
धर्मेंद्र “मृत्यु” अफवाह: राष्ट्रीय मीडिया की जल्दबाजी ने परिवार और फैंस को पहुंचाया मानसिक आघात
राजेश जयंत की खास खबर
जहां खबर का मकसद हमेशा सत्य बताना होता है, वहीं आज कुछ मीडिया चैनलों ने टीआरपी और वायरल होने की दौड़ में पत्रकारिता की मूल जिम्मेदारी पूरी तरह भूल कर गंभीर भूल कर दी। बॉलीवुड के शहंशाह धर्मेंद्र के निधन की अफवाह ने उनके चाहने वालों के दिलों को तोड़ा और यह दिखा दिया कि मीडिया के कुछ हिस्सों में भरोसे और सत्य की कीमत कितनी कम हो गई है।

आज सुबह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के कुछ बड़े चैनलों ने बिना पुष्टि किए धर्मेंद्र के निधन की खबर प्रसारित की। इसके फैलते ही सोशल मीडिया पर अफवाहों का बवंडर फैल गया। फैंस ने चिंता और आक्रोश दोनों व्यक्त किए।
धर्मेंद्र की बेटी ईशा देओल ने तुरंत सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा कर स्पष्ट किया कि उनके पिता स्वस्थ हैं और उनकी हालत में सुधार हो रहा है। उन्होंने लोगों से परिवार की प्राइवेसी का सम्मान करने का अनुरोध किया। धर्मेंद्र की पत्नी हेमा मालिनी और अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने भी मीडिया और जनता को सचेत किया कि यह केवल अफवाह है।

टीआरपी की दौड़ और जल्दबाजी
मीडिया जगत में हमेशा सबसे पहले खबर देने की होड़ रही है, लेकिन इस बार यह होड़ इतनी विकराल हो गई कि तथ्य और मानव संवेदना को नजरअंदाज कर दिया गया। कई बड़े चैनलों ने अपनी विश्वसनीयता और वर्षों की मेहनत को झूठी खबर के बल पर जोखिम में डाल दिया। टीआरपी की दौड़ ने चैनलों को इतनी जल्दबाजी में डाल दिया कि सत्यापन की प्रक्रिया पूरी तरह छोड़ दी गई। यही कारण था कि यह अफवाह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया तक फैल गई।
फैंस और जनता की प्रतिक्रिया
धर्मेंद्र के चाहने वालों ने इस झूठ पर तुरंत प्रतिक्रिया दी। सोशल मीडिया पर हज़ारों लोग अपना आक्रोश व्यक्त करने लगे। कई लोगों ने लिखा कि आज तक और अन्य बड़े चैनलों पर हमेशा भरोसा रहा, लेकिन आज उन्होंने विश्वास का मजाक उड़ाया। फैंस के लिए यह केवल अफवाह नहीं थी, बल्कि उनके प्रिय अभिनेता के जीवन को लेकर एक भावनात्मक झटका था।

परिवार की चोट
धर्मेंद्र की बेटी ने कहा कि उन्हें और उनके परिवार को अफवाह की सफाई देनी पड़ी। हेमा मालिनी ने भी कहा कि इस झूठ ने पूरे परिवार को मानसिक तनाव में डाल दिया। अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि मीडिया की जल्दबाजी ने जनता और फैंस के बीच भ्रम और आक्रोश फैलाया। परिवार के लिए यह स्थिति न केवल दुखदायक थी बल्कि उनकी मानसिक शांति को भी बाधित किया।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया की प्रतिक्रिया
धर्मेंद्र की अफवाह केवल भारतीय मीडिया तक सीमित नहीं रही। अंतरराष्ट्रीय मीडिया चैनलों ने भी इसे प्रमुख खबर के रूप में उठाया। इसका कारण वही था- सबसे पहले खबर देने की होड़। यह घटना साफ कर देती है कि मीडिया की दौड़ अब राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी तेजी से फैल रही है।
टीआरपी बनाम मानव संवेदना
यह घटना मीडिया उद्योग के लिए चेतावनी है। जब खबर की जल्दी और टीआरपी की लालसा पत्रकारिता के मूल मूल्य- सत्य और जिम्मेदारी के ऊपर आ जाती है, तो परिणाम न केवल फैंस और परिवार के लिए दुखद होता है बल्कि मीडिया की विश्वसनीयता भी खतरे में पड़ जाती है। धर्मेंद्र की अफवाह ने यह साबित कर दिया कि “Breaking News” की लालसा किसी भी हद तक जा सकती है और इस प्रक्रिया में मानव संवेदना की अनदेखी हो सकती है।
मीडिया में जिम्मेदारी का प्रश्न
देश के जाने-माने बड़े चैनलों पर वर्षों तक लोगों ने भरोसा किया। लेकिन इस घटना ने यह दिखा दिया कि भरोसा केवल नाम का नहीं होना चाहिए बल्कि खबरों के सत्यापन पर आधारित होना चाहिए।
एक पत्रकारिता संस्थान की जिम्मेदारी होती है कि खबर फैलाने से पहले स्रोतों की पुष्टि करे। धर्मेंद्र की अफवाह ने दिखाया कि यह जिम्मेदारी अब टीआरपी और रेटिंग की दौड़ में खो चुकी है।

टीआरपी की दौड़ ने एक विचित्र परिदृश्य पेश किया, जहां सच से कोई लेना-देना नहीं, बस पहले खबर पहुँचाने का श्रेय चाहिए। इस दौड़ में मानव संवेदना और परिवार की भावनाओं को केवल साइड इफेक्ट माना गया।
कहना गलत नहीं होगा कि मीडिया चैनलों ने न केवल फैंस पर विश्वास का मजाक उड़ाया बल्कि यह दिखाया कि अब Breaking News केवल दौड़ और चमक की कहानी बन गई है।
धर्मेंद्र की अफवाह ने यह स्पष्ट कर दिया कि टीआरपी और सबसे पहले खबर की दौड़ में सत्य और जिम्मेदारी के मूल्यों को नकारा जा सकता है। परिवार और फैंस को मिली चोट, मानसिक तनाव और भ्रम यह सब मीडिया के लिए चेतावनी है। यह घटना पत्रकारिता की दुनिया में सबक है- टीआरपी की भूख कभी भी मानव संवेदना और सच्चाई की जगह नहीं ले सकती।





