
राजनैतिक दलों के भावों का अंतर सामने लाई भावांतर…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
भावांतर भुगतान योजना (मूल्य अंतर भुगतान योजना) मध्य प्रदेश सरकार का एक कार्यक्रम है जिसमें सरकार किसानों को आधिकारिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और जिस दर पर वे अपनी फसल बेचते हैं, या मॉडल मूल्य, जो भी अधिक हो, के बीच के अंतर के लिए मुआवजा देती है।
इस योजना का उद्देश्य किसानों को कृषि उत्पादों के लिए मुआवजा प्रदान करना है, जब भी उनकी कीमतें घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे आती हैं, जिससे उन्हें संकट बिक्री के कारण होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। अपने पहले वर्ष में, राज्य सरकार ने आठ फसलों, मुख्यतः तिलहन और दलहन, के लिए यह योजना शुरू की थी। बाद में, 2018 में, इस योजना का विस्तार कुल 13 खरीफ फसलों तक कर दिया गया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि किसानों की समृद्धि ही प्रदेश की उन्नति का आधार है और सरकार उन्हें हर संभव मदद देने के लिए प्रतिबद्ध है। भावांतर भुगतान योजना किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य दिलाने में मदद करती है और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाती है। सरकार किसानों के कल्याण के लिए कई अन्य योजनाएं भी चला रही है। भावांतर योजना का उद्देश्य किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है और सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है कि कोई भी पात्र किसान इससे वंचित न रहे।
पर अब मन के भावों के अंतर के साथ साथ ही अब भाजपा और कांग्रेस भावांतर योजना को लेकर मैदान में आ गए हैं। भाव के अंतर की शुरुआत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने की तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने कांग्रेस के भावों पर कठोर प्रतिक्रिया दी। किसानों की समस्याओं को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के निवास पर प्रदर्शन किया और मांग की कि ‘भावांतर’ नहीं, किसानों को ‘भाव’ दें।मध्य प्रदेश प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी ने किसानों की लंबित मांगों को लेकर 15 अक्टूबर 2025 को एक अनूठा प्रदर्शन किया। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय से सैकड़ों किसानों के साथ पैदल मार्च निकालते हुए वह अनाज के बोरे को कंधे पर लादकर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के भोपाल स्थित बंगले तक पहुंचे। इस दौरान किसानों की समस्याओं, विशेष रूप से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर उचित दाम सुनिश्चित करने की मांग को जोरदार ढंग से उठाया गया। पटवारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि किसानों को ‘भावांतर’ की बजाय ‘भाव’ चाहिए। पटवारी ने डबल इंजन सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा,* “क्या हुआ उस ‘कृषि को लाभ का धंधा बनाने’ वाले वादे का? उन्होंने सरकार से तत्काल अपनी मांगें पूरी करने का आह्वान किया। पहली मांग बीमा योजना को प्रभावी बनाएं, सर्वे कराएं और मुआवजा दें। दूसरी प्याज पर भावांतर की बजाय 14-15 रुपये प्रति किलो खरीदें। तीसरी सोयाबीन पर 6000 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी सुनिश्चित करें। चौथी गेहूं पर 2700 रुपये और धान पर 3100 रुपये प्रति क्विंटल का भाव दें। पांचवी मांग किसानों को 20,000 रुपये प्रति बीघा की सहायता राशि प्रदान करें।
तो भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व विधायक हेमंत खण्डेलवाल ने जीतू पटवारी द्वारा किए गए अशोभनीय कृत्य व अन्नदेवता के अपमान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जीतू पटवारी केवल राजनीतिक सुर्खियों और कैमरों के लिए स्वांग रच रहे हैं। पटवारी सोयाबीन की बात कर रहे थे और गेहूं लेकर राजनीतिक स्टंट करने पहुंच गए।कर्जमाफी के नाम पर किसानों को छलने वाली कांग्रेस अब अनाज का भी अपमान कर रही है। मोदी जी और मोहन यादव सरकार सदैव किसानों के हितों के प्रति संवेदनशील और समर्पित हैं। यह दर्शाता है कि जीतू पटवारी को किसानों की नहीं, बल्कि कैमरों की चिंता है। बिना पूर्व सूचना के इस तरह का राजनीतिक स्वांग लोकतांत्रिक परंपराओं का अपमान है। उन्होंने कहा कि मैं केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की सराहना करता हूं जिन्होंने सम्मानपूर्वक बुलाया और आदरपूर्वक बात की। यह निदंनीय है कि जीतू पटवारी किसानों को बाहर छोड़कर अंदर जाकर कैमरों के सामने नाटक करने में व्यस्त थे। उनके कुर्ते पर माइक, साथ में कैमरे और वीडियो शूटिंग का पूरा तामझाम मौजूद था, जो यह दर्शाता है कि यह मात्र सोशल मीडिया शो था। पटवारी के इस अशोभनीय कृत्य की जितनी भी आलोचना की जाए कम है। कांग्रेस नेताओं को किसानों के वास्तविक मुद्दों और हितों पर कोई ध्यान नहीं है बल्कि वे स्टंट और लोकप्रियता की राजनीति कर रहे हैं। खण्डेलवाल ने कहा कि कर्जमाफी के नाम पर किसानों को छलने वाली कांग्रेस पार्टी ने कभी किसानों के हित में कोई कार्य नहीं किया। कांग्रेस ने हमेशा किसानों को धोखा दिया और अब तो उन्होंने अन्नदेवता का भी अपमान करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि जीतू पटवारी ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए जिस तरह बीच सड़क पर अनाज फैलाया, वह न केवल किसानों की मेहनत का अपमान है बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी अनादर है। पटवारी का यह कृत्य अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है। किसान भाजपा के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता में थे, हैं और रहेंगे।
किसानों के मन की बात क्या है यह तो अलग है लेकिन फिलहाल भावांतर योजना भाजपा और कांग्रेस के भावों के साथ मध्यप्रदेश में खुद की तलाश में जुटी है। कांग्रेस योजना के माध्यम से सरकार पर वार करना चाहती है, तो भाजपा भावांतर योजना के जरिए किसानों का प्यार पाना चाहती है। अब किसको क्या मिलता है इसका फैसला तो 2028 में ही होगा। पर भावों का यह अंतर उससे पहले तक राजनैतिक दलों के भाव के उतार-चढ़ाव का साक्षी जरूर बनेगा…।
लेखक के बारे में –
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।





