Digvijay Singh : ‘जिसने खरगोन का माहौल बिगाड़ा, पत्थर फेंके, गोली चलाई, उस पर कार्रवाई हो’ 

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ईद मिलन के बाद शिवराज सरकार पर उंगली उठाई 

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Indore : मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने आज इंदौर में मनाई। मंगलवार सुबह वे सदर बाजार स्थित ईदगाह गए और शहर काजी से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी।

इस दौरान सिंह ने खरगोन दंगे के सवाल पर उन्होंने कहा कि चाहे हिंदू हो या मुसलमान, जिसने माहौल बिगाड़ा, जिसने पत्थर फेंके, जिसने गोली चलाई, जिसने आग लगाई वो कोई भी हो, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

खरगोन में आज यदि कर्फ्यू लगा है तो यह शासन और प्रशासन की अकर्मण्यता है।

मंगलवार सुबह दिग्विजय सिंह सदर बाजार स्थित ईदगाह पहुंचे और शहर काजी इशरत अली के गले लगकर ईद की बधाई दी। सिर पर सफेद गमछा बांधकर आए दिग्विजय सिंह ने वहां मौजूद मुस्लिम समाजजनों को ईद की बधाई दी।

उन्होंने गरीब तबके के लोगों को पैसे भी बाँटे। कहा कि इंदौर के सलवाडिया परिवार की प्रशंसा करनी चाहिए कि वे ईद हो या दशहरा, हमेशा भाई चारे का संदेश देते हैं।

इसके बाद मीडिया से चर्चा में खरगोन दंगे को लेकर कहा कि यह शासन-प्रशासन की असफलता है। दो हफ्ते के बाद भी वहां कर्फ्यू लगा हुआ है।

लोगों में प्रेम और सद्भभाव का माहौल होना चाहिए, उसे सुधार नहीं पा रहे हैं। दिग्विजय सिंह ने कहा कि कोई भी हो हिन्दू या मुसलमान जिसने माहौल बिगाड़ा, जिसने पत्थर फेंके, जिसने गोली चलाई, आग लगाई, कोई भी हो उसके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए।

क्या कारण है कि राम नवमी पर एक तरफ सुबह जुलूस निकला जिसमें मुसलमानों ने भी रामनवमी के जुलूस को पानी-शरबत पिलाया और सब शांति पूर्ण निपट गया। फिर दूसरा जुलूस ढाई बजे निकालने की आवश्यकता क्या थी, जिसने कि सारे नियम तोड़ दिए।

एडिशनल एसपी के रोकने के बावजूद भी बैरियर जबर्दस्ती हटाकर वे मस्जिद के पास गए। इन सबकी जांच, न्यायिक जांच होनी चाहिए, कि कौन इसके लिए जवाबदार है।

दंगे जैसी स्थिति नहीं बनी

दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री था, तब बाबरी मस्जिद ढहाने के बाद जो बिगड़ा हुआ माहौल था, उस माहौल को हमें सुधारना था। 10 साल तक मेरे समय कहीं भी किसी प्रकार का दंगा नहीं हुआ। घटनाएं हुईं जिसे हम लोगों ने कंट्रोल किया लेकिन कर्फ्यू नहीं लगा। लाउडस्पीकर के मुद्दे पर कहा कि यह सब बेकार है। लोगों का ध्यान बांटा जा रहा है। महंगाई से लोगों का बजट बिगड़ गया है। बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। रोज भाव बढ़ते जा रहे हैं। लोगों का ध्यान असफलता से भटकाने के लिए सब हो रहा है।