Digvijaya Singh Alleges EVM : दिग्विजय सिंह ने मीडिया के सामने EVM हैक करके दिखाई, चुनाव आयोग पर सवाल उठाए!

EVM एक्सपर्ट ने बताया कि कैसे गड़बड़ी करना संभव!

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Digvijaya Singh Alleges EVM : दिग्विजय सिंह ने मीडिया के सामने EVM हैक करके दिखाई, चुनाव आयोग पर सवाल उठाए!

 

Bhopal : पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) हैकिंग का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यह आरोप नहीं है कि हेरफेर हो रहा है। लेकिन, 30% से 40% वोटों का हेरफेर EVM से हो सकता है। हाल में हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश समेत तीन राज्यों में भाजपा ने सरकार बनाई। इसके बाद से कांग्रेस ने फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को लेकर सवाल उठाए। दिग्विजय सिंह ने गुजरात से आए अतुल पटेल के साथ EVM को हैक करके भी दिखाया। यह दावा भी किया कि इस तरह 30-40 प्रतिशत वोटों का हेरफेर तो हो ही सकता है।

पत्रकार वार्ता के दौरान दिग्विजय सिंह ने मीडिया के सामने ईवीएम एक्सपर्ट अतुल पटेल से पूरी मतदान प्रक्रिया का डेमो किया। इस दौरान एक ईवीएम में 10 वोट डाले गए। चुनाव चिह्न के तौर पर सेब, केला और तरबूज था। इस दौरान अधिकांश पत्रकारों ने केला चिह्न पर वोट दिया, लेकिन नतीजे चौंकाने वाले थे। अंतिम नतीजे में सेब को ज्यादा मत प्राप्त हुए। दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि 140 करोड़ आबादी वाले देश में जहां 90 करोड़ मतदाता हैं, क्या हम ऐसे लोगों के हाथ में ये सब तय करने का अधिकार दे दें? पूरी इलेक्शन प्रोसेस का मालिक न मतदाता है, न अधिकारी और कर्मचारी हैं। इसका मालिक सॉफ्टवेयर बनाने और सॉफ्टवेयर डालने वाला है।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि पहले कौन सा EVM कौन से बूथ पर जाएगा ये कलेक्टर तय करते थे। अब ये रैंडमाईजेशन के नाम पर इलेक्शन कमीशन के सेंट्रल ऑफिस से लोड होता है। मशीन सॉफ्टवेयर की बात मानेगी ऑपरेट करने वाले की नहीं!

उन्होंने पूर्व केंद्रीय निर्वाचन आयोग को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं है, दबाव में है। चुनाव आयोग से हम निष्पक्षता की उम्मीद करते हैं। लेकिन, EVM का सारा काम प्राइवेट लोगों के हाथ में है। जब सॉफ्टवेयर ही सब करता है, तो वही सॉफ्टवेयर तय करेगा कि सरकार किसकी बनेगी। चुनाव आयोग ने खुद आरटीआई के जवाब में कहा है कि उनके पास कोई भी टेक्निकल टीम नहीं है।

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निर्वाचन आयोग से पूछे सवाल
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने कहा कि 2003 से लेकर आज तक निर्वाचन आयोग ने ईवीएम के सॉफ्टवेयर को पब्लिक डॉमिन में क्यों नहीं डाला? मशीन के पार्ट्स अलग-अलग जगह से आते हैं। पहले इसमें लगने वाला चिप सिंगल प्रोग्रामेबल था, जिसे अब मल्टीपल प्रोग्रामेबल चिप में तब्दील कर दिया है। ऐसा क्यों? चुनाव आयोग इन सवालों का जवाब नहीं दे रहा है। सॉफ्टवेयर कौन डाल रहा है? इसका कोई जवाब नही है। इससे तो ऐसा लग रहा है कि मतदाात नहीं, बल्कि सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने वाला तय करेगा कि सरकार किसकी बनेगी। कौन-सी मशीन किस बूथ पर जाएगी, यह रिटर्निंग ऑफिसर तय नहीं करता। यह भी कंप्यूटर तय करता है। भाजपा को जनता का नहीं मशीन का वोट मिल रहा है। ईवीएम से इतना प्रेम है, तो हमें ईवीएम से निकलने वाली वीवीपैट (VVPAT) पर्ची हाथ में दे दीजिए। हम उसे डिब्बे में डालेंगे। हमारी मांग संवैधानिक है। न्यायपालिका की जिम्मेदारी है कि वह हमारी संवैधानिक मांगों का संरक्षण करें।

5 देशों में ही ईवीएम से वोटिंग
दिग्विजय सिंह ने कहा कि आज दुनिया के सिर्फ पांच देश में ईवीएम से वोटिंग होती है। इनमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, नाइजीरिया, वेनेजुएला और ब्राजील शामिल है। ऑस्ट्रेलिया में जो सॉफ्टवेयर डाला जाता है वो ओपन है, जनता के बीच है। भारत में चुनाव आयोग ने अब तक सॉफ्टवेयर पब्लिक नहीं किया है। ये तो और गंभीर विषय है। ऐसे कई प्रश्न है जो आज लोगों के दिमाग में है। सिंह ने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री काल में टीएन सेशन साहब का जमाना देखा है। तब हम आयोग से डरते थे। आज आयोग निष्पक्ष नहीं है। हम लोग कुछ कह दें तो ईसीआई नोटिस दे देता है, मोदी कुछ भी बोलें उन्हें नोटिस नहीं मिलता।