हाल ही में हमारी चर्चा एक मित्र से हुई थी, तो उन्होंने साझा किया था कि पीएफआई संगठन सिमी से सौ गुना ज्यादा खतरनाक मंसूबे रखने वाला संगठन है। इस पर जब शोध किया गया, तो पता चला था कि किस तरह यह देश में अफरातफरी का माहौल बनाने की सघन तैयारी में जुटे थे। जब पीएफआई पर छापे पड़े, तब मुझे याद आया कि वास्तव में यह पीएफआई कितना भयावह मंसूबे रखकर आगे बढ़ रहा था। मुझे याद है कि मध्यप्रदेश में भोपाल की केंद्रीय जेल से भागने वाले सिमी के सदस्यों के एनकाउंटर ने यह जताया था कि ऐसे संगठन देश के लिए कितने खतरनाक हैं। ऐसे में यह कल्पना की जा सकती है कि पीएफआई के मंसूबे देश के लिए कितने ज्यादा घातक साबित हो सकते थे, यदि समय पर इनके खिलाफ कार्रवाई न हुई होती।
पीएफआई के सदस्यों से पूछताछ में कई बड़े खुलासे हो रहे हैं। यह बात सामने आ रही है कि पीएफआई एससी और एसटी वर्ग में पकड़ बनाने की तैयारी कर रहा था। तो भविष्य में चुनावी राजनीति में भी कदम रखने की पीएफआई की मंशा थी। चरणबद्ध तरीके से ये लोग अपने मंसूबों को अंजाम दे रहे थे। पहले चरण में अल्पसंख्यकों को अपने साथ जोड़ने का काम किया जा रहा था। दूसरे चरण में एससी और एसटी वर्ग के गरीब लोगों को हिन्दुओं से कैसे अलग किया जाए, इसे लेकर अभियान चलाने की तैयारी थी। पीएफआई के पास से मिले दस्तावेजों में यह खुलासे हुए हैं। इसमें गलती उन देशभक्त नागरिकों की कतई नहीं है, जो वास्तव में जिस माटी में पैदा हुए हैं…उस पर मर मिटने को सोते-जागते तत्पर रहते हैं। पर पीएफआई जैसे संगठन घुन बनकर पूरे आटे को बदनाम करने की साजिश रचते हैं। शुक्र है ऊपर वाले का, कि वह अपने इन मंसूबों में सफल नहीं हो पाते और समय रहते दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है।
वास्तव में कहा जाए तो पीएफआई जैसे संगठन पूरी कौम और पूरे देश को शर्मसार होने को मजबूर करते हैं। आखिर किन देशद्रोहियों की शह पर यह संगठन आकार लेते हैं। क्या उन्हें यह कतई भान नहीं होता कि वह जिस देश में पल बढ़ रहे हैं, उसके प्रति वफादार होना उनका फर्ज है। मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना…जैसी बातें क्या उन्हें कभी आइना नहीं दिखाती। कभी अपने गिरेबान में झांकने को मजबूर नहीं करतीं। भारत में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले ऐसे लोगों की देश में वास्तव में कोई जगह नहीं है। इनके खिलाफ जितनी कड़ी कार्यवाही हो, वह भी कम है। ऐसे ही लोग अपने साथ पूरी कौम को बदनाम करते हैं। वास्तव में देखा जाए तो यह लड़ाई देशभक्त और देशद्रोहियों के बीच की है। देशद्रोहियों का कौम से कोई वास्ता नहीं है। देशद्रोही तो बस देशद्रोही हैं…इनकी कोई दूसरी पहचान नहीं है। पीएफआई जैसे घृणित संगठन सिर्फ शर्मसार होने को मजबूर करते हैं।