लिए स्थानीय सांसद और विधायक गांवों को गोद लें, किसानों को समृद्ध बनाएं, जिससे खेती में नई तकनीक का इस्तेमाल हो और हर गांव में समृद्धि आए। उन्होंने कहा कि देश में 720 कृषि विज्ञान केंद्र हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के नेतृत्व में सभी संस्थान बेहद सजग होकर कार्य कर रहे हैं। धनखड़ ने कहा कि देशभर में किसानों को हर तरह की सहूलियतें दी जा रही हैं। अब तक 10 करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ मिला है। उनके खातों में 3 लाख 46 हजार करोड़ रुपए अंतरित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश को दूध, फल और सब्जियों में देश का नेतृत्व करना चाहिए। कृषि सिर्फ खेती का क्षेत्र नहीं है, इसका उद्योग से बड़ा जुड़ाव है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की यह पहल सराहनीय है। प्रदेश में नारी शक्ति को जिला पंचायतों की कमान मिलना भी लोकतंत्र की शक्ति को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा के मामले में प्रधानमंत्री का संकल्प एक लौहपुरूष की तरह है। भारतीय सेना के पराक्रम ने हर भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। ये नया भारत है, जो 70 साल में नहीं हुआ, वो प्रधानमंत्री ने कर दिखाया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि पहला कृषि मेला सीतामऊ (मंदसौर) में हुआ था, इसके बाद महाकौशल क्षेत्र का कृषि उद्योग समागम नरसिंहपुर में हो रहा है। तीसरा कृषि मेला जुलाई महीने में सतना और चौथा कृषि मेला चंबल के मुरैना में आयोजित होगा। इसके बाद 12 से 14 अक्टूबर तक राज्यस्तरीय कृषि मेला भोपाल के पास सीहोर में आयोजित किया जाएगा। नरसिंहपुर में यह कृषि उद्योग समागम 28 मई तक चलेगा। इसका उद्देश्य प्रदेश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को प्रोसेसिंग और वैल्यू एडिशन से जोड़ते हुए निवेश, नवाचार और रोजगार के अवसरों के नए द्वार खोलना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश कृषि के मामले में शस्य श्यामला है। नरसिंहपुर पर मां नर्मदा की विशेष कृपा है। नरसिंहपुर जिला दाल का कटोरा है, यहां की तुअर दाल को जीआई टैग मिला है। दाल उत्पादक किसान देशभर में पहचान बना चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में किसानों की आय बढ़ाने के लिए राज्य सरकार संकल्पित है। मध्यप्रदेश तो नदियों का मायका है। मध्यप्रदेश 247 नदियों का उद्गम है, जो देश में सर्वाधिक है। यहां घने जंगल नदियों एवं जलराशि को समृद्ध करते हैं। मध्यप्रदेश को मां नर्मदा का आशीर्वाद मिला हुआ है। नर्मदा मध्यप्रदेश के साथ-साथ गुजरात और राजस्थान को भी जल प्रदान करती है। महाकौशल, मालवा और निमाड़ का कुछ हिस्सा मां नर्मदा से सिंचित है। मालवा की तरह बुंदेलखंड में केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना से समृद्धि आएगी। स्व. श्री अटलजी का सपना पूरा करते हुए प्रदेश सरकार ने तीन बड़ी नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजनाओं पर काम शुरू कर दिया है। पार्वती-काली सिंध-चंबल और तापी मेगा रिचार्ज परियोजना के माध्यम से मध्यप्रदेश विश्वस्तर पर अपनी अलग पहचान बना रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि देश में सर्वाधिक गेहूं उत्पादन में मध्यप्रदेश दूसरे स्थान पर है। राज्य सरकार ने किसानों से 2600 रूपये प्रति क्विंटल गेहूं खरीदा है। नई कृषि तकनीकों और नवाचारों से किसानों का जीवन और बेहतर बनाने के लिए हमारी सरकार मिशन मोड पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी के विजन ‘ज्ञान’ को क्रियान्वित करने के लिए हमारी सरकार ने गरीब, युवा, किसान (अन्नदाता), और नारी के सशक्तिकरण के लिए प्रदेश में चार मिशन लॉन्च किए हैं। किसान कल्याण मिशन इसी दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है। हमने किसानों को 32 लाख सोलर पंप बांटने की योजना लागू की है। किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान पर सोलर पंप दिए जा रहे हैं। किसानों को सम्पन्न बनाने के लिए सरकार ने किसान मेले शुरू किए हैं इसमें अन्नदाताओं को अनुदान पर आधुनिक कृषि यंत्र दिए जाएंगे।
यानि कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जहां हर समय की तरह नरसिंहपुर में भी मोदीमय रहे, तो प्रदेश की धरती पर आए उपराष्ट्रपति धनखड़ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की कार्यशैली के मुरीद नजर आए। मोदी के मध्यप्रदेश दौरे के पांच दिन पहले धनखड़ की यह यात्रा मोहन के किसानों के प्रति समर्पण को समर्पित मानी जा सकती है…।