राजवाड़ा 2 रेसीडेंसी: कमलनाथ के कारण ही संभव हो पाई दिग्विजय की शिवराज से मुलाकात

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बात यहां से शुरू करते हैं

डेढ़ महीने की मशक्कत के बाद भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से समय लेने में नाकाम रहे पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह की पीड़ा आखिरकार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के सामने जुबां पर आ ही गई। समय न मिलने के कारण जब दिग्विजय सिंह धरने पर बैठ गए थे, तब कमलनाथ उनसे मिलने पहुंचे थे। इस दौरान कुछ सेकंड के संवाद में जब कमलनाथ ने कहा कि मैं तो चार दिन पहले भी दिग्विजय सिंह से मिला था, तब इन्होंने कुछ बताया नहीं था। इतना सुनते ही दिग्विजय सिंह बोले क्या हमें मुख्यमंत्री से मिलने के लिए भी आपको बताना पड़ेगा। इसके जवाब में कमलनाथ ने अंग्रेजी के तीन शब्दों में जो कुछ कहा उससे यह स्पष्ट हो गया कि कुछ न कुछ तो गड़बड़ है। इधर, साहब के समर्थक यह कहने से नहीं चूक रहे हैं कि यदि कमलनाथ पहल न करते तो मुलाकात हो ही नहीं पाती।
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विधानसभा चुनाव में भले ही दो साल का समय बचा हो, लेकिन भाजपा ने मध्यप्रदेश के 50 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में नए चेहरे तलाशना शुरू कर दिया है। हर हालत में मध्यप्रदेश में अपनी सत्ता बरकरार रखने की दिशा में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ ही मुख्यमंत्री भी अलग-अलग स्तर पर जो सर्वे करवा रहे हैं, उसमें कई विधायक डेंजर जोन में माने जा रहे हैं। इनमें ज्यादातर वे विधायक हैं, जो तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। कई पूर्व मंत्री भी इस दायरे में आ रहे हैं। अंदरखाने की बात को सही माना जाए तो मालवा निमाड़ के 20 से ज्यादा वर्तमान विधायक अगली बार टिकट से वंचित किए जा सकते हैं। मध्यप्रदेश का भाजपा संगठन भी कई विधानसभा क्षेत्रों में नए चेहरे तलाशने में जुट गया है।
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कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए उन विधानसभा क्षेत्रों को अपनी प्राथमिकता पर रखा है, जहां पार्टी पिछले तीन-चार चुनाव से लगातार शिकस्त खा रही है। वे इस शिकस्त के कारणों का भी पता लगवा रहे हैं। इन विधानसभा क्षेत्रों का वे एक सर्वे करवा चुके हैं और दूसरा करवाने की तैयारी में हैं। यहां के नेताओं से वे सतत संवाद कर रहे हैं और अपने विश्वस्त नेताओं को इन क्षेत्रों में भेजकर यह पता कर रहे हैं कि सबसे बेहतर संभावना किसमें है। कमलनाथ की कोशिश तो यह है कि इन क्षेत्रों के उम्मीदवार एक साल पहले घोषित किए जाएं ताकि उन्हें जनता के बीच पकड़ बनाने का पूरा मौका मिल पाए।
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अगले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस की तैयारियां तो अलग-अलग स्तर पर चली रही हैं। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने समर्थक विधायकों को अभी से अलर्ट कर दिया है। इसी का नतीजा है कि चाहे दिग्विजय सिंह पुत्र जयवर्धन सिंह हों या उनके कट्टर समर्थक सुरेंद्रसिंह बघेल हनी या फिर पी.सी. शर्मा और सचिन यादव, ने अपना दायरा अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में सीमित कर लिया है और इलेक्शन मोड में आ गए हैं। जो बात छनकर सामने आ रही है उसके मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री अपने समर्थकों को साफ कह चुके हैं कि अपना क्षेत्र मजबूत रखोगे तो ही आगे तुम्हारी पूछ-परख रहेगी। यदि यहीं निपट गए तो फिर भोपाल दिल्ली में कोई पूछने वाला नहीं रहेगा।
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पिछले विधानसभा चुनाव के अनुभव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने अभी से जयस की घेराबंदी शुरू कर दी है। मालवा-निमाड़ के आदिवासी बहुल विधानसभा क्षेत्रों में इन दिनों संघ से मुक्ति लेकर भाजपा में बेहद सक्रिय डॉ. निशांत खरे राज्यसभा सदस्य प्रो. सुमेर सिंह, केंद्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हर्ष चौहान, खरगोन-बड़वानी के सांसद गजेन्द्र पटेल और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वी.डी. शर्मा के बेहद विश्वस्त जयदीप पटेल को मैदान में उतार दिया गया है। अपेक्षाकृत नई पीढ़ी के ये नेता आदिवासी युवक-युवतियों से सीधा संवाद स्थापित कर यह जानने में लगे हैं कि आखिर ऐसे क्या कारण हैं जिसके कारण इस वर्ग के लोगों में भाजपा की पेठ नहीं जम पा रही है।
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इंदौर से भोपाल भेजे जाने के बाद से ही असहज महसूस कर रहीं प्रमुख सचिव स्तर की अधिकारी स्मिता भारद्वाज ने आखिरकार महाभारत में कृष्ण की भूमिका निभा चुके अभिनेता नितीश भारद्वाज से 12 साल पुराना दाम्पत्य संबंध तोडऩे का निर्णय ले लिया है। मामला अंतिम दौर में है और यह सेप्रेशन दोनों की सहमति से हो रहा है। शुरुआत 2019 में नितीश द्वारा दायर तलाक के केस से हुई थी। इसके कारण को लेकर प्रमुख सचिव तो अभी खामोश हैं, लेकिन भारद्वाज ने अपना दर्द बयां करना शुरू कर दिया है।
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ग्वालियर रेंज के आईजी पद के लिए चली भारी खींचतान के बाद आखिरकार सागर रेंज के आईजी रहे अनिल शर्मा के नाम पर स्वीकृति की मुहर लगी। अविनाश शर्मा की सेवानिवृत्ति के बाद यहां डी. श्रीनिवास वर्मा को पदस्थ किया गया था। लेकिन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के रजामंद न होने के कारण इस पोस्टिंग को होल्ड पर रख दिया गया था। इसके बाद चंचल शेखर और महेंद्रसिंह सिकरवार के नाम इस पद के लिए आगे बढ़े, लेकिन एक पर सिंधिया और दूसरे पर मुख्यमंत्री के रजामंद न होने के कारण बात बन नहीं पाई। इस सबके बीच भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वी.डी. शर्मा के चहेते माने जाने वाले अनिल शर्मा फायदे में रहे और सेवानिवृत्ति के पहले उन्हें दूसरे रेंज का आईजी बनने का मौका मिल गया। हालांकि अब शर्मा की पहली प्राथमिकता अब सिंधिया के साथ ही तोमर को साधना भी है।
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चलते-चलते

मध्यप्रदेश के क्रिकेट एसोसिएसन के दो बहुत ही मजबूत स्तंभ पूर्व रणजी ट्रॉफी खिलाड़ी वासु गंगवानी और आईडीसीए के सेक्रेटरी रहने के बाद इन दिनों एमपीसीए में अहम भूमिका निभा रहे सुभाष बायस का अवसान सिंधिया खेमे के लिए बड़ा नुकसान है। ये दोनों एमपीसीए के सदस्यों को साधने और उन्हें सिंधिया से जोड़े रखने में अहम भूमिका निभाते थे।

पुछल्ला

विधानसभा चुनाव उत्तर प्रदेश में होना है और इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने इंदौर में रह रहे उत्तर प्रदेश के लोगों का एक जमावड़ा जाल सभागृह में कर उन्हें यह समझाने की कोशिश की कि क्यों इस चुनाव में वहां भाजपा का जीतना जरूरी है। हां यह जरूर रहा कि इस बात को समझने के लिए बहुत कम लोग जाल सभागृह में इकट्ठा हुए।
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बात मीडिया की

वरिष्ठ पत्रकार शैलेष दीक्षित भास्कर डिजिटल इंदौर के हेड हो गए हैं। श्री दीक्षित पहले पत्रिका और दैनिक भास्कर में अलग-अलग भूमिकाओं में सेवा दे चुके हैं। इन दिनों वे उज्जैन में भास्कर डिजिटल के ब्यूरोहेड थे।

लम्बे समय तक दैनिक भास्कर के क्राइम रिपोर्टिंग हेड रहे और बाद में भास्कर की एसआईटी में रहकर एक से एक खबरे करने वाले दीपेश शर्मा अब इंदौर में ही भास्कर एसआईटी के हेड हो गए हैं। उनके साथ तीन और रिपोर्टर भी इस एसआईटी में सेवाएं देंगे।

इंदौर से न्यूज एंकर के रूप में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अपने कॅरियर की शुरुआत करने वाले विजय पंड्या अलग-अलग संस्थानों में सेवाएं देने के बाद अब बंसल न्यूज में अहम भूमिका में आ गए हैं।