Dhanteras: माँ लक्ष्मी, भगवान कुबेर एवं भगवान धन्वंतरि की आराधना का पर्व

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Dhanteras: माँ लक्ष्मी, भगवान कुबेर एवं भगवान धन्वंतरि की आराधना का पर्व

श्लोक 1
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये।
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय।

अर्थ: यह मंत्र भगवान धन्वंतरि की पूजा के लिए है, जो रोग, भय और संकट से रक्षा करने वाले हैं। उनका वंदन स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना से किया जाता है। यह श्लोक बताता है कि धनतेरस सिर्फ भौतिक धन का त्योहार नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और अध्यात्मिक उन्नति का भी प्रतीक है।

श्लोक 2:
धनतेरसस्य शुभम् अवसरम् आशास्महे।
दीर्घमायुर् भवतु, आरोग्यम् भवतु, सौभाग्यम् भवतु।

अर्थ: यह शुभकामना है कि धनतेरस का यह अवसर आपके जीवन में दीर्घायु, स्वास्थ्य और सौभाग्य लेकर आए। इस श्लोक से पता चलता है कि इस शुभ दिन का उद्देश्य जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाली का संकलन है।

इन श्लोकों के माध्यम से आप अपने परिवार, मित्रों और भक्तों को धनतेरस की शुभकामनाएं देते हुए आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार कर सकते हैं। यह दिन सम्पूर्ण शुभकामनाओं, स्वास्थ्य, और समृद्धि की कामना का पर्व है।

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धन त्रयोदशी या धनतेरस का त्योहार 18 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। यह पर्व हिन्दू धर्म में परम पावन और अत्यंत शुभ माना जाता है। धनतेरस शब्द “धन” अर्थात समृद्धि और “तेरस” अर्थात तेरहवीं तिथि के मेल से बना है, जो कार्तिक माह की त्रयोदशी तिथि को पड़ती है। यह दिवाली पर्व का शुभारंभ होता है और समृद्धि, स्वास्थ्य तथा सुरक्षा के लिए विशेष महत्व रखता है।धनतेरस पूजा में मुख्य रूप से माँ लक्ष्मी, भगवान कुबेर एवं भगवान धन्वंतरि की आराधना की जाती है। माँ लक्ष्मी को धन, समृद्धि और वैभव की देवी माना जाता है, जबकि भगवान कुबेर को धन के अधिपति तथा धन संपदा के स्वामी के रूप में पूजा जाता है। धन्वंतरि भगवान को आयुर्वेद के जनक और स्वास्थ्य के देवता के रूप में पूजा जाता है, जिनके आगमन की कथा समुद्रमंथन से जुड़ी हुई है, जब वे अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए यह दिन स्वास्थ्य और दीर्घायु का प्रतीक भी है।धनतेरस का सबसे प्रसिद्ध आध्यात्मिक संदेश है – समृद्धि केवल बाहरी धन से नहीं, बल्कि आंतरिक आध्यात्मिक धरोहर से होती है। इस दिन सोना, चांदी या नया साधन खरीदना शुभ माना जाता है क्योंकि इसे सकारात्मक ऊर्जा और दीर्घकालीन समृद्धि की वृद्धि का माध्यम समझा जाता है। घरों को दीपों से आलोकित किया जाता है, जिससे अंधकार और नकारात्मकता दूर होती है और यमराज से सुरक्षा मिलती है।

एक प्राचीन कथा के अनुसार, राजा हिम के पुत्र की मृत्यु का शाप था, जिसे उसकी पत्नी ने धनतेरस की रात अपने आभूषण और दीपों की रौशनी से यमराज को भ्रमित कर मृत्यु से बचाया था।

यह दिन परिवारिक एकता और भक्ति के माध्यम से आध्यात्मिक चेतना को जाग्रत करता है।धनतेरस की आध्यात्मिक महत्ता इस बात में निहित है कि यह हमें आर्थिक समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य, और जीवन में उज्ज्वलता के साथ-साथ अपने अंदर के आध्यात्मिक स्वर्ण को चमकाने की प्रेरणा देता है। इसे मनाने का उद्देश्य न केवल भौतिक धन अर्जित करना है, बल्कि मन, वचन और कर्म से पवित्रता की ओर बढ़ना है, जिससे जीवन में संपूर्ण सफलता एवं आनन्द आता है। इस प्रकार धनतेरस जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रकाश, खुशहाली और संतुलन का प्रतीक है।अतः इस धनतेरस पर माँ लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की आराधना कर अपने घर और जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य व सुरक्षा का स्थायी आदान-प्रदान करें, और अपने अन्दर के आध्यात्मिक स्वर्ण को प्रकाशित करें। धनतेरस के इस शुभ अवसर पर विशेष पूजा, दीप प्रज्ज्वलन और सकारात्मक कर्म आपके जीवन को नई ऊँचाइयों तक ले जाएं।श्री रामचंद्र के वचन याद रखें: “अर्थ और अध्यात्म का संतुलन ही सच्ची समृद्धि है।” इसी संदेश के साथ धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

डॉ. तेज प्रकाश  व्यास