Different Functioning Of A Collector : कलेक्टरी का जुदा अंदाज!

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Different Functioning Of A Collector : कलेक्टरी का जुदा अंदाज!

भोपाल: मध्य प्रदेश में एक आदिवासी बहुल जिले के कलेक्टर के व्यवहार और उनके द्वारा किए जा रहे कार्यो की चर्चा इन दिनों प्रशासनिक और सियासी गलियारों में हो रही है।कलेक्टर जिले का सबसे बड़ा अफसर होता है। जिले की सारी व्यवस्थाएं उसके हाथ में होती है। हर कलेक्टर का काम करने का अंदाज अलग होता है। कुछ कलेक्टर सीधे जनता से जुड़कर काम करने में विश्वास रखते हैं, कुछ जनता से जुड़ नहीं पाते! लेकिन, डिंडोरी के नए कलेक्टर विकास मिश्रा ने बहुत कम समय में अपने काम से जिले के लोगों को प्रभावित कर लिया। इसका कारण है उनके काम करने का कुछ अलग अंदाज!

कलेक्टर विकास मिश्रा आदिवासी महिलाओं के सार्वजनिक स्थान पर पैर पड़ने में संकोच नहीं करते! शिकायत करने पर एक महिला के हाथ पर अपना मोबाइल नंबर लिखकर बताते हैं कि कोई भी समस्या हो तो सीधे मुझे फोन करना। एक छात्र का सपना कलेक्टर बनने का था, तो उसे अपने दफ्तर बुलाकर अपनी कुर्सी पर बैठा दिया! उसे कलेक्टर के कामकाज की जानकारी दी और पूरा दफ्तर घुमाया!

Different Functioning Of A Collector : कलेक्टरी का जुदा अंदाज!

डिंडोरी जिले के कलेक्टर का जनता को अलग ही रूप देखने को मिल रहा है। विकास मिश्रा राज्य प्रशासनिक सेवा से IAS अधिकारी बने हैं। वे भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2013 बैच के अधिकारी हैं।

पिछले दिनों वे अपने नगर परिषद कर्मचारियों के साथ सुबह नर्मदा किनारे निरीक्षण करने पैदल निकले थे। वहीं, लकड़ी बेचने वाली बैगा आदिवासी महिला से कलेक्टर ने सरकारी योजनाओं की जानकारी ली। गोपालपुर की इस महिला ने बताया कि उसे किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा। कलेक्टर ने तत्काल नगर परिषद के सीईओ को योजना का लाभ दिलाने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने महिला के हाथ पर अपना मोबाइल नंबर लिखकर सारी योजनाओं का लाभ दिलाने का भरोसा दिलाया।

एक महिला ने कलेक्टर विकास मिश्रा से अपनी शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि एक सरकारी कर्मचारी ने उससे नक्शा और खसरा के नाम पर 3 हजार रुपए की रिश्वत ली। इस पर कलेक्टर भड़क गए, उन्होंने तुरंत परिषद के सीएमओ को फोन कर महिला के पैसे वापस दिलाने के निर्देश दिए।

कलेक्टर ने पैर छुए 
विकास मिश्रा अपनी वर्किंग स्टाइल से खासे सुर्खियों में हैं। वे किसी नेता की तरह ग्रामीणों के बीच पहुंच रहे हैं। उनके बीच बैठकर समस्याएं सुनते हैं। उनकी एक और तस्वीर सामने आई है, जिसमें वो आदिवासी महिला के पैर छूते नजर आ रहे हैं। पिछले दिनों वे करंजिया जनपद पंचायत क्षेत्र के गोपालपुर गांव पहुंचे। यहां उन्होंने लोगों की समस्याएं सुनीं। इसके बाद वे ग्राम चकमी पहुंचे तो बैगा आदिवासी महिलाएं उनका स्वागत करने आईं। कलेक्टर ने उनके पैर छुए और कहा कि आप अपनी समस्याएं बताएं। यहां कलेक्टर ग्रामीणों के साथ जमीन पर बैठ गए और बातें की।

महिलाओं ने कलेक्टर को बताया कि उन्हें बैगा विकास अभिकरण द्वारा दी जाने वाली एक हजार रुपए की अनुदान राशि नहीं मिल रही है। कलेक्टर ने तत्काल जनपद पंचायत सीईओ को तत्काल कैंप लगाकर समस्या का निराकरण करने के निर्देश दिए। उन्होंने ग्रामीणों को ‘पेसा एक्ट’ के बारे में विस्तार से जानकारी भी दी।

हाथों-हाथ निराकरण 
गोपालपुर में ग्रामीणों ने कलेक्टर से शिकायत करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री सड़क योजना से बन रही रूसा-गोपालपुर सड़क पर ठेकेदार मुरम की जगह मिट्टी डाली जा रही है। इस कारण आने-जाने में परेशानी होती है। कलेक्टर ने अधिकारियों को ठेकेदार का भुगतान रोकने के निर्देश दिए।

कलेक्टर ने ग्रामीणों से शराब छोड़ने की अपील की। इसी दौरान गांव का इंद्रपाल सिंह सामने आया, उसने कलेक्टर के सामने शराब छोड़ने की शपथ ली। कलेक्टर ने पुष्प गुच्छ देकर उसे सम्मानित किया, उसे गांव का हीरो बताया।

कपोटी गांव में आजीविका मिशन के तहत पानी टंकी बनाई गई। पानी की शुद्धता जानने के लिए कलेक्टर ने खुद टंकी का पानी पिया। उन्होंने कहा कि पानी अच्छा है। आसपास गंदगी न फैलाएं, इस बात का ध्यान रखें।

Different Functioning Of A Collector : कलेक्टरी का जुदा अंदाज!

बच्चे को बनाया एक दिन का कलेक्टर 
कलेक्टर विकास मिश्रा की काम करने की शैली तो जुदा है ही, उनकी संवेदनशीलता की भी जमकर तारीफ हो रही है। उन्होंने नौवीं कक्षा के दलित बच्चे को एक दिन का कलेक्टर बनाते हुए उसे अपनी कुर्सी में बिठा दिया।

बता दे कि कलेक्टर ने धनुआ सागर हायर सेकेंडरी स्कूल का अचानक निरीक्षण किया था। वहां 9वीं के छात्र रुद्रप्रताप ने पढ़ लिखकर कलेक्टर बनने की इच्छा जताई। छात्र के जज्बे को देखते हुए कलेक्टर ने उसे कलेक्ट्रेट कार्यालय आने के लिए आमंत्रित किया।

कलेक्टर विकास मिश्रा के आमंत्रण पर नवमी का छात्र रुद्र प्रताप झारिया सोमवार को अपने माता-पिता के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचा था। यहां कलेक्टर ने खुद ही छात्र और उसके माता-पिता का वेलकम किया। उन्होंने रूद्र प्रताप को अपनी कुर्सी पर बैठाकर कलेक्टर कार्यालय में होने वाले कामकाज और तौर-तरीके के बारे में समझाया। कलेक्टर की कुर्सी पर बैठने के बाद छात्र रुद्र प्रताप की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

कलेक्टर विकास मिश्रा ने मीडियावाला से फोन पर चर्चा के दौरान बताया कि डिंडोरी आदिवासी बहुल जिला है और यहां पर पेसा एक्ट को बहुत प्रभावशाली तरीके से लागू किया जाएगा ताकि आदिवासी समुदाय इस कानून के प्रावधानों का भरपूर लाभ ले सके।

Different Functioning Of A Collector : कलेक्टरी का जुदा अंदाज!

कलेक्टर ने बताया कि जिले के सभी हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल के होनहार विद्यार्थियों को पेसा अधिनियम का ambassador बनाया जाएगा। ये विद्यार्थी पेसा अधिनियम के बारे में अपने साथ पढ़ रहे विद्यार्थियों और गांव में अधिनियम के बारे में बताएंगे।

कलेक्टर ने सबसे पहले उस छात्र रूद्र प्रताप को अधिनियम के बारे में बताया और पेसा अधिनियम के बारे में पढ़ने को कहा जिसे उन्होंने एक दिन के लिए आमंत्रित कर कलेक्टर बनाया था।उन्होंने रूद्र प्रताप को उपहार स्वरूप पुस्तक और पैसा अधिनियम से संबंधित राज्य शासन के गजट की प्रति भी भेंट की थी।

डिंडोरी निवासी प्रदेश के जाने-माने पत्रकार प्रवीण दुबे का कहना है कि कलेक्टर का व्यवहार आम जनता से विकास मिश्रा जी जैसा होना चाहिए। प्रवीण ने एक ट्वीट कर कहा कि कुछ ही दिनों के अंदर उन्होंने जिले में बहुत सारे लोगों का प्रेम और आशीर्वाद पा लिया है।