Discounted Reciprocal Tariff : अमेरिका के भारत पर 26% ‘डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ’ लगाने से क्या भारत पर असर पड़ेगा!

डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में से एक भारत!

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Discounted Reciprocal Tariff : अमेरिका के भारत पर 26% ‘डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ’ लगाने से क्या भारत पर असर पड़ेगा!

Washington : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत, चीन और यूरोपीय संघ जैसे बड़े व्यापारिक साझेदारों के लिए नए अमेरिकी टैरिफ से जुड़ा एक चार्ट जारी किया। भारत, चीन समेत दूसरे देशों से अमेरिका पहुंचने वाले सामान पर कितना टैरिफ लगेगा इसकी घोषणा कर दी गई। यह नया टैरिफ तुरंत लागू हो गया। कई एशियाई देशों पर भी 30% से 45% तक का टैरिफ लगाया गया है।

ट्रंप की इस घोषणा के अनुसार, भारत से अमेरिका आने वाले सामान पर 26% का टैरिफ लगाया जाएगा। वहीं, चीन से आने वाले आयात पर 34% टैरिफ लगाया गया है। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि चीन से बढ़ते व्यापार घाटे को कम करने के लिए यह कदम उठाया गया। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने वियतनाम से आयातित सामान पर 46% टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है, जो उच्चतम दरों में से एक है। यूरोपीय संघ पर 20% टैरिफ, स्विटजरलैंड पर 31% और ताइवान पर 32% टैरिफ लगाया जाएगा। वहीं यूनाइटेड किंगडम से आयात पर केवल 10% टैरिफ लगाया गया है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल में ही अमेरिका आए थे। वे मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। लेकिन, इस दौरे के दौरान मैंने प्रधानमंत्री मोदी को कहा कि आप हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे हैं। भारत हमेशा अमेरिका से 52% टैरिफ वसूलता है, इसलिए हम उनसे आधा 26% टैरिफ लेंगे। भारत डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में से एक है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, कुछ भारतीय निर्यातों को उच्च आयात शुल्क का सामना करना पड़ सकता है। एसबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को इस टैरिफ से बहुत अधिक नुकसान नहीं होगा। भारत के निर्यात में 3-3.5% तक गिरावट आ सकती है। निर्माण और सेवा क्षेत्र में बढ़ते निर्यात से असर कम होगा। यूरोप-मध्य पूर्व-अमेरिका के जरिए नए व्यापार मार्ग तैयार किए जा रहे हैं। भारत ने अपने निर्यात मिश्रण को विविध बनाया है।

डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा के पहले वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल इस महीने के शुरुआत में वाशिंगटन गए थे। जहां उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर चर्चा की, जिसमें इन शुल्कों से छूट मांगी गई थी। एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस टैरिफ का सबसे बुरा असर कपड़ा उद्योग, परिधान और ज्वेलरी सेक्टर पर हो सकता है।

2023-24 में भारत से लगभग 36 अरब डॉलर (₹करीब 3 लाख करोड़) के कपड़ा निर्यात में अमेरिका की 28% की भागीदारी रही, जो लगभग 10 अरब डॉलर (करीब ₹85,600 करोड़) है। साल दर साल, इस क्षेत्र में अमेरिका के साथ भारतीय व्यापार में बढ़ोतरी देखी गई है। 2016-17 और 2017-18 में अमेरिका का कपड़ा उद्योग में कुल निर्यात का हिस्सा 21% था, जो 2019-20 में 25% और 2022-23 में 29% तक पहुंच गया।

व्यापार समझौता करने का लक्ष्य

दोनों देश वर्ष के अंत तक एक व्यापार समझौता करने का लक्ष्य बना रहे हैं। 2030 तक 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का लॉन्ग टर्म लक्ष्य रखा गया है।