Difficult to Eat Due to Inflation : गरीब कैसे मनाए दीवाली, सभी दालें ₹200, धनिया ₹120 और लहसुन ₹450 किलो!
खाने की हर वस्तु पर महंगाई का लंबा साया, मध्यम वर्ग का बजट तो पूरी तरह गड़बड़ा गया!
Indore : सब्जी से लेकर अनाज तक सब पर महंगाई का साया है। जहां एक और दालों की कीमत 200 रुपए किलो के पार पहुंच चुकी है वही अनाज में भी सबसे कम कीमत का आता भी करीब 50 रुपए किलो बिक रहा है। हरा धनिया 120, मिर्ची 100 और इन सब से चार कदम आगे लहसुन पहुंच गया है जो 400 से 450 रुपए किलो बिक रहा है।
ऐसे में दाल-रोटी खाना तो दूर मध्यम वर्ग के सामने तो चटनी रोटी खाना भी मुहाल हो गया है। ऐसे में मध्यम वर्ग त्योहार कैसे मनाए यह समझ से बाहर हो चला है। मध्यम वर्ग जो की देश का सबसे बड़ा वर्ग है। यही मध्यम वर्ग सबसे ज्यादा टैक्स अदा कर शासन को राजस्व का एक बड़ा हिस्सा भी प्रदान करता है। वर्तमान में महंगाई का सबसे अधिक प्रभाव इसी मध्यम मार्ग पर पड़ रहा है।
दीपावली का त्योहार आ गया, ऐसे में धन अर्थात महंगाई की चर्चा न की जाए तो यह गलत होगा। जहां तक वर्तमान में महंगाई का प्रश्न है हरी सब्जी से लेकर अनाज तक सब पर महंगाई का भरपूर साया है। एक और जहां अनाज और दालें महंगाई में अव्वल हैं तो दूसरी तरफ हरी सब्जियां भी महंगाई की हरियाली से पीछे नहीं है। वर्तमान में जहां हरी सब्जियों में गिलकी 120, कद्दू 80, हरा धनिया 120, मिर्ची 100 रुपए किलो के आसपास बिक रहे हैं, वही इन सबसे आगे लहसुन देवता निकल चुके हैं। लहसुन 400 से 450 रुपए किलो मंडियों में बिक रहा है। ऐसे में मध्यम वर्ग का बजट तो पूरी तरह से गड़बड़ चुका है। गृहिणियों को घर चलाने के लिए हर महीने विचार कर नया गणित लगाना पड़ रहा है।
आलू और प्याज भी दौड़ में आगे
करीब एक पखवाड़े पहले जहां आलू और प्याज 30 रुपए किलो के आसपास बिक रहे थे वही वर्तमान में 60 से 80 रुपए किलो तक पहुंच चुके हैं। कहने का मतलब है कि एक पखवाड़े में आलू और प्याज में ही दोगुनी कीमतों की बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में अन्य सब्जियों के बारे में क्या कहा जा सकता है। न सिर्फ सब्जियां बल्कि तेल मसाले की कीमतें भी एक महीने के अंतराल में डेढ़ गुना तक पहुंच चुकी है। सोयाबीन का तेल ही एक महीने में करीब 50 रुपए किलो बढ़ा है।
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