Digvijay Singh Confident: राजगढ़ में दिग्विजय समर्थक कान्फिडेंट, भाजपा को रोडमल के जीतने की उम्मीद!
नागर करते हैं रोड शो, सिंह गांव– गांव करते पद यात्रा, मोदी फैक्टर, संघ से भी दिग्विजय टीम का मुकाबला
दिनेश निगम ‘त्यागी’ की ग्राउंड रिपोर्ट
छिंदवाड़ा के बाद राजगढ़ दूसरी ऐसी हाई प्रोफाइल लोकसभा सीट है, जिस पर सभी की नजर है। छिंदवाड़ा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ के कारण चर्चा में थी और राजगढ़ दिग्विजय सिंह के कारण। छिंदवाड़ा की ही तरह राजगढ़ का चुनाव भी रोचक और कड़े मुकाबले का है। छिंदवाड़ा से कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ मैदान में हैं जबकि राजगढ़ में खुद दिग्विजय कांग्रेस प्रत्याशी। छिंदवाड़ा के लिए पहले चरण में मतदान हो चुका है जबकि राजगढ़ में तीसरे चरण में 7 मई को मतदान होना है। राजगढ़ में भाजपा की ओर से सांसद रोडमल नागर फिर मैदान में हैं। दिग्विजय समर्थक सोशल मीडिया में कान्फिडेंट दिखते हैं और जीत का दावा कर रहे हैं, दूसरी तरफ भाजपा को नागर के जीत की उम्मीद है। पार्टी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस को उनका अति आत्मविश्वास ले डूबेगा और अंत में भाजपा की जीत उसी तरह होगी, जैसे विधानसभा चुनाव में हुई थी। तब भी कांग्रेस प्रदेश में सरकार बनाने का दावा कर रही थी। राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की 8 में से 6 क्षेत्रों में कांग्रेस हार गई थी।
भाजपा की तुलना में कांग्रेस की प्रचार शैली अलग
राजगढ़ में भाजपा के रोडमल और कांग्रेस के दिग्वजय की प्रचार शैली में बड़ा फर्क है। दिग्विजय सिंह जब से प्रत्याशी घोषित हुए तब से ही पदयात्रा कर रहे हैं। हर दिन वे 15 से 20 किमी तक पैदल चलते हैं और रात्रि विश्राम गांव में ही करते हैं। गांव में समर्थक चंदा कर सामूहिक भोजन की व्यवस्था करते हैं और साथ बैठकर खाते हैं। इस दौरान दिग्विजय लोगों से संपर्क और बातचीत करते हैं। दिग्विजय खासतौर पर भाजपा के गढ़ों को टारगेट कर रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा के रोडमल नागर कभी पदयात्रा करते दिखाई नहीं पड़े। वे रोड शो पर भरोसा करते हैं और एक दिन में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने की कोशिश करते हैं। कह सकते हैं कि दिग्विजय की प्रचार शैली भाजपा के रोडमल की तुलना में ज्यादा प्रभावी है।
नाराज लोगों को भी मना रहे हैं दिग्विजय
राजगढ़ क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के नेता प्रत्याशियों के लिए एकजुट नजर आते हैं। सांसद रोडमल को प्रत्यााशी बनाए जाने से लोगों में नाराजगी है। पार्टी के एक पदाधिकारी का कहना है कि कार्यकताओं को रोडमल से नाराजगी है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं। इसलिए बाद में सभी लोग वोट भाजपा को ही देंगे। दिग्विजय के लिए कांग्रेस नेता भी एकजुट हैं लेकिन उनके भाई लक्ष्मण सिंह प्रचार में नहीं दिख रहे थे। खबर है कि दिग्विजय ने उन्हें मना लिया है। अब वे प्रचार में जुट गए हैं। दिग्विजय ने भाजपा की पूर्व विधायक ममता मीना को भी अपने पक्ष में कर लिया है। चाचौड़ा क्षेत्र में वे कांग्रेस का काम कर रही हैं। बता दें, कि विधानसभा में टिकट न मिलने से ममता ने भाजपा छोड़ दी थी और आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं। उन्हें लगभग 27 हजार वोट मिले थे। ममता के कांग्रेस के पक्ष में आने का लाभ दिग्विजय को मिल सकता है।
राजगढ़ में इसलिए मुकाबला कड़ा
लोकसभा के इस चुनाव में राजगढ़ में मुकाबला कड़ा दिख रहा है क्योंकि यह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का गृह क्षेत्र है। वे यहां से सांसद रह चुके हैं और विधायक के साथ 10 साल तक मुख्यमंत्री। इस नाते क्षेत्र में उनके पास अच्छी टीम है और अच्छा संपर्क भी। कांग्रेस एकजुट है ही। दिग्विजय की इस टीम का मुकाबला सरकार, संघ और भाजपा के बड़े संगठन से है। दिग्विजय को हराने के लिए सरकार और भाजपा संगठन के साथ संघ ने भी पूरी ताकत झोंक रखी है। दिग्विजय को राम द्रोही और मुस्लिम तुष्टिकरण का अगुवा बताया जा रहा है। जवाब में दिग्विजय खुद को सबसे बड़ा सनातनी बता रहे हैं। दिग्विजय यह भी कहते हैं कि भाजपा राम के नाम पर वोट मांगती है। उसका सनातन धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। राजगढ़ की जय-पराजय इस मुद्दे पर जनता का फैसला माना जाएगा।
अमित शाह ने विधायकों को दिया यह ऑफर
जैसे कमलनाथ ने छिंदवाड़ा किसी बड़े कांग्रेस नेता को नहीं बुलाया था, उसी तरह दिग्विजय भी राजगढ़ में अकेले अपनी टीम के साथ प्रचार कर रहे हैं। अंतिम समय में कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने राजगढ़ के जीरापुर में दिग्विजय के समर्थन में सभा की है, इसके बाद राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रचार के लिए आए। भाजपा की ओर से लगभग हर प्रमुख नेता पहुंच रहा है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव कई बार जा चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिन कुछ क्षेत्रों में प्रचार के लिए गए हैं, उनमें राजगढ़ शामिल है। भाजपा के शीर्ष नेता अमित शाह भी राजगढ़ होकर गए हैं। उन्होंने मंच से ही विधायकों को ऑफर दिया कि जिनके क्षेत्र का परफारमेंस अच्छा होगा, आने वाले समय में उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी। शाह के इस ऑफर के बाद पार्टी के सभी 5 विधायक रोडमल के लिए प्राण-प्रण से जुट गए हैं।
भाजपा-कांग्रेस के बीच जातियों का बंटवारा
लोकसभा चुनाव में आमतौर पर राजगढ़ क्षेत्र में जातिगत आधार पर मतदान नहीं होता। बावजूद इसके भाजपा और कांग्रेस द्वारा समाजों की बहुलता को देखकर नेताओं को प्रचार के लिए तैनात किया जा रहा है। क्षेत्र में सबसे ज्यादा मतदाता सोंधिया, दांगी और तंवर समाज के हैं। ये आमतौर पर भाजपा के साथ रहते हैं। इसके बाद ब्राह्मण, यादव और मीना समाज आते हैं। इनकी भी स्थिति वही है। हालांकि दिग्विजय के कारण हर समाज मे बंटवारा देखने को मिल रहा है। अनुसूचित जाति-जनजाति के मतदाताओं की तादाद भी कम नहीं है। कांग्रेस और भाजपा ने जातिगत आधार पर नेताओं को मैदान में उतार रखा है। ब्राह्मण मतदाताओं का रुझान भाजपा की ओर है और अजा-जजा वर्ग का कांग्रेस की ओर। शेष सभी जातियां भाजपा- कांग्रेस के बीच बंटी दिखाई पड़ रही हैं। ऐसे में यह कहना कठिन है कि आखिर, जीत किसके पाले बैठेगी।