Digvijay’s Power : AICC अध्यक्ष पद के केंद्र में दिग्विजय का पलड़ा सबसे भारी

कल नामांकन कर सकते हैं, पिछले सप्ताह दिए थे संकेत!

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New Delhi : अभी तक कि स्थिति को देखते हुए लग रहा है कि कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले MP के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह सबसे ताकतवर बनकर उभरे हैं। बुधवार को उन्हें केरल से भारत जोड़ो यात्रा के बीच से अचानक दिल्ली बुलाया गया। संभावना है कि दिग्विजय गुरुवार को AICC अध्यक्ष पद के लिए नामाकंन भर सकते हैं।

पिछले हफ्ते उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के संकेत भी दिए थे। पिछले सप्ताह दिग्विजय सिंह ने चुनाव लड़ने सवाल पर कहा था कि देखते हैं, क्या होता है। चुनाव लड़ने का अधिकार तो सबको है। 30 सितंबर आपको तक पता चल जाएगा कि मैं चुनाव लड़ रहा हूं या नहीं। साथ ही उन्होंने कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव कोई भी लड़ सकता है। पहले भी पार्टी में गांधी परिवार से बाहर के अध्यक्ष रहे हैं।

यदि दिग्विजय सिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं, तो वे इस कुर्सी पर बैठने वाले मध्य प्रदेश के दूसरे नेता होंगे। इससे पहले भोपाल के शंकर दयाल शर्मा 1972 से 1974 तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। फिलहाल अशोक गहलोत चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इसे लेकर तस्वीर साफ नहीं है। वहीं शशि थरूर साफ कर चुके हैं कि 30 सितंबर को अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करेंगे। गांधी परिवार के सबसे भरोसंमंद लोगों में शामिल दिग्विजय सिंह ने सोनिया गांधी के राजनीति में प्रवेश में बड़ी भूमिका निभाई थी। भारत जोड़ो यात्रा के जरिए वे अब राहुल को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। गांधी परिवार के प्रति दिग्विजय सिंह की राजनीतिक आस्था का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है, जब 1999 में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से सीताराम केसरी हटे थे, तब सोनिया गांधी ने यह जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया था, उस दौरान दिग्विजय सिंह मप्र के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने CM की कुर्सी छोड़ने की पेशकश तक कि कर थी।

राहुल की यात्रा के सारथी
राहुल गांधी की यात्रा में सबसे अहम रोल दिग्विजय सिंह निभा रहे हैं। यात्रा के लिए बनाई गई समिति के वे अध्यक्ष हैं। यात्रा की प्लानिंग से लेकर इसके रूट, बीच में राहुल किन लोगों से मिलेंगे, जनसभाएं करेंगे ये पूरा खाका दिग्विजय ने ही तैयार किया है। इस यात्रा का कोई घोषित राजनीतिक उद्देश्य नहीं है और दिग्विजय को ऐसी यात्राओं का पुराना अनुभव है। करीब 5 साल पहले दिग्गी मध्य प्रदेश में नर्मदा परिक्रमा यात्रा पर निकले थे। यह यात्रा भी राजनीतिक नहीं थी, लेकिन प्रदेश की राजनीति में इसने बड़ा खेल कर दिया था।

दिग्विजय सिंह ने भारत जोड़ो यात्रा की रणनीति काफी सोच-समझकर बनाई गई है। इसका उद्देश्य यह है कि राहुल ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिल सकें और पूरे भारत को समग्रता से समझ सकें। इसके साथ वे अपनी सोच और विजन के बारे में लोगों को बताएं, जिससे उनके बारे में प्रचलित भ्रांतियां खत्म हों।