दिल्ली के अफसरों का खुलासा: दूसरे नाम से निर्यात होती है निमाड़ की मिर्च

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खरगोन से आशुतोष पुरोहित की रिपोर्ट

भोपाल -लाल मिर्च के लिए देश-प्रदेश में मशहूर निमाड़ के साथ अन्याय हो रहा है। यहां की मिर्च विदेशों में बिक्री के लिए जाती है लेकिन उसे निमाड़ी मिर्च का नाम दिए जाने की बजाय दूसरे राज्यों का ब्रांड बताकर बेचा जाता है। इसका खुलासा दिल्ली से आए मसाला बोर्ड के अफसरों ने किया है। इसकी जानकारी के बाद किसानों ने इस पर आपत्ति की है और कहा है कि यह निमाड़ के किसानों के साथ अन्याय है। इससे निमाड़ की मिर्च की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग नहीं हो पा रही है।

दिल्ली मसाला बोर्ड के अफसर दो दिन के दौरे के दौरान यहां की लाल मिर्च मंडी को देखने और किसानों के साथ कार्यशाला कर तकनीक की जानकारी देने पहुंचे थे। इस दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र खरगोन में किसानों को कार्यशाला के दौरान मसाला बोर्ड के अधिकारियों ने चौंकाने वाली जानकारी दी। मसाला बोर्ड के अधिकारियों ने विशेष रूप से निमाड़ की मिर्च विदेशों में निर्यात करने के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बताया। किसानों को बताया गया कि विदेशों में निर्यात करने के लिए मिर्च के महत्वपूर्ण 6 पैरामीटर में सफल होने के बाद ही चायना, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों में भारतीय मिर्च निर्यात की जाती है। निमाड़ की मिर्च भी निर्यात होती है लेकिन वह किसी अन्य ब्रांड के नाम से निर्यात होती है।

इन मिर्च के ब्रांड हैं निमाड़ में

*निमाड़ की जो मिर्च किस्में प्रसिद्ध हैं,* उनमें काशी, अनमोल, अर्का सुफल, अर्का लोहित, पूसा, ज्वाला के अलावा संकर किस्मों में काशी अर्ली, काशी सुर्ख, अर्का मेघना, अर्का स्वेता, अर्का हरिता शामिल हैं। इसके अलावा यहां निजी कम्पनियों ने अपने स्तर पर नवतेज, माही 456, माही 453, सोनल, एचपीए-12, रोशनी शक्ति 51 किस्मों के नाम से भी मिर्च बेचने का कारोबार शुरू कर रखा है।

*आधी लागत में ही अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है-*

अधिकतर किसानों द्वारा मिर्च की खेती में अधिक लागत होने के कारण उससे आने वाली समस्याओं के बारे में सुझाव भी मांगे। मिर्च बोर्ड के अधिकारी भरत अर्जून ने कहा कि जहां मिर्च की फसल में एक लाख की लागत से पेस्टिसाइड का उपयोग कर रहे हैं वहां मात्र 50 हजार रुपए के पेस्टिसाइड का उपयोग कर अच्छा मुनाफा ले सकते हैं।