कौशल किशोर चतुर्वेदी की विशेष रिपोर्ट
भारतीय जनता पार्टी 2023 और 2024 में और भी ज्यादा समृद्ध बनकर अपनी ताकत का लोहा मनवाने की तैयारी में लगातार जुटी है। मध्यप्रदेश में शनिवार को अलग-अलग रंग दिखे, जिन पर करीब से नजर डाली जाए तो गरीब, मध्यमवर्ग और आदिवासी वर्ग को लक्ष्य बनाकर पार्टी का वोट बैंक मजबूत करने का चटक रंग साफ तौर पर देखा जा सकता है। संस्कारधानी में जहां पार्टी के “शाह” संग सरकार और संगठन, आदिवासियों के “शाह द्वय” के रंग में सराबोर नजर आए तो राजधानी में एकला चलो की तर्ज पर ही सही पार्टी की सिपाही उमा भारती गंगा की निर्मलता और अविरलता के प्रति समर्पण की पूर्णता जनवरी तक करने के बाद मध्यप्रदेश में शिव-विष्णु की मंशा के मुताबिक शराबबंदी अभियान के लिए सड़क पर उतरने का ऐलान करती नजर आईं।
यह दोनों ही दृश्य एक ही प्रदेश के दो अलग-अलग शहरों के हैं। दोनों के बीच 300 किमी से ज्यादा दूरी है। दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। संस्कारधानी महाकौशल का गढ़ होने के साथ-साथ आदिवासी बाहुल्य जिलों को अपने चारों ओर समेटे है। तो राजधानी भोपाल पूरे मध्यप्रदेश की उम्मीदों को खुद में समेटे है।
संस्कारधानी में जहां शाह ने गोंडवाना साम्राज्य के राजा शंकर शाह और उनके पुत्र रघुनाथ शाह केे बलिदान को याद करते हुए प्रत्यक्ष तौर पर ब्रिटिश हुकूमत को कोसा तो परोक्ष तौर पर आदिवासियों का हितैषी भाजपा को बताकर कांग्रेस पर भी निशाना साधा। तो राजधानी में पार्टी की कद्दावर नेता उमा भारती ने शराब से प्रदेश को निजात दिलाने का संकल्प जताकर यह बता दिया कि इससे पार्टी और ज्यादा मजबूत होगी। महिलाओं को शराबी पतियों से निजात मिलेगी तो इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा, जैसा कि बिहार और गुजरात में मिला है।
संस्कारधानी में शाह संग प्रदेश सरकार के मुखिया शिव और भाजपा संगठन के मुखिया विष्णु मौजूद थे। जहां शाह ने शंकर शाह-रघुनाथ शाह के साथ ही आदिवासी महापुरुषों के संग्रहालय पूरे देश में बनाने की घोषणा कर इस निर्णायक मतदाता आबादी के साथ पार्टी के भावनात्मक गठजोड़ में स्थायी रंग भरा तो गोंड आबादी के साथ शाही संबंध स्थापित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की आदिवासी जनता के लिए सौगातों का पिटारा ही खोल दिया।
अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर मोदी तक आदिवासी वर्ग के लिए किए गए कामों का हिसाब देकर यह भी जता दिया कि कांग्रेस ने कभी भी आदिवासियों के लिए कुछ भी नहीं किया। तो छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम शंकर शाह के नाम पर करने की घोषणा कर गोंड आबादी के गौरव को मानो शिखर पर पहुंचाने का प्रयास किया है तो घर-घर राशन के जरिए आदिवासी वर्ग के प्रति प्रदेश सरकार की सोच को इन जन-जन तक पहुंचाकर प्रदेश की इस 20 फीसदी आबादी को जताया है कि उनकी सबसे बड़ी हितैषी भाजपा सरकार ही है।
संगठन के मुखिया विष्णु बिरसा मुंडा जयंती को गौरव दिवस के रूप में मनाने और सार्वजनिक अवकाश की बात करते दिखे, तो बूथ सम्मेलन के जरिए संदेश दिया गया कि चाय वाला और आम कार्यकर्ता किसी पार्टी में ऊपर तक पहुंच सकता है तो वह भाजपा है।
यह कवायद इसलिए भी जरूरी थी, क्योंकि 2018 विधानसभा चुनाव में आदिवासी वर्ग ने यह अहसास कराया था कि उनमें निराशा का भाव पैदा हो रहा है। और 15 महीने कांग्रेस के खाते में चले गए थे। आगे ऐसा कुछ न हो, इसके लिए उज्जवला-2 के बहाने ही सही शाह का संस्कारधानी आना और गोंडवाना शासक शाह के जरिए आदिवासी वर्ग के प्रति सम्मान का भाव प्रकट करना पार्टी के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। उज्ज्वला-2 का निहितार्थ भी यही है कि गरीब महिलाओं का जीवन सुधरे और लाखों महिलाओं को गैस चूल्हे और सिलेंडर की सौगात लाखों मतदाताओं को पार्टी का वोट बैंक बनाने का सुखद अहसास कराने के लिए काफी है।
वही उमा भारती ने अपने स्वभाव के विपरीत शराबबंदी जैसे मुद्दे पर जहां सड़क पर उतरने की घोषणा तो की लेकिन गजब संतुलित और सकारात्मक रवैये के साथ। उन्होंने बताया कि किस तरह बिहार की सरकार शराबबंदी की सौगात है और 2023 में शराबबंदी का मीठा फल मध्यप्रदेश को भी मिलेगा। पार्टी और ज्यादा मजबूत दिखेगी क्योंकि शराबबंदी से प्रसन्न महिला मतदाता वरदान बनकर बूथ पर अपना असर दिखाएंगीं। तो उन्होंने नेतृत्व के प्रति भी सम्मान और सामंजस्य का जो भाव प्रकट किया, वह प्रभावित करने वाला था। शिवराज को बड़ा भाई और गुरुतुल्य बताया तो वीडी शर्मा को अपनी राय में बेहतरीन पार्टी अध्यक्ष बताया। दोनों की जोड़ी की खुलकर तारीफ की तो शराबबंदी पर दोनों की मंशा के मुताबिक ही शराबबंदी अभियान चलाने की बात स्वीकार की।
यह तो कहा कि बिना सख्ती के शराबबंदी संभव नहीं लेकिन लट्ठमारी जैसे शब्द का निहितार्थ सरकार द्वारा लागू करने वाली सख्त नीति को बताया। केन-बेतवा लिंक पूरी हो, यह इच्छा भी जताई तो इंदिरा सागर के कमांड एरिया डेवलपमेंट पर भी फोकस करने की बात कही लेकिन शराबबंदी के बाद। शराबबंदी से होने वाली दस हजार करोड़ की भरपाई का प्लान उनके पास होने की बात कही लेकिन साफ कर दिया कि यह मीडिया से शेयर नहीं करेंगीं बल्कि प्रदेश के मुखिया को ही बताएंगीं।
2024 में लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा भी जताई लेकिन पार्टी की मंशा के मुताबिक। तो मोदी के अद्भुत व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए भरोसा जताया कि आगे 20 साल तक वह प्रधानमंत्री रहें और मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार रहे। किसी ने पूछ भी लिया कि पार्टी आपको दरकिनार करती है तो सधे हुए शब्दों में बता भी दिया कि मुझे कोई क्या दरकिनार करेगा, मेरे बिना किसी को किनारा नहीं मिलता।
कुल मिलाकर भाजपा सत्ता में रहे, मतदाताओं के बीच पार्टी की लोकप्रियता बढ़े, आदिवासी-ओबीसी-एससी-सामान्य सभी वर्ग सधें, महिला मतदाता के सुर पार्टी के सुर में मिलें…इसकी मिलीजुली कवायद पार्टी के सभी नेता समन्वित तौर पर करने में किस तरह जुटे हैं, इसकी एक झलक मध्यप्रदेश में शनिवार को दिखी। जब संस्कारधानी और राजधानी में वैसे तो रंग अलग-अलग दिख रहे थे लेकिन सभी मिलकर इंद्रधनुष बनकर मतदाताओं को रिझाते ही नजर आ रहे थे।