Liz Truss : लिज ट्रस के बहाने महिलाओं पर चर्चा

878
Liz Truss लिज ट्रस के बहाने महिलाओं पर चर्चा

Liz Truss:लिज ट्रस के बहाने महिलाओं पर चर्चा

दुनिया में सबका नसीब लिज ट्रस जैसा नहीं होता.वे इंग्लैंड की तीसरी महिला प्रधानमंत्री बन गयीं हैं. इससे पहले वे अपने देश की विदेश मंत्री थीं लिज के आने से इंग्लैंड की ही नहीं बल्कि दुनिया के दूसरे देश की महिलायें भी ख़ुशी मना सकती हैं ,की उन्हें भारत की तरह ‘रबर स्टाम्प’ न बनाकर सचमुच सत्ता की बागडोर सौंपी गयी .लिज चुनाव जीतकर सत्ता में आयीं हैं,उनके ऊपर किसी राजा-रानी की कृपा नहीं है , हालांकि वे उस देश की प्रधानमंत्री चुनी गयी हैं जो रानी के नाम से ही राजकाज चलाते हैं .

Liz Truss

इंगलेंड में बीते 75 साल में ये तीसरा मौक़ा है जबकि किसी महिला को देश का प्रधानमंत्री चुना गया है. हमारे यहां ये मौक़ा केवल एक महिला को मिला ,उनका नाम था श्रीमती इंदिरा गांधी .वे तीन बार देश की प्रधानमंत्री बनीं .वंशवाद के आरोपों से घिरी कांग्रेस को ये श्रेय दिया जा सकता है ,क्योंकि पिछले 75 साल में देश की कोई दूसरी पार्टी ये साहस नहीं कर सकी .भाजपा तो बिलकुल ही नlij trusहीं .भाजपा और उससे पहले जनसंघ में भी महिलाओं को पंत प्रधान बनाने का कोई इतिहास उपलब्ध नहीं है .

Indira Gandhi 1540921967

भारत में तत्कालीन विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज लिज ट्रस की तरह देश की प्रधानमंत्री बन सकतीं थीं ,लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री बनने नहीं दिया गया. उनकी पार्टी ने नरेंद्र भाई मोदी को मौक़ा दिया .ये भाजपा का अंदरूनी मामला है ,हम केवल लिज के बहाने सुषमा जी को याद कर रहे हैं मुमकिन है की भविष्य में भाजपा भी अपनी महिला विरोधी परमपरा को तोड़े,मानसिकता को बदले और किसी महिला को पंत प्रधान बनने का मौक़ा दे. अभी तो मोदी जी के अलावा कोई दूसरा नाम सामने लाया नहीं गया है.

Secretary Tillerson is Greeted by Indian Minister of External Affairs Swaraj 24074726498 cropped

लिज ट्रस वामपंथी माता-पिता की बेटी हैं .लिज के माता-पिता ने देश को राजशाही से मुक्त करने के आंदोलन में हिस्सा लिया था लेकिन लिज दक्षिणपंथी पार्टी की नेता हैं लेकिन उन्हें उदारवादी माना जाता है .47 साल की लिज ट्रस कंजरवेटिव हैं। 12 साल से सांसद हैं और आठ साल से कैबिनेट मंत्री हैं।लिज ने तीन प्रधानमंत्रियों के अधीन काम किया है। ट्रस का जन्म साल 1975 में ऑक्सफोर्ड शहर में हुआ था। उनका पालन-पोषण स्कॉटलैंड और नॉर्थ इंग्लैंड में वामपंथी माता-पिता ने की। ट्रस की मां पेशे से नर्स और पिता गणित के प्रोफेसर रहे हैं।

लिज के पास छुपाने के लिए कुछ ऐसा नहीं है जिसके लिए किसी को सूचना के अधिकार काइस्तेमाल करना पड़े .उन्होंने दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र की शिक्षा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से हासिल की। विश्वविद्यालय में रहते हुए वह लिबरल डेमोक्रेट्स का हिस्सा रहीं और राजशाही उन्मूलन अभियान चलाया। हालांकि बाद में वह पूरी तरह दक्षिणपंथी राजनीति का हिस्सा बन गईं। ट्रस की पहचान एक उदारवादी नेता की है, जो छोटे राज्यों और टैक्स को कम रखने की समर्थक हैं।

लिज भले ही दक्षिणपंथी नेता हैं लेकिन वे कराधान के मामले में भारत के दक्षिणपंथियों से हटकर सोचती हैं. भारत की दक्षणपंथी सरकार आम जनता के दही,मही और आटा -दाल तक पर कर लगाकर आमदनी बढ़ाना चाहती है जबकि लिज शुरूसे कम टैक्स की समार्थक रहीं हैं ,ऐसे में उनकी भारत के साथ कितनी और कैसी निभेगी,कल्पना की जा सकती है. उम्मीद की एक ही किरण है कि लिज चीन विरोधी हैं.लिज ने अपने पूरे चुनाव अभियान के दौरान भारत के पड़ोसी चीन की खिंचाई की थी। जाहिर है कि भारत-चीन मसले पर लिज हमेशा भारत के साथ होंगी।’

ब्रिटेन की नयी प्रधानमंत्री को अपने पूर्ववर्ती बोरिस जॉन्सन की बेवकूफियों की छाया से अपने मुल्क को बाहर लाना है साथ ही उन तमाम मुद्दों पर भी काम करना है जिन्हें किसी दूसरे बहाने से टाला नहीं जा सकता .लिज अपने नाम की तरह लिजलिजी बिलकुल नहीं हैं. उनका स्वभाव विद्रोही है .और इसके संकेत उनके राजनीतिक कैरियर के आरम्भ से ही मिलना शुरू हो गए थे. लिज ने परिवार के राजनीतिक मतभेद के बावजूद लिज ने 2010 में कंजरवेटिव पार्टी से चुनाव लड़ा। पिता बेटी के इस महत्वपूर्ण चुनाव से दूर रहे। हालांकि ट्रस चुनाव जीत गईं और पहली बार सांसद बनीं। शिक्षा मंत्री के रूप में चर्चा में रहने के बाद साल 2014 में वह पर्यावरण मंत्री बनीं। ट्रस शुरुआत में ब्रेक्जिट विरोधी रही हैं। लेकिन बाद में विचार बदल लिया।

आप याद कीजिये कि लिज ने विदेश सचिव रहते हुए ट्रस ने पश्चिम को ताइवान को बांटने के लिए तैयार रहने का सुझाव देकर चीन से नाराजगी मोल ली थी। रूस के आक्रमणकारी तेवर से डरे हुए बाल्टिक राज्य ट्रस को ऐसे नेता के रूप में देख रहे हैं, जो कठिन समय में उनके लिए खड़ी होंगी। ट्रस पूरे साहस से अपनी बात कहती हैं। वर्ष 2015 में देश की खाद्य समस्या पर बोलते हुए ट्रस ने कहा था, “हम अपने उपयोग का दो-तिहाई चीज आयात करते हैं, यह एक अपमानजनक है!”

लिज के चुने जाने से चीन और रूस नाखुश है लेकिन भारत में स्थिति विपरीत है.भारत की दक्षिणपंथी सरकार ऋषि सुनक को प्र्धानमंत्र के रूप में देखना चाहती थी. सुनक के गौरवगान के लिए सरकार और सरकारी पार्टी ने बाकायदा अभियान भी चलाया था ,लेकिन ऐसा हो न सका .बहरहाल लिज ट्रस को अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों के मुकाबले ज्यादा श्रम कर अपनी छवि गढ़ना होगी.एक ऐसी छवि जो मारग्रेट थैचर और थेरेसा से कुछ अलग हो .उनकी सफलता या विफलता दुनिया की महिला नेत्रियों को प्रभावित करने वाली हो सकती है

भारत और ब्रिटेन अकेले ऐसे देश नहीं है जिन्होंने महिला नेत्रियों को सत्ता की बागडोर सौंपने की उदारता दिखाई. न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न को कोविड के खिलाफ अभियान के लिए पूरी दुनिया ने सराहा है। जेसिंडा अर्डर्न न्यूजीलैंड की सत्ता में बहुत ही प्रभावशाली हैं और वह ऐसी नेता हैं, जिन्होंने कोविड-19 पर लगाम लगाने के लिए अपनी शादी रद्द करके सुर्खियों में आई थीं। 2017 में वह सिर्फ 37 साल की उम्र में न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री बनी थीं और वहां के 150 वर्षों के इतिहास की सबसे युवा प्रधानमंत्री बनीं।

सना मारिन 2019 से फिनलैंड की प्रधानमंत्री हैं। वह सिर्फ 36 साल की हैं।फ्रांस में 61 वर्षीय पेशे से इंजीनियर एलिजाबेथ बोर्न को इस साल मई में प्रधानमंत्री के रूप में नामित किया गया था। वह एडिथ क्रेशन के बाद फ्रांस की दूसरी प्रधानमंत्री बनीं हैं, जो 1990 के दशक में एक साल से भी कम समय तक इस पर पर रही थीं।स्वीडन ने भी 2021 में सोशल डेमोक्रैट मैग्डेलेना एंडरसन को स्वीडन की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार किया । पेशे से अर्थशास्त्री रहीं एंडरसन सात साल तक वित्त मंत्री रह चुकी हैं।भारत में श्रीमती इंदिरा गांधी के बाद किसी महिला के हिस्से में प्रधानमंत्री का पद कब आएगा,कहा नहीं जा सकता .