रास नहीं आया ATM राशन का मौजूदा मॉडल, अब होगा बदलाव

संभागीय मुख्यालय में होगी शुरुआत

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रास नहीं आया ATM राशन का मौजूदा मॉडल

रास नहीं आया ATM राशन का मौजूदा मॉडल, अब होगा बदलाव

भोपाल: प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन प्राप्त कर रहे उपभोक्ताओं के लिए भोपाल के एशबाग में शुरु किया गया पायलट प्रोजेक्ट विभाग और उपभोक्ता दोनो को ही रास नहीं आया है। इसके चलते इसमें अब बदलाव की कवायद शुरु हो गई है। खाद्य विभाग ने इस प्रोजेक्ट को चला रही निजी कंपनी से कहा है कि उन्हें ऐसी मशीनें चाहिए जिसमें उपभोक्ता राशन की दुकान पर चौबीस घंटे कभी भी जाकर बिना किसी राशन दुकान संचालक की मदद लिए खुद अपना राशन प्राप्त कर सके।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक खाद्य विभाग ने तीन महीने पहले भोपाल के एशबॉग में पॉयलट के तौर पर एक ATM राशन मशीन लगवाई थी। तीन महीने तक इसकी कार्यप्रणाली का अध्ययन और इसके उपयोग की मानीटरिंग करने के बाद खाद्य विभाग ने खुद इस मॉडल को रिजेक्ट कर दिया है। इस प्रोजेक्ट के तहत लगाई गई प्रदेश की पहली मशीन की सबसे बड़ी खामी यह सामने आई है कि इसमें जब तक राशन दुकान संचालक दुकान पर बैठा रहेगा तभी तक राशन उपभोक्ता इसका उपयोग कर पाएंगे। इसमें राशन दुकान संचालक को अंगूठा लगाना पड़ता है इसके बाद राशन उपभोक्ता अंगूठा लगाता है। इसके चलते उपभोक्ता भी इसका समुचित उपयोग नहीं कर पा रहे थे। लिहाजा अब खाद्य विभाग इस मशीन को बंद करने जा रहा है।

अब यह होगा बदलाव-
खाद्य विभाग ने कंपनी से कहा है कि उन्हें ऐसी मशीन चाहिए जिसमें राशन उपभोक्ता प्रदेश में किसी भी राशन दुकान में पहुंचे और अंगूठा लगाकर वह राशन मशीन से उसे किसी भी समय प्राप्त हो जाए। उसे दुकान संचालक की आवश्यकता नहीं पड़े। गौरतलब है कि प्रदेश में अंत्योदय परिवार चौदह लाख 50 हजार है। इन सभी को पैतीस किलो राशन इस समय मुफ्त दिया जा रहा है। बीपीएल श्रेणी में आने वाले कुल एक करोड़ 23 लाख परिवारों के पांच करोड़ दस लाख लोग है। इन सभी को प्रति सदस्य पांच कि लो के हिसाब से गेहूं, चावल नि:शुल्क प्रदाय किया जाता है। ATM राशन मशीन से अब इन्हें नये मॉडल से जब राशन मिलेगा तो बिना संचालक की मदद के वे राशन निकाल पाएंगे। एक शहर का उपभोक्ता दूसरे शहर से भी राशन निकाल पाएंगे।

हर संभाग मुख्यालय में लगेगी मशीनें-
खाद्य विभाग सभी संभागीय मुख्यालय में एटीएम राशन मशीने लगाएगा। पहले चरण में लगभग पचास मशीने लगाई जाएंगी। इसी वित्तीय वर्ष में ये सभी जगह नए प्रोजेक्ट के हिसाब से मशीने लग जाएंगी।