Different Picture Of India: विकासशील भारत की पोल खोलती तस्वीर, बीमार आदिवासी महिला को चारपाई पर ले जाना पड़ा!

आदिवासी बाहुल्य हिरदेपूर गांव मे सड़क की समस्या से ग्रामीणों परेशान

510

Different Picture Of India: विकासशील भारत की पोल खोलती तस्वीर, बीमार आदिवासी महिला को चारपाई पर ले जाना पड़ा!

राजेश चौरसिया की खास रिपोर्ट

छतरपुर: कहने को तो हम विकासशील देश में रहते है जहां एक्प्रेस वे और गांव-गांव तक सड़क पहुंचाने का दावा करते हैं पर इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। यहां पर आज भी कई गांव ऐसे हैं जहां पहुंच मार्ग न होने से एम्बुलेंस तक नहीं पहुंच पाती और पूरा सिस्टम चारपाई पर दिखाई देता है। फिर चाहे कोई बीमार हो जाए या प्रसव के लिए महिलाओं को अस्पताल जाना पड़े, सब चारपाई पर दिखाई देते हैं दरअसल सबको चारपाई पर ले जाना होता है और तब कहीं जाकर अस्पताल तक पहुंच पाते हैं।

*●यह है पूरा मामला..*

हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले की जनपद पंचायत बकस्वाहा की जहां ग्राम पंचायत वीरमपुरा के आदिवासी बाहुल्य गांव हिरदेपूर की, जहां विकास आज भी अछूता है।

वैसे तो बड़ी बात यह है कि यह वह गांव है जो हीरा भंडारण क्षेत्र में आता है। पर शायद सरकार इस गांव से वादा करके भूल गई है। जब देश में सबसे अच्छे हीरा भण्डारण की बात हुई तो इसके आसपास आने वाले 16 गांव चर्चा में आए जिनमें से एक हिरदेपुर भी था। पर हीरा भण्डारण वाले ग्राम से सरकार ने वादा किया कि यहां सड़क समेत सभी मूलभूत सुविधाएं बेहतर मिलेंगी पर हीरा निकालने पर जैसे ही रोक लगी सरकार अपना वादा भी भूल गई। अब इस दयनीय स्थिति को लेकर स्थानीय ग्रामीणों में चिंता है। ग्रामीण कहते हैं कि उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा और आदिवासी समुदाय की कठिनाइयों को नजरअंदाज किया जा रहा है।

*●यह है ताजा मामला..*

 

मामला बीते शुक्रवार का है जहां गांव की जंगी बारेला (उम्र 40 साल) को अचानक सीने में दर्द होने लगा और पहुंच मार्ग न होने के कारण ग्रामीणों चारपाई पर लिटाया और 1 किलोमीटर तक का सफर कंधों पर चारपाई को लेकर तय किया जिसके बाद फिर वाहन से बकस्वाहा स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे और प्राथमिक उपचार किया गया। पर मरीज की हालत गंभीर होने पर डॉक्टर शिवांश असाटी ने उसे जिला अस्पताल रैफर करने को कहा, पर बदकिस्मती ने अभी भी साथ न छोड़ा और सिस्टम की मार झेल रही आदिवासी महिला को यहां भी एंबुलेस न मिली।

 

बीमार महिला का पुत्र प्रताप बारेला, बृजेश बारेला बताते हैं कि हमारे द्वारा कई बार एंबुलेस को कॉल किया गया पर हर बार जवाब मिला की एंबुलेस को आने में दो घण्टे लग जाएंगे

जिसके बाद आदिवासी परिवार ने प्राईवेट गाड़ी की और जिला अस्पताल ले गए। परिजनों ने कहा की उनको ऑक्सीजन की जररूत थी पर वो एंबुलेस से ही संभव थी।

 

 

*●अस्पताल में क्यों नहीं मिल पाती एंबुलेंस सुविधा..*

 

बकस्वाहा में ज्यादातर मामलों में देखा गया है की एंबुलेंस समय से नही मिल पाती इसका कारण यह है कि बकस्वाहा के लिए सिर्फ एक एंबुलेस लगी हुई है जबकि क्षेत्र बहुत बड़ा है। साथ ही एंबुलेस का नियंत्रण अस्पताल के पास नहीं रहता सीधा भोपाल से कंट्रोल रहता है। जिस कारण अस्पताल प्रबंधन हस्तक्षेप नहीं कर पता और एंबुलेस व्यवस्था पटरी से उतरती जा रही है।

 

*●डॉक्टर बोले..*

 

BMO डॉक्टर सत्यम असाटी

कहते हैं कि मामला बहुत गंभीर है। मरीज को एंबुलेस नहीं मिली जबकि ड्यूटी डॉक्टर के द्वारा और परिजनों के द्वारा एंबुलेस को कॉल किया गया था फिर भी उपलब्ध नहीं हो सकी, इस मामले को संज्ञान में लेकर मैं नोटिस भेजूंगा और उच्च अधिकारियों को अवगत कराऊंगा।

 

*●यह है भौगोलिक और वस्तुस्थिति..*

 

ग्राम पंचायत वीरमपुरा में कुल सात गांव हैं जिनमें-

वीरमपुरा,

तिलई,

कसेरा,

जगारा,

हिरदेपूर,

हरदुआ, और डुगासरा + पठा शामिल हैं। जिनकी कुल आबादी 3107 है। इनमें से हिरदेपूर, हरदुआ, और डुगासरा + पठा पूरी तरह से आदिवासी गांव हैं। हिरदेपूर की आबादी 213 है, जिसमें 102 महिलाएं और 111 पुरुष शामिल हैं।

 

हिरदेपूर गांव की सड़क की स्थिति बेहद खराब है। तिलई गांव से हिरदेपूर तक की लगभग तीन किलोमीटर लंबी सड़क में से डेढ़ किलोमीटर हिस्सा पूरी तरह से खस्ताहाल हो चुका है। बरसात के दौरान यह सड़क दलदल में बदल जाती है, जिससे ग्रामीणों को अत्यधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

 

*●जर्जर सड़क परेशान आदिवासी..*

 

आदिवासी बाहुल्य गांव के सुविधाओं से वंचित ये आदिवासी बाहुल्य गांव है पर सुविधाओं की बात करे तो न सड़क है और न स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध है और न शिक्षा के लिए बेहतर व्यवस्था आलम ये है की बीमारी में भी ईलाज नहीं मिल पा रहा है।

 

ग्रामीणों ने आरोप हैं कि चुनाव के समय नेताओं द्वारा सड़क मरम्मत के आश्वासन दिए जाते हैं, लेकिन चुनाव के बाद ये आश्वासन कभी पूरे नहीं होते।

राम सिंह बारेला और रंगलाल बारेला का कहना है कि उन्होंने कई बार सड़क मरम्मत के लिए आवेदन दिए हैं, लेकिन उनकी शिकायतें हमेशा अनसुनी कर दी जाती हैं।